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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

सर्वोदयवादी और अन्त्योदयवादी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के लिए था हमारा संघर्ष

धर्म ही अटल हैचाणक्यनीति (5/10) में कहा गया है :-‘चला लक्ष्मीश्चला: प्राणाश्चले जीवितयौवने। चला चले च संसारे धर्म एकोहि निश्चल:।।’अर्थात इस चराचर जगत में लक्ष्मी, प्राण, यौवन और जीवन सब कुछ नाशवान हैं, केवल एक धर्म की अटल है।अटल धर्म के प्रति भारत के लोगों की आस्था भी अटल रही है। इसलिए महाभारत में भी […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

मुगल वंश से पहले ही हो गया था कश्मीर का पीड़ादायक धर्मांतरण

मुल्ला मौलवी हो गये थे जैनुल के विरोधी राजा जैनुल और श्रीभट्ट की समादरणीय जोड़ी जब कश्मीर में दो विपरीत दिशाओं में बहती सरिताओं-हिंदुत्व और इस्लाम को एक दिशा देने का अदभुत और प्रशंसनीय कार्य कर रही थी, तभी कहीं ‘शैतान’ उन अनोखे और प्रशंसनीय कार्यों को नष्ट करने के लिए उनकी जड़ों में मट्ठा […]

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स्वर्णिम इतिहास

भारत का स्वर्णिम इतिहास भारत को ‘सोने की चिडिय़ा’ क्यों कहते थे (3)

एस. सी. जैन गतांक से आगे… अंग्रेज जो खगोलशास्त्री है, नक्षत्रशास्त्री है, उन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि भारत के सोम, मंगल, बुध को हमने लेकर संडे, मंडे, ट्यूज्डे कर दिया है। यह सब भारत से उधार लिया है। 10वीं शताब्दी में भारतीय वैज्ञानिकों ने यह प्रमाणित किया था कि पृथ्वी अपने कक्ष […]

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स्वर्णिम इतिहास

भारत का स्वर्णिम इतिहास भारत को ‘सोने की चिडिय़ा’ क्यों कहते थे (2)

एस. सी. जैन गतांक से आगे… भारत में कालीकट ढाका और सूरत मालवा में इतना महीन कपड़ा बनता है कि पहनने वाले का शरीर ऐसे दिखता है कि मानो वे एक दम नग्न है। इतनी अदभुत बुनाई भारत के कारीगर जो हाथ से कर सकते हैं, वह दुनिया के किसी भी देश से कल्पना करना […]

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स्वर्णिम इतिहास

भारत का स्वर्णिम इतिहास भारत को ‘सोने की चिडिय़ा’ क्यों कहते थे (1)

एस. सी. जैन भारत का एक अतीत है जो बहुत पुराना है जो वेदों के समय से लेकर दसवीं शताब्दी तक का है। भारत के उस अतीत के बारे में बात करेंगे जो हाल में हमारे सामने रहा। 100-200 साल पहले 18 शताब्दी, 17 शताब्दी व 15 शताब्दी तक आज से लगभग 100-150 साल पहले […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

राठौड़ों ने कर दी थी स्वतंत्र मण्डोर राज्य की स्थापना

दिल्ली के प्रसिद्घ सूफी संत शेख निजामुद्दीन औलिया ने कहा था-‘‘कुछ हिंदू जानते हैं किइस्लाम सच्चा धर्म है पर वे इस्लाम कबूल नही करते….भयभीत होने के उपरांत भी हिंदुओं नेअपने दिलों से इस्लाम को वैसे ही निकाल फेंका है जैसे आटा गूंथते समय उसमें पड़ गये बालको निकाल दिया जाता है।’’निजामुद्दीन औलिया जैसे सूफी संतों […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

वैद्यराज श्री भट्ट के प्रयासों से कश्मीर फिर से बन गया था स्वर्ग

सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपनी कविता ‘जलियांवाले बाग में बसंत’ में लिखा है :- ‘‘यहां कोकिला नही, काक हंै शोर मचाते।काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते।।कलियां भी अधखिली मिली हैं कंटक कुल से।वे पौधे, वे पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे।।परिमल हीन पराग दाग सा बना पड़ा है,हा यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

हिन्दुओं को मिले तीन विकल्प-इस्लाम, मृत्यु, कश्मीर छोड़ो

कश्मीर का सुल्तान सिकंदरकश्मीर दुर्भाग्य और दुर्दिनों से जूझ रहा था। धर्म नष्ट हो रहा था, और ‘दीन’ फैलता जा रहा था। अंधेरा गहराता जा रहा था, और दूर होने का नाम नही लेता था। इसी काल में कश्मीर का सुल्तान सिकंदर बन गया। इसने अपनी उपाधि ही ‘बुतशिकन’ (मूर्ति तोडऩे वाला) की रख छोड़ी […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

स्थानीय हिन्दू शासक भी लड़ते रहे अपना स्वतंत्रता संग्राम

सिकंदर लोदी बना सुल्तान बहलोल लोदी की मृत्यु जुलाई 1489 ई. में हो गयी थी। तब उसके पश्चात दिल्ली का सुल्तान उसका पुत्र निजाम खां सिकंदर दिल्ली का सुल्तान बना। उस समय दिल्ली सल्तनत कोई विशेष बलशाली सल्तनत नही रह गयी थी। उसके विरूद्घ नित विद्रोह हो रहे थे और सुल्तानों की सारी शक्ति उन […]

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स्वर्णिम इतिहास

कहर बरसा था दिल्ली में उन दिनों

प्रस्तुति रोहताश सिंह आर्य- बादशाह बहादुर शाह जफर के कैद हो जाने के बाद अंग्रेजों के जासूसों ने खबर दी कि बादशाह के बेटे हुमायूं के मकबरे में ही छिपे हुए हैं और इन लोगों ने भी बगावत के दौरान अंग्रेजों का कत्ल करने में हिस्सा लिया था। अंग्रेज अधिकारी हडसन यह खबर पाकर झूम […]

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