प्रस्तुति- प्रियांशु सेठ, डॉ० विवेक आर्य (30 मार्च को श्याम जी का देहांत हुआ था।) यह कौन जानता था कि ४ अक्टूबर १८५७ को कच्छ रियासत के माण्डवी ग्राम के भंसाली परिवार में जन्मे श्यामजी कृष्ण वर्मा, १८५७ के संग्राम के बाद के पहले ऐसे क्रान्तिकारी बनेंगे जो बाद की पीढ़ी के लिए प्रेरणा के […]
Category: इतिहास के पन्नों से
गुरु तेग़ बहादुर सिक्खों के नौवें गुरु थे। विश्व के इतिहास में धर्म एवं सिद्धांतों की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में इनका अद्वितीय स्थान है। तेग़ बहादुर जी के बलिदान से हिंदुओं व हिन्दू धर्म की रक्षा हुई। हिन्दू धर्म के लोग भी उन्हें याद करते और उनसे संबंधित कार्यक्रमों में […]
डॉ. राधे श्याम द्विवेदी अवस्थिति:- शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु के निकट उत्तर प्रदेश के ककरहवा नामक ग्राम से 14 मील और नेपाल-भारत सीमा से कुछ दूर पर नेपाल के अन्दर रुमिनोदेई नामक ग्राम ही लुम्बनीग्राम है, जो गौतम बुद्ध के जन्म स्थान के रूप में जगत प्रसिद्ध है। लुम्बिनी-दूधी मार्ग भारत के उत्तर प्रदेश […]
डॉ विवेक आर्य गांधीजी द्वारा इस बात को तर्कसंगत बनाने और स्पष्ट निंदा न करने से सावरकर को घृणा हुई। गांधी के इन कथनों का तीखा जवाब देते हुए सावरकर ने 10 फरवरी 1927 को ‘गांधीजी और निर्दोष हिंदू’ शीर्षक से एक निबंध लिखा। एक हिंसक हत्यारे को ‘भाई’ कहने की निंदा करते हुए सावरकर […]
भारत बदल रहा है, यह कहना उतना उचित नहीं है जितना यह कहना उचित है कि भारत अपने मूल से जुड़ रहा है। अपनी जड़ों को पहचान रहा है ।अपनी वास्तविकता को जान रहा है। जब किसी भी देश के आम जीवन में इस प्रकार के क्रांतिकारी परिवर्तन की लहर चलती है तो समझना चाहिए […]
लेखक आर्य सागर खारी🖋️ आज शहीद- ए -आजम भगत सिंह ,राजगुरु ,सुखदेव जैसे मृत्युंजय वीरों का शहादत दिवस है। भारत सरकार आजादी के 75 वे वर्ष को अमृत महोत्सव के रूप में मना रही है स्वागत योग्य कदम है मनाना भी चाहिए लेकिन क्रांतिकारियों ने बलिदान का महोत्सव मनाया जो लगभग 200 वर्ष चला जिसमें […]
त्र्यंबक राव की मृत्यु के बाद मराठों के खिलाफ बंगश का गठबंधन टूट गया। मुगल बादशाह ने उन्हें मालवा से वापस बुला लिया और जय सिंह द्वितीय को मालवा का गवर्नर नियुक्त किया। हालाँकि, मराठा प्रमुख होल्कर ने 1733 में मंदसौर की लड़ाई में जय सिंह को हराया था । दो और लड़ाइयों के बाद, […]
संत अतरसिंह जी का जन्म 28 मार्च, 1866 को ग्राम चीमा (संगरूर, पंजाब) में हुआ था। इनके पिता श्री करमसिंह तथा माता श्रीमती भोली जी थीं। छोटी अवस्था में वे फटे-पुराने कपड़ों के टुकड़ों की माला बनाकर उससे जप करते रहते थे। लौकिक शिक्षा की बात चलने पर वे कहते कि हमें तो बस सत्य […]
विक्रमादित्य के दरबार का चित्र पंचायत और नगरपालिका वाले अनुच्छेदों के विषय को चित्र के माध्यम से प्रकट करने की भावना से प्रेरित होकर वहां विक्रमादित्य के दरबार वाला चित्र प्रकट किया गया है। हम सभी जानते हैं कि विक्रमादित्य द्वारा स्थापित की गई व्यवस्था बहुत ही न्याय पूर्ण थी। उन्होंने प्रत्येक नागरिक को न्याय […]
भारतीय स्वाधीनता संग्राम में अनेक ऐसे वीरों ने भी बलिदान दिया, जिन्हें गलत समझा गया। 1981 में ग्राम बड़ी मढ़ौली (अम्बाला, पंजाब) में पण्डित गंगाराम के घर में जन्मे काशीराम ऐसे ही क्रान्तिवीर थे, जिन्हें डाकू समझ कर अपने देशवासियों ने ही मार डाला। शिक्षा पूरी कर काशीराम ने भारत में एक-दो छोटी नौकरियाँ कीं […]