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इतिहास के पन्नों से

देश का वास्तविक गद्दार कौन ?- गांधी , नेहरू या सावरकर

जब सुभाष के मार्गदर्शक बने वीर सावरकर जब क्रांतिवीर सावरकर ने 26 फरवरी 1966 को अपना नाशवान शरीर त्यागा तो उस समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी भावना व्यक्त करते हुए कहा था-‘‘सावरकर जी की मृत्यु से विद्यमान भारत के एक महान व्यक्ति को हमने खो दिया।’’ बात स्पष्ट है कि इंदिराजी की दृष्टि में […]

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स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

शिवाजी महाराज की विचारधारा और हमारा राष्ट्रीय आंदोलन

इतिहास में कोई भी घटना अपने समकालीन इतिहास को अवश्य प्रभावित करती है । यदि उस घटना के समकालीन घटना चक्र पर दृष्टिपात किया जाए तो पता चलता है कि एक घटना दूसरी को और दूसरी घटना तीसरी को प्रभावित करके चली जाती है । इससे एक घटना का प्रभाव बहुत आगे तक भी पड़ना […]

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इतिहास के पन्नों से

जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध

क्रान्तदर्शी होना कवि का स्वाभाविक गुण है , उसकी प्रकृति है , उसे नैसर्गिक रूप से मिला हुआ एक वरदान है । कहने का अभिप्राय है कि क्रांतदर्शिता के अभाव में कोई व्यक्ति कवि नहीं हो सकता । जैसे विधाता की रचना और सृष्टा की सृष्टि का होना तभी संभव है , जब रचना और […]

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स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

एक महान क्रांतिकारी शहीद उधम सिंह के बलिदान दिवस पर

आज के दिन ही दी गई थी 1940 में फांसी आज ही के दिन 1974 में ब्रिटेन ने सौंपे थे उनकी अस्थियों के अवशेष दुखद है कि आज तक भी नहीं मिला इतिहास में उचित सम्मान पंजाब के ऐतिहासिक नगर अमृतसर का जलियांवाला (जलियां नामक एक माली का) बाग भारत के क्रांतिकारी स्वतंत्रता आंदोलन का […]

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इतिहास के पन्नों से

हिंदू राष्ट्र स्वप्नदृष्टा : बंदा वीर बैरागी, अध्याय – 1

स्वतंत्रता और भारती का संबंध गहन है बड़ा , स्वतंत्रता का संदेश विश्व ने भारत से है पढ़ा । उपदेश हमको आज जो दे रहे हैं संविधान का , अस्तित्व उनका भी हमारे वेद के कारण है खड़ा ।। विश्व को स्वतंत्रता का पाठ पढ़ाने वाला भारत है । अब प्रश्न यह उत्पन्न होता है […]

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इतिहास के पन्नों से

जब नेहरू ने लगाया था लोकतंत्र पर दाग

जिस प्रकार गांधी जिद्दी थे , उसी प्रकार की जिद करने का अवगुण नेहरू के भीतर भी था ।यहां पर हम उनकी एक ऐसी ही ज़िद का उल्लेख कर रहे हैं , जिससे भारतीय लोकतंत्र पर पहले चुनावों में ही बहुत बड़ा दाग लग गया था ।बात पहले आम चुनावों की है। तब उत्तर प्रदेश […]

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हिंदू राष्ट्र स्वप्नद्रष्टा : बंदा वीर बैरागी

कूड़ेदान में कागज या और दूसरी अनुपयोगी वस्तुओं को फेंकना तो हर देश में और हर समाज में देखा जाता है , परंतु अपने क्रांतिकारियों को उठाकर इतिहास के कूड़ेदान में फेंकने का काम केवल भारत में ही होता है। ऐसा नहीं है कि अपने क्रांतिकारियों को इतिहास के कूड़ेदान में फेंकने का यह निंदनीय […]

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इतिहास के पन्नों से

चंद्रशेखर आजाद का हत्यारा नेहरू ?

मित्रों ! आज हमारे देश के एक महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की जयंती है । इनका जन्म आज ही के दिन 1906 में उन्नाव जिले के झाबुआ नामक ग्राम में हुआ था । 2011 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने इस गांव का नाम बदलकर चंद्रशेखर आजाद के नाम पर आजाद नगर कर दिया […]

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इतिहास के पन्नों से

जब शिवाजी महाराज ने लिखा था राजा जयसिंह के लिए खत

मित्रो ! आज के दिन आमेर के राजा मिर्जा जयसिंह का जन्म 1611 में हुआ था । यह हिंदूद्रोही शासक मुगल बादशाहों की गुलामी में जीवन जीता रहा और जब शिवाजी दक्षिण में हिंदुत्व के लिए संघर्ष कर रहे थे , तो उस समय औरंगजेब ने इस हिंदूद्रोही राजा को मां भारती के शेर पुत्र […]

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इतिहास के पन्नों से

देश का वास्तविक गद्दार कौन ? – गांधी नेहरू या सावरकर, भाग 3

गांधीजी आजीवन अहिंसा की बात करते रहे। कांग्रेस ने भी इसे अपनाने की घोषणाएं की और स्वतंत्रता के पश्चात यह भी प्रचारित किया कि देश को आजादी केवल गांधीजी की अहिंसा के कारण ही मिली है। इस पर 1961 ई. में वीर सावरकर जी ने एक लेख लिखा-‘क्या स्वराज्य का श्रेय केवल कांग्रेस को ही […]

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