गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की जयंती के अवसर पर विशेष अग्नि अर्थात प्रकाश के उपासक भारतवर्ष का सबसे पहला राजवंश वैवस्वत मनु के द्वारा सूर्यवंश के रूप में स्थापित किया गया । इस सूर्यवंश को ही इक्ष्वाकुवंश , अर्कवंश और रघुवंश के नाम से भी जाना जाता है । भारतवर्ष के ही नहीं अपितु समस्त […]
Category: इतिहास के पन्नों से
गतांक से आगे… चीनियों के आदि पुरुष के विषय में प्रसिद्ध चीनी विद्वान् यांगत्साई ने सन् 1558 में एक ग्रंथ लिखा था। इस ग्रंथ को सन् 1776 में हूया नामी विद्वान् ने फिर सम्पादित किया।इस उसी पुस्तक का पादरी क्लार्क ने अनुवाद किया है।उसमें लिखा है कि ‘अत्यंत प्राचीन काल के मो०लो० ची० राज्य का […]
प्रस्तुति श्रीनिवास आर्य सन् 1937 में जब हिंदू महासभा काफी शिथिल पड़ गई थी और हिंदू जनता गांधी जी की ओर झुकती चली जा रही थी, तब भारतीय स्वाधीनता के लिए अपने परिवार को होम देनेवाले तरुण तपस्वी स्वातंत्र्य वीर सावरकर कालेपानी की भयंकर यातना एवं रत्नागिरि की नजरबंदी से मुक्त होकर भारत आए। स्थिति […]
पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को कभी आसाम के नाम से ही जाना जाता था । हमारे देश की ये वह पवित्र धरती है जो विदेशियों की गुलामी में कभी नहीं रही , यदि अल्पकाल के लिए रहा भी तो उसे बहुत शीघ्र ही हमारे वीर योद्धाओं ने स्वतंत्र करा लिया । इस क्षेत्र में हमारे […]
आज हिंदू पद पादशाही , हिंदू राष्ट्रनीति , राष्ट्रधर्म और हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती है । जिनका जन्म 19 फरवरी 1630 को हुआ था। यह भी एक संयोग ही है कि 19 फरवरी को शिवाजी का जन्मदिवस है तो 20 फरवरी (1707) औरंगजेब का मृत्यु दिवस है। जब भी किसी […]
महर्षि दयानन्द सामाजिक समता के परमोपासक थे। उन्होंने सामाजिक असमता के लिए भिन्न-भिन्न मतों के प्राबल्य को उत्तरदायी माना। इसलिए वह विभिन्न मतों को समाप्त करके देश में एक मत = ‘वेदमत’ की स्थापना के स्पष्ट पक्षधर थे। उन्होंने लिखा–‘‘उस समय सर्व भूगोल में एक मत था। उसी में सबकी निष्ठा थी और सब एक […]
तानाजी मालुसरे के बलिदान दिवस पर 17 फरवरी 1767 का वह ऐतिहासिक दिन था जब कोंडाणा का किला जीतकर तानाजी मालुसरे ने वहां पर केसरिया झंडा फहराया था। आज हम अपने उस महान शूरवीर तानाजी मालुसरे के बलिदान दिवस पर उन्हें अपने श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। माता जीजाबाई प्रतिदिन की भांति उस दिन भी […]
वीर सावरकर ने सन् 1937 में अपने प्रथम अध्यक्षीय भाषण में कहा था कि हिंदू ही इस देश के राष्ट्रीय हैं और आज भी अंग्रेजों को भगाकर अपने देश की स्वतंत्रता उसी प्रकार प्राप्त कर सकते हैं, जिस प्रकार भूतकाल में उनके पूर्वजों ने शकों, ग्रीकों, हूणों, मुगलों, तुर्कों और पठानों को परास्त करके की […]
कुछ वर्ष पहले मुझे आगरा के लाल किले को देखने का अवसर मिला । जिसके भीतर यह लिखा हुआ था कि यह किला पहले बादलगढ़ के नाम से विख्यात था । कालांतर में इसका नाम आगरा का लाल किला हो गया । इस किले के बारे में यह भ्रांति है कि इसे भी मुगलों के […]
ऑड्रे ट्रश्के (Audrey Truschke) अमरीका के विश्वविद्यालय में पढ़ाती है। आपने औरंगज़ेब को लेकर एक पुस्तक लिखी है जिसका शीर्षक है Aurangzeb The Man and the Myth . इस पुस्तक में लेखिका ने औरंगज़ेब को सेक्युलर, दयालु, प्रजाहितेषी आदि सिद्ध करने का असफल प्रयास किया हैं। लेखिका को ज्ञात है कि भारतियों को उनका इतिहास […]