पहली दिल्ली : महाभारत से पूर्व ओर महाभारत के युद्ध के कुछ काल पश्चात तक दिल्ली को इंद्रप्रस्थ कहा जाता था। यह राजा इन्द्र की राजधानी थी। जिसे पुराणों में बार-बार दोहराया गया है। राजा इन्द्र का स्वर्ग यहीं पर विद्यमान था तो युधिष्ठर का ‘धर्मराज’ भी यहीं से चला था। बाद में उनकी पीढियों ने […]
Category: इतिहास के पन्नों से
भारत में छद्म धर्मनिरपेक्षियों का एकमात्र उद्देश्य इस देश में साम्राज्यवाद को बढ़ावा देना है। यह बढ़ावा देने की प्रवृत्ति उनके हिन्दू विरोध को देखने से स्पष्ट हो जाती है। इस हिन्दू विरोध की प्रवृत्ति के कारण इतिहास के कई झूठ ऐसे हैं जो इस देश में पहले तो विदेशियों के द्वारा गढ़े गये और […]
========== मनुष्य श्रेष्ठ गुण, कर्म व स्वभाव को ग्रहण करने से बनता है। विश्व में अनेक मत, सम्प्रदाय आदि हैं। इन मतों के अनुयायी ईसाई, मुसलमान, हिन्दू, आर्य, बौद्ध, जैन, सिख, यहूदी आदि अनेक नामों से जाने जाते हैं। मनुष्य जाति को अंग्रेजी में भ्नउंद कहा जाता है। यह जितने मत व सम्प्रदायों के लोग […]
अभी हमने हनुमान जयंती मनाई है । साथ ही टी0वी0 चैनलों पर रामायण को भी देख रहे हैं । जिसमें हमारे कई पात्रों के साथ प्रचलित रामायण में पूर्णतया अन्याय किया गया है । विज्ञान के युग में अवैज्ञानिक , अतार्किक और मूर्खतापूर्ण बातें देशवासियों को और नई पीढ़ी को बताई जा रही हैं। जिनसे […]
पश्चिमी एशिया भारत में पश्चिम की ओर सबसे प्रथम अफरीदी काबुली और बलूची देश आते हैं । इन देशों में इस्लाम प्रचार के पूर्व आर्य ही निवास करते थे । यहीं पर गांधार था। जहां की गांधारी राजा धृतराष्ट्र की रानी थी। गांधार को इस समय कंधार कहते हैं। जिसका अपभ्रंश कंदार और खंदार भी […]
हमारे अनेकों इतिहास नायकों के साथ इतना अन्याय किया गया है कि उन्हें हम आज तक सही रूप में पहचान नहीं पाए हैं जैसे रामायण कालीन अनेकों महान पात्रों को हमने इस प्रकार दिखाया है जैसे वह मनुष्य जाति के न होकर पशु , पक्षी , वानर आदि हैं । इन्हीं में से एक जटायु […]
विम कडफिस कुजुलकडफिस की मृत्यु के पश्चात सम्राट विमकडफिस ने सत्ता संभाली । इनका शासन 50 ई0 से 78 ई0 तक माना जाता है । इनके नाम में लगे विम शब्द को ओएम (ओ३म ) के साथ समन्वित करने का भी कुछ विद्वानों ने प्रयास किया है । विमकडफिस एक महान शासक था । जिसने […]
‘महाभारत’ नाम का ग्रंथ हमें इतिहास संबंधी जानकारी देने वाला ग्रंथ तो है ही , साथ ही वह जीवन को आध्यात्मिक , नैतिक , राजनैतिक और सामाजिक मूल्यों से भरने वाला ग्रंथ भी है। इस ग्रंथ के अध्ययन से हमें अपने वर्तमान के अनेकों स्थानों , नगरों ,कस्बों के प्राचीन नामों की जानकारी होती है […]
पिछले अध्याय में हमने स्पष्ट किया था कि भारतवर्ष में शासन करने वाले कुषाण वंशी शासकों के पूर्वज मूल रूप में भारतीय आर्यों की ही क्षत्रिय शाखा के लोग थे। जो देश , काल व परिस्थिति के अनुसार मध्य एशिया से चलकर भारत पहुंचे । जिन्हें यहाँ के क्षत्रिय समाज के लोगों ने अपने साथ […]
हमारे देश ने अपनी स्वाधीनता की प्राप्ति के लिए और अपने वैदिक धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए अनेकों बलिदान दिए हैं । सचमुच यहां के बलिदान विश्व इतिहास में बेजोड़ हैं । ऐसी – ऐसी घटनाएं घटित हुई हैं कि पढ़कर वसुनकर रोमांच हो जाता है। साथ ही अपने बलिदानी वीर पूर्वजों के […]