सन 1947 में जब भारत-पाकिस्तान का विभाजन हो रहा था तब मीरपुर भी तत्कालीन कश्मीर रियासत का एक हिस्सा था। इस दौरान पाकिस्तान वाले पंजाब से हजारों की संख्या में हिंदु मीरपुर पहुंचे रहे थे। वहीं मीरपुर के मुसलमान पाकिस्तान जा रहे थे। प्रतिवर्ष 25 नवंबर का दिन बंटवारे के दर्द को हरा कर देता […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
उन दिनों लुई फिशर भारत की यात्रा पर आये थे। देश के विभाजन की संभावनाएं बड़ी तेजी से बनती जा रही थीं। लुई को यह बता दिया गया था कि विभाजन पर कांग्रेस लगभग सहमत हो चुकी है, परंतु सावरकर और उनका दल अभी भी बड़ी कठोरता से विभाजन का विरोध कर रहा है। तब […]
राजा का रमणीय भवन एक सम्राट ने अपनी राजधानी के मध्य में एक बहुत बड़ा भवन बनवाया। वह भवन बहुत ही सुदृढ़ विशाल और सुंदर था। जो कोई भी राजा के पास आता वह उस भव्य भवन की प्रशंसा किये बिना नही रहता था। इससे राजा को बड़ी प्रसन्नता की अनुभूति होती थी। एक बार […]
——————————————– अध्याय –14 पराजय और अपराजय की आंख मिचौनी बहादुरशाह इस बात को लेकर बहुत दुखी था कि बंदा वीर बैरागी का सामना करने के लिए सारी मुगल शक्ति दुर्बल पड़ती जा रही थी। वह नहीं चाहता था कि बंदा बैरागी के नेतृत्व में हिंदू शक्ति भारतवर्ष में फिर से खड़ी हो और यहां से […]
——————————————– अध्याय —- 13 मुगल हो गए थे वह भयभीत संसार में भारत ही एक ऐसा देश है जिसने विश्व को बौद्धिक नेतृत्व प्रदान किया । इसने आत्मा के विषय में भी यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि यह सदा बनी रहती है। इसका कभी अंत नहीं हो सकता । शरीर ही मरता है, आत्मा नहीं […]
——————————————– अध्याय —- 13 मुगल हो गए थे वह भयभीत संसार में भारत ही एक ऐसा देश है जिसने विश्व को बौद्धिक नेतृत्व प्रदान किया । इसने आत्मा के विषय में भी यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि यह सदा बनी रहती है। इसका कभी अंत नहीं हो सकता । शरीर ही मरता है, आत्मा नहीं […]
——————————————– अध्याय —- 13 मुगल हो गए थे वह भयभीत संसार में भारत ही एक ऐसा देश है जिसने विश्व को बौद्धिक नेतृत्व प्रदान किया । इसने आत्मा के विषय में भी यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि यह सदा बनी रहती है। इसका कभी अंत नहीं हो सकता । शरीर ही मरता है, आत्मा नहीं […]
आर्य सागर खारी इतिहासकार अर्नाल्ड जे टायनबी ने कहा था – विश्व के इतिहास में अगर किसी देश के इतिहास के साथ सर्वाधिक छेड़ छाड़ की गयी है, तो वह भारत है । *भारतीय इतिहास का प्रारंभ सिन्धु घाटी की सभ्यता से होता है, इसे हड़प्पा कालीन सभ्यता या सारस्वत सभ्यता भी कहा जाता है. […]
——————————————- अध्याय — 12 तान कर सीना चला एक पुजारी कई दिनों से यज्ञ कर रहा था , किंतु उसे अपने इष्टदेव के दर्शन नहीं हो रहे थे। इसी बीच राजा विक्रमादित्य वहां से निकले जा रहे थे । उन्होंने पुजारी की ओर देखा तो उसके चेहरे पर छाए भावों को देखकर उन्हें यह समझने […]
राजा का रमणीय भवन एक सम्राट ने अपनी राजधानी के मध्य में एक बहुत बड़ा भवन बनवाया। वह भवन बहुत ही सुदृढ़ विशाल और सुंदर था। जो कोई भी राजा के पास आता वह उस भव्य भवन की प्रशंसा किये बिना नही रहता था। इससे राजा को बड़ी प्रसन्नता की अनुभूति होती थी। एक बार […]