दिनेश चंद्र त्यागी आज भी विश्व में लगभग 110 करोड़ हिंदू किस प्रकार जीवित बचे रह गए । इन्हें भी काल के विकराल गाल में समा जाने के अनेक प्रयत्न जो पहले किए गए थे , आज भी किए जा रहे हैं । मलयेशिया युगांडा , केन्या , नेपाल , श्रीलंका, बर्मा ,पाकिस्तान , बांग्लादेश […]
Category: इतिहास के पन्नों से
गांधी जी की वासनात्मक प्रवृत्ति के कारण उनके आश्रम में भी उनके प्रति आक्रोश फैल गया था । उनके निकटतम साथी भी उनसे नाराज रहने लगे थे ।इस विषय में एमवी कामथ लिखते हैं कि, ‘अपने ही तरीके से और बिना इसका अर्थ रखे महात्मा ने कई जिंदगियां बर्बाद कर दीं। जब उन्हें आगा खान […]
1947 के बाद कांग्रेस ने किस प्रकार के भारत का निर्माण करना आरंभ किया ? यह आज के परिप्रेक्ष्य में बहुत ही प्रासंगिक प्रश्न है । वास्तव में कांग्रेस का चिंतन वैदिक भारत की ओर कभी गया ही नहीं । उसने मुगलों व तुर्को से पिछले इतिहास को भुलाने का प्रयास किया और पश्चिमी विचारकों […]
भारत को क्रांति के माध्यम से स्वतंत्रता दिलाने का संकल्प ले चुके नेताजी सुभाष चंद्र बोस आजीवन अंग्रेजों की आंखों की किरकिरी बने रहे थे। अपनी योजना को फलीभूत करने के लिए 22 जून 1940 को वह सावरकर जी से मिल चुके थे और उनसे आशीर्वाद ले चुके थे कि उन्हें भारत छोड़कर रासबिहारी बोस […]
1947 में भारत के पहले शिक्षामंत्री बने मौलाना अबुल कलाम आजाद। उन्होंने कांग्रेस के द्वारा अपनी वर्धा योजना के अंतर्गत भारत के लिए प्रस्तावित की गई शिक्षा नीति के अंतर्गत भारत के शिक्षा संस्कारों को बिगाड़ने का काम आरंभ किया।उन्होंने ही इतिहास का विकृतिकरण करते हुए मुस्लिम मुगल शासकों को हिंदू शासकों की अपेक्षा कहीं […]
14 जनवरी 1761 को आज ही के दिन पानीपत का तीसरा युद्ध’ अहमद शाह अब्दाली और मराठा सेनापति सदाशिव राव भाऊ के मध्य पानीपत के मैदान मे हुआ । मराठों के नेतृत्व में हिंदुत्व की बढ़ती शक्ति का दमन करने के लिए इस युद्ध में दोआब के अफगान रोहिला और अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने […]
पंडित मदनमोहन मालवीय जी का कहना है कि-”भारत की एकता का मुख्य आधार है-एक संस्कृति जिसका उत्साह कभी नही टूटा। यही इसकी विशेषता है। भारतीय एकता अक्षुण्ण है क्योंकि भारतीय संस्कृति की धारा निरंतर बहती रही है और बहेगी।” दुला भट्टी का आदर्श जीवन अब हम आते हैं इतिहास के उस अभिनंदनीय व्यक्तित्व के जीवन […]
कांग्रेसियों की ओर से अक्सर यह कहा जाता रहा है कि सावरकर वीर नहीं कायर थे और उन्होंने अंग्रेजों से माफी मांगी थी इस बारे में आज हम आपको इसका सच बता रहे हैं।इस विषय उपलब्ध ऐतिहासिक दस्तावेज और उससे जुड़े संदर्भ ग्रंथ भी सावरकर को एक कट्टर देशभक्त सिद्ध करते हैं। इतिहासकार और लेखक […]
देश की तीसरी लोकसभा का गठन 1962 में हुआ था । इसी वर्ष हमारे देश को चीन के हाथों करारी पराजय का सामना भी करना पड़ा । तीसरी लोकसभा का कार्यकाल 1967 तक रहा । किस लोकसभा के कार्यकाल में कई ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं हुई जो इस लोकसभा को इतिहास में कुछ खास बना गयीं […]
ओ३म् ========== जीवात्मा एक अत्यन्त अल्प परिमाण वाली चेतन सत्ता है। यह अल्प ज्ञान एवं अल्प शक्ति से युक्त होती है। इसका स्वभाव व प्रवृत्ति जन्म व मरण को प्राप्त होना है। जीवात्मा में मनुष्य व अन्य प्राणी-योनियों में जन्म लेकर कर्म करने की सामर्थ्य होती है। मनुष्य योनि में जन्म का कारण इसके पूर्वजन्म […]