गाँधी के कांग्रेस में प्रवेश के साथ ख़िलाफ़त वाले अलीगढ़ी ग्रुप मौलाना मोहम्मद अली,मौलाना शौक़त अली,मौलाना आज़ाद वग़ैरह का कांग्रेस में प्रवेश इज्जत से हो गया। ख़िलाफ़त आन्दोलन का असली उद्देश्य भारत वर्ष पर इस्लामिक शासन प्रतिष्ठित करना था, टर्की के प्रधान को इस्लामी जगत का ख़लीफ़ा बनाना नही। अली भाइयों का उद्देश्य था,कांग्रेस की […]
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वीरभोग्या वसुंधरा की सार्थक अनुगूंज है मां भारती मोहम्मद गोरी के हाथों से पृथ्वीराज चौहान की पराजय का उल्लेख करते हुए डॉ. आशीर्वादीलाल कहते हैं :- “सभी विजित स्थानों में हिन्दुओं के मंदिरों को विनष्ट कर दिया गया और उनके स्थान पर मस्जिदों का निर्माण किया गया । इस्लाम की परंपरा के अनुसार सभी […]
06 दिसम्बर 2017 को बीबीसी ने एक लेख ‘औरंगजेब और मुगलों की तारीफ क्यों करते थे- महात्मा गांधी’ – शीर्षक से प्रकाशित किया। इस लेख में बीबीसी ने बताया कि गांधी जी के औरंगजेब और मुगल शासकों के प्रति बहुत ही नेक विचार थे। वह उनके धर्मनिरपेक्ष विचारों के प्रशंसक थे और यह भी मानते […]
हमने पूर्व में इतिहासकार श्री खुर्शीद भाटी के एक लेख के संदर्भ में अपना लेख प्रकाशित किया था आज फिर उसी लेख पर आगे विचार करते हैं । श्री ख़ुर्शीद भाटी ने अपने लेख में लिखा है कि “आर्य का मूल आधार गुर्जर से ही है। द्रविड में शिव और आर्य में ब्रह्मा हैं। […]
देश धर्म की रक्षा के लिए बनाई गईं राष्ट्रीय सेनाएं ऐसी राष्ट्रीय सेनाओं का गठन हमारे राजाओं ने एक बार नहीं अनेकों बार किया । विनोद कुमार मिश्र (प्रयाग) ने अपनी पुस्तक ‘विदेशी आक्रमणकारी का सर्वनाश : भारतीय इतिहास का एक गुप्त अध्याय’ – में किया है । वह हमें बताते हैं : – “1030 […]
************************* महाकवि कालिदास रचित महाकाव्य “रघुवंशम्” अद्भुत ग्रंथ है, इक्ष्वाकुवंशी राजाओं के वृत्त को जिस सुन्दरता से कालिदास ने गाया है वैसा अन्यत्र नहीं मिलता. इस महाकाव्य के षोडशवें सर्ग में राम और उनके भाइयों के पुत्रों का वर्णन है. राम ने अपने बड़े बेटे कुश को “कुशावती” नामक राज्य सौंपा था. रघुवंश के सभी […]
इन परिस्थितियों पर विचार करते हुए लेखक ने अपनी पुस्तक “भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास”- भाग 1 , के पृष्ठ संख्या 26 पर लिखा है कि – “दक्षिण भारत और उत्तर भारत सहित पूरब और पश्चिम के सभी शासकों को संस्कृतिनाशक इतिहासकारों ने नितान्त उपेक्षित करने का प्रयास किया है – हमें […]
हिन्दू समाज का संप्रदायों में विभाजन हो जाना और नए-नए सम्प्रदायों का जन्म होते जाना निश्चित ही हमारे सामाजिक जीवन के लिए हानिकारक सिद्ध हुआ । इस प्रकार के सम्प्रदायों ने हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को क्षतिग्रस्त किया। नये-नये सम्प्रदायों के धर्माचार्यों ने भी कहीं न कहीं महात्मा बुद्ध के उपदेशों को ग्रहण कर […]
डॉ विवेक आर्य बचपन में हमें अपने पाठयक्रम में पढ़ाया जाता रहा है कि रक्षाबंधन के त्योहार पर बहने अपने भाई को राखी बांध कर उनकी लम्बी आयु की कामना करती है। रक्षा बंधन का सबसे प्रचलित उदाहरण चित्तोड़ की रानी कर्णावती और मुगल बादशाह हुमायूँ का दिया जाता है। कहा जाता है कि जब […]
पिछले दिनों मेरे पास श्री खुर्शीद भाटी जी द्वारा भेजा गया एक लेख आया। इस लेख का शीर्षक उन्होंने ‘गुर्जरों का मूल तत्व हिंदुस्तान में है, न कि विदेशी लुटेरों हूण , कुषाणों में’ – ऐसा करके दिया। मैं श्री भाटी की विद्वता का सम्मान करते हुए भी उनके लेख से असहमत हूँ । इसके […]