पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को कभी आसाम के नाम से ही जाना जाता था । हमारे देश की ये वह पवित्र धरती है जो विदेशियों की गुलामी में कभी नहीं रही , यदि अल्पकाल के लिए रहा भी तो उसे बहुत शीघ्र ही हमारे वीर योद्धाओं ने स्वतंत्र करा लिया । इस क्षेत्र में हमारे […]
Category: इतिहास के पन्नों से
आज हिंदू पद पादशाही , हिंदू राष्ट्रनीति , राष्ट्रधर्म और हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती है । जिनका जन्म 19 फरवरी 1630 को हुआ था। यह भी एक संयोग ही है कि 19 फरवरी को शिवाजी का जन्मदिवस है तो 20 फरवरी (1707) औरंगजेब का मृत्यु दिवस है। जब भी किसी […]
महर्षि दयानन्द सामाजिक समता के परमोपासक थे। उन्होंने सामाजिक असमता के लिए भिन्न-भिन्न मतों के प्राबल्य को उत्तरदायी माना। इसलिए वह विभिन्न मतों को समाप्त करके देश में एक मत = ‘वेदमत’ की स्थापना के स्पष्ट पक्षधर थे। उन्होंने लिखा–‘‘उस समय सर्व भूगोल में एक मत था। उसी में सबकी निष्ठा थी और सब एक […]
तानाजी मालुसरे के बलिदान दिवस पर 17 फरवरी 1767 का वह ऐतिहासिक दिन था जब कोंडाणा का किला जीतकर तानाजी मालुसरे ने वहां पर केसरिया झंडा फहराया था। आज हम अपने उस महान शूरवीर तानाजी मालुसरे के बलिदान दिवस पर उन्हें अपने श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। माता जीजाबाई प्रतिदिन की भांति उस दिन भी […]
वीर सावरकर ने सन् 1937 में अपने प्रथम अध्यक्षीय भाषण में कहा था कि हिंदू ही इस देश के राष्ट्रीय हैं और आज भी अंग्रेजों को भगाकर अपने देश की स्वतंत्रता उसी प्रकार प्राप्त कर सकते हैं, जिस प्रकार भूतकाल में उनके पूर्वजों ने शकों, ग्रीकों, हूणों, मुगलों, तुर्कों और पठानों को परास्त करके की […]
कुछ वर्ष पहले मुझे आगरा के लाल किले को देखने का अवसर मिला । जिसके भीतर यह लिखा हुआ था कि यह किला पहले बादलगढ़ के नाम से विख्यात था । कालांतर में इसका नाम आगरा का लाल किला हो गया । इस किले के बारे में यह भ्रांति है कि इसे भी मुगलों के […]
ऑड्रे ट्रश्के (Audrey Truschke) अमरीका के विश्वविद्यालय में पढ़ाती है। आपने औरंगज़ेब को लेकर एक पुस्तक लिखी है जिसका शीर्षक है Aurangzeb The Man and the Myth . इस पुस्तक में लेखिका ने औरंगज़ेब को सेक्युलर, दयालु, प्रजाहितेषी आदि सिद्ध करने का असफल प्रयास किया हैं। लेखिका को ज्ञात है कि भारतियों को उनका इतिहास […]
हमारे देश के एक महान हिंदू सम्राट के रूप में मान्यता प्राप्त हेमचंद्र विक्रमादित्य ने 1553 से 1556 के बीच भारत के बड़े भूभाग पर लगभग 4 वर्ष तक शासन किया । इस महायोद्धा ने 48 माह में 22 युद्ध लड़े अर्थात उसने प्रति 2 माह में 1 एक युद्ध लड़ा और उन सारे युद्धों […]
शाहीन बाग पर सवार होकर केजरीवाल दिल्ली में सांप्रदायिकता का जहर घोलने व सत्ता पाने में सफल हो गये । इस घटना के क्या परिणाम होंगे ? यह तो भविष्य बताएगा , परंतु जो लोग शाहीन बाग के सच को समझ नहीं पाए वह भविष्य में पछताएंगे अवश्य। इस घटना के संदर्भ में अतीत की […]
न्याय की स्थापना के लिए पंडित वर्ग का होना जितना आवश्यक है, उतना ही आवश्यक क्षत्रिय वर्ग का होना भी है। न्याय को क्षत्रिय ही लागू कराता है। यदि क्षत्रिय वर्ग की तलवार (शस्त्र) ब्राह्मण के आदेश (शास्त्रगत दण्ड) को मनवाने के लिए नही हो, तो समाज में अन्याय का प्राबल्य हो जाएगा। इसलिए भारतीय […]