अकबर चित्तौड़ को लेने में सफल हो गया और हमारे इतिहासकारों द्वारा उसे महान होने का गौरव भी दे दिया गया। हम उसे प्रचलित इतिहास में इसी नाम से पढ़ते हैं, पर उसकी महानता को इतिहास पर थोपते ही ‘भारत का इतिहास’ मर गया। अपने गौरवपूर्ण अतीत से मानो भारत का संबंध विच्छेद हो गया। […]
Category: इतिहास के पन्नों से
सावरकर जी की पुण्यतिथि के अवसर पर विशेष इससे पूर्व कि अखंड भारत के साधक और भारतीय राजनीतिक के सबसे दुर्गंधित पक्ष इस्लामिक सांप्रदायिकता के तीव्र विरोधी , सबके साथ समान व्यवहार करने के पक्षधर वीर सावरकर जी की पुण्यतिथि के संदर्भ में उनके जीवन पर हम कुछ प्रकाश डालें , यह बताना उचित समझते […]
इतिहास का यह एक कटु सत्य है कि वैदिक सभ्यता संस्कृति ही संसार की सबसे प्राचीन और प्रमाणिक सभ्यता और संस्कृति है । जब थे दिगंबर रूप में वे जंगलों में थे घूमते । प्रासाद के तोरण हमारे चंद्र को थे चूमते ।। जयशंकर प्रसाद जी ने यह पंक्तियां यूं ही नहीं कह दी होंगी […]
मोहम्मद बिन तुगलक का शासनकाल भारतवर्ष में 1325 ईसवी से 1351 ईसवी तक 26 वर्ष का माना जाता है । हमें इतिहास में इस प्रकार पढ़ाया जाता है कि जैसे उसके शासनकाल में पूर्णरूपेण शांति रही और हिंदू पूर्णतया मरी हुई जाति के रूप में अपने आत्मसम्मान को बेचकर चुपचाप उसके शासनादेशों का पालन करता […]
दसों गुरू और भक्त जन जिनकी वाणी गुरू ग्रन्थ साहब में दर्ज है, मांस शराब आदि के सेवन को महापाप मानते थे। आइये हम सभी जन गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव के पावन पर्व पर उनकी शिक्षाओं पर चलते हुए अपने जीवन में मद्य मांसादि का सेवन कदापि न करने का संकल्प लें जिससे […]
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 12 फरवरी सन 1824 को ग्राम टंकारा मोरवी राज्य गुजरात में पिता कर्षन तिवारी जी के यहां बालक मूल शंकर का जन्म हुआ । यही बालक आगे चलकर ऋषि दयानंद के नाम से विख्यात हुआ । 1838 ईस्वी में शिवरात्रि के दिन सच्चे शिव का बोध जब इस बालक को हुआ […]
गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की जयंती के अवसर पर विशेष अग्नि अर्थात प्रकाश के उपासक भारतवर्ष का सबसे पहला राजवंश वैवस्वत मनु के द्वारा सूर्यवंश के रूप में स्थापित किया गया । इस सूर्यवंश को ही इक्ष्वाकुवंश , अर्कवंश और रघुवंश के नाम से भी जाना जाता है । भारतवर्ष के ही नहीं अपितु समस्त […]
गतांक से आगे… चीनियों के आदि पुरुष के विषय में प्रसिद्ध चीनी विद्वान् यांगत्साई ने सन् 1558 में एक ग्रंथ लिखा था। इस ग्रंथ को सन् 1776 में हूया नामी विद्वान् ने फिर सम्पादित किया।इस उसी पुस्तक का पादरी क्लार्क ने अनुवाद किया है।उसमें लिखा है कि ‘अत्यंत प्राचीन काल के मो०लो० ची० राज्य का […]
प्रस्तुति श्रीनिवास आर्य सन् 1937 में जब हिंदू महासभा काफी शिथिल पड़ गई थी और हिंदू जनता गांधी जी की ओर झुकती चली जा रही थी, तब भारतीय स्वाधीनता के लिए अपने परिवार को होम देनेवाले तरुण तपस्वी स्वातंत्र्य वीर सावरकर कालेपानी की भयंकर यातना एवं रत्नागिरि की नजरबंदी से मुक्त होकर भारत आए। स्थिति […]
पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को कभी आसाम के नाम से ही जाना जाता था । हमारे देश की ये वह पवित्र धरती है जो विदेशियों की गुलामी में कभी नहीं रही , यदि अल्पकाल के लिए रहा भी तो उसे बहुत शीघ्र ही हमारे वीर योद्धाओं ने स्वतंत्र करा लिया । इस क्षेत्र में हमारे […]