जब देश की आजादी का आंदोलन चल रहा था तो अक्सर राजाओं के बारे में यह प्रश्न हमारे मन मस्तिष्क में आता रहता है कि उस समय देशी राजाओं की स्थिति क्या थी ? वे देश के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग ले रहे थे या कहीं कुछ और कर रहे थे ? आज इसी तथ्य […]
Category: इतिहास के पन्नों से
भारत देश की महान वैदिक सभ्यता में नारी को पूजनीय होने के साथ साथ “माता” के पवित्र उद्बोधन से संबोधित किया गया हैं। मुस्लिम काल में भी आर्य हिन्दू राजाओं द्वारा प्रत्येक नारी को उसी प्रकार से सम्मान दिया जाता था जैसे कोई भी व्यक्ति अपनी माँ का सम्मान करता हैं। यह गौरव और मर्यादा […]
(14 मई को जन्मदिवस पर विशेष रूप से प्रचारित) डॉ विवेक आर्य वीर शिवाजी के पुत्र वीर शम्भा जी को अयोग्य आदि की संज्ञा देकर बदनाम करते हैं= जबकि सत्य ये है कि अगर वीर शम्भा जी कायर होते तो वे औरंगजेब की दासता स्वीकार कर इस्लाम ग्रहण कर लेते। वह न केवल अपने प्राणों […]
विश्व का सबसे बड़ा युद्ध था महाभारत का कुरुक्षेत्र युद्ध। इतिहास में इतना भयंकर युद्ध केवल एक बार ही घटित हुआ था। अनुमान है कि महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध में परमाणू हथियारों का उपयॊग भी किया गया था। ‘चक्र’ यानी ‘पहिया’ और ‘व्यूह’ यानी ‘गठन’। पहिए के जैसे घूमता हुआ व्यूह है चक्रव्यूह। कुरुक्षेत्र युद्ध […]
दूरदर्शन पर श्री कृष्ण जी पर धारावाहिक आरम्भ हुआ है। रामानंद सागर जी ने श्री कृष्ण पर धारावाहिक बनाने में पुराणों के सन्दर्भों का प्रयोग किया था। पुराणों में श्री कृष्ण के विषय में वर्णित स्वरुप की तुलना हम महाभारत के श्री कृष्ण से करें तो हम दोनों में बहुत भेद पाते हैं। इस लेख […]
प्रीटी शिमला शहर के प्रमुख आकर्षणों में वाइसराय लॉज, क्राइस्ट चर्च, जाखू मन्दिर, माल रोड और रिज शामिल हैं। यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल के रूप में घोषित ब्रिटिश-निर्मित कालका-शिमला रेलवे लाइन भी एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला देश के लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में से एक है। दिल्ली और उसके […]
10 मई 1857 की प्रातः कालीन बेला। स्थान मेरठ । क्रांति का प्रथम नायक धनसिंह गुर्जर कोतवाल। नारा – ‘मारो फिरंगियों को।’ मेरठ में ईस्ट इंडिया कंपनी की थर्ड केवल्री की 11 और 12 वी इन्फेंट्री पोस्टेड थी । 10 मई 1857 रविवार का दिन था। रविवार के दिन ईसाई अंग्रेज अधिकतर चर्च जाने की […]
भारत के जीवंत इतिहास के जिन उज्ज्वल पृष्ठों को छल प्रपंचों का पाला मार गया उनमें महाराणा प्रताप का गौरवमयी व्यक्तित्व सर्वाधिक आहत हुआ है। मैथिलीशरण गुप्त ने कभी लिखा था- जिसको न निज गौरव न निज देश का अभिमान है। वह नर नही नर पशु निरा है और मृतक समान है।। जब ये पंक्तियां […]
आचार्य ज्ञान प्रकाश वैदिक महाराणा प्रताप मेवाड़ के शासक और एक वीर योद्धा थे जिन्होंने कभी अकबर की अधीनता स्वीकार नही की। उनका जन्म सिसोदिया कुल में हुआ था। महाराणा प्रताप जीवनपर्यन्त मुगलों से लड़ते रहे और कभी हार नही मानी। महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुम्भलगढ़ में हुआ था। […]
बी पी मेनन भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के निजी सचिव थे । उन्होंने कहा था कि जो राष्ट्र अपना इतिहास तथा अपना भूगोल भूल जाता है उस राष्ट्र का विनाश अटल है। आज के संदर्भ में भी मेनन के उपरोक्त शब्द अक्षरश: सत्य सिद्ध होते हैं । संसार के किसी […]