लेखक डॉ. त्रिभुवन सिंह 400 वर्ष पूर्व जब ईस्ट इंडिया कंपनी के तथाकथित व्यापारी भारत आये तो वे भारत से सूती वस्त्र, छींटज़ के कपड़े, सिल्क के कपड़े आयातित करके ब्रिटेन के रईसों और आम नागरिकों को बेंचकर भारी मुनाफा कमाना शुरू किया। ये वस्त्र इस कदर लोकप्रिय हुवे कि 1680 आते आते ब्रिटेन […]
Category: इतिहास के पन्नों से
‘तबकाते अकबरी’ के लेखक का मानना है कि महाराणा प्रताप ने 1572 ई. में जब मेवाड़ का राज्यभार संभाला था तो अकबर ने उन्हें समझा-बुझाकर अपने दरबार में बुलाने का प्रयास किया था। अकबर ने महाराणा को समझाने – बुझाने के लिए चार बार अपने दूत भेजे थे। इन दूतों में पहला व्यक्ति अकबर का […]
भारत में ही नहीं सारे विश्व में भी इस्लाम को मानने वाले लुटेरे बादशाह , सुल्तान या आक्रमणकारी जहाँ जहाँ भी गए , वहाँ – वहाँ ही उन्होंने स्थानीय लोगों के धार्मिक स्थलों का विध्वंस करना अपनी प्राथमिकता में सम्मिलित किया । इसका कारण केवल एक ही था कि इस्लाम को मानने वाले लोग पहले […]
हमारा इतिहास आज भी गुलाम है
आज स्वतंत्र भारत होते हुए भी भारतीय इतिहासकार मूलत विदेशी इतिहासकारों और मुग़लों के वेतनभोगी इतिहास लेखकों का अनुसरण करते दीखते हैं। इसी कड़ी में अपनी स्वामी भक्ति का परिचय देते हुए बाजीराव मस्तानी फ़िल्म के माध्यम से मराठा शक्ति के उद्भव और बाजीराव की वीरता से चिढ़ कर अपनी दकियानूसी मानसिकता का परिचय […]
लाभेश जैन (कांसवा) बंगलौर 9844402727 हाकीम खान सूरी का जन्म 1538 ई. में हुआ | ये अफगान बादशाह शेरशाह सूरी के वंशज थे | *साम्प्रदायिक सौहार्द्र व आत्म स्वाभिमान के लिए महाराणा प्रताप की सेना में शामिल हुए।* महाराणा प्रताप का साथ देने के लिए ये बिहार से मेवाड़ आए व अपने 800 से 1000 […]
नीरज कुमार पाठक का संकलन 1600 साल बाद भी लोहे के इस खम्भे पर नहीं लगी है जंग, दुनिया में आज भी ऐसी कई सारी चीजें हैं जो इतिहासकारों के लिए किसी पहेली से कम नहीं है ऐसी ही एक पहेली है दिल्ली में कुतुबमीनार परिसर में स्थित यह लौह स्तम्भ जो 98 % शुद्ध […]
(इतिहास निर्माण करने वाली घटना) राजिंदर सिंह गुरु गोविन्द सिंह एक ऐसे सामर्थ्यवान् व्यक्ति की खोज करने लगे जिसको वे भावी नेतृत्व सौंप सकें। अपने दीवानों और सभासदों से विचार-विमर्श करने के बाद उन्होंने नान्देड़ के एक आश्रम में वर्षों से रह रहे वैरागी माधोदास को नेतृत्व सौंपने का मन बना लिया। भट्ट स्वरूप […]
हल्दीघाटी के मैदान में युद्ध करने की योजना महाराणा प्रताप ने गोगुंदा के किले में ही बनाई थी। जब मेवाड़ और दिल्ली के बीच संधि न हो पाई तो मानसिंह मुगलों की एक विशाल सेना लेकर महाराणा प्रताप पर चढ़ाई करने के लिए चल पड़ा। महाराणा प्रताप ने एक रणनीति के तहत हल्दीघाटी को युद्ध […]
भारत में दास का अर्थ स्पष्ट करने वाले कई प्राचीन तथा आधुनिक उदाहरण हैं। ऋग्वेद का एक मात्र उपलब्ध ब्राह्मण ऐतरेय है जिसका लेखक ऐतरेय महिदास है। यदि दास पशु की तरह खरीदे गुलाम होते तो वह न ब्राह्मण ग्रन्थ लिख पाता, न वह आज तक आदृत होता। काशी के राजा के रूप में दिवोदास […]
————————————————————— मेवाड़ और मारवाड के बीच स्थायी सीमा निर्धारण महाराणा कुम्भा और जोधा के वक़्त हुआ. पर इसके पीछे की कहानी बहुत रोचक है. सीमा तय करने के लिए जोधा और कुम्भा के मध्य संधि हुई. “जहाँ बबूल वहाँ मारवाड और जहाँ आम-आंवला वह मेवाड़” की तर्ज पर सीमा निर्धारण था. क्या था बबूल और […]