20 जुलाई/जन्म-दिवस भारतवर्ष में गत 1,400 वर्ष से मेवाड़ का सूर्यवंशी राजपरिवार हिन्दू धर्म, संस्कृति और सभ्यता का ध्वजवाहक बना हुआ है। 20 जुलाई, 1921 को जन्मे महाराणा भगवत सिंह जी इस गौरवशाली परम्परा के 75वें प्रतिनिधि थे। महाराणा की शिक्षा राजकुमारों की शिक्षा के लिए प्रसिद्ध मेयो काॅलेज तथा फिर इंग्लैंड में हुई। वे […]
Category: इतिहास के पन्नों से
-सुरेश चिपलूनकर कुछ समय पहले उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बयान दिया था कि “ताजमहल को भारत की परम्परा और विरासत नहीं माना जा सकता”. जैसी कि उम्मीद थी, योगी आदित्यनाथ के इस बयान को लेकर “सेकुलरिज्म एवं वामपंथ” के नाम पर पाले-पोसे जाते रहे परजीवी तत्काल बाहर निकलकर विरोध प्रकट करेंगे. इसी […]
भारत वर्ष के चालाक चतुर धूर्त राज नेताओं ने 1945 में अनुस्थ्ति चुनावों में देश की हिन्दू जनता से वोट यह कह कर लिया कि कांग्रेस को वोट दें। हम किसी भी कीमत पर मुस्लिम लीग की मांग के हिसाब से देश का विभाजन स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने गांधी की प्रतिष्ठा को भी दाव पर […]
प्रियांशु सेठ वर्तमान समय में आज भी हमारे देश में स्त्रियों का अपमान हो रहा है, विभिन्न प्रकार के धार्मिक पुस्तक बनाएं जा रहे हैं, धर्म भी विभाजित कर दिए गए हैं जिसमें स्त्रियों को कलंकित किया जा रहा है जिसका प्रभाव हमारे साधारण भाइयों, जवान युवक पर पड़ रहा है। वो उन्हें सदैव […]
मनु बेन के आइने में गांधी(1): मनु बेन महात्मा गाँधी के अंतिम वर्षों की निकट सहयोगी थीं। मनु को प्रायः गाँधीजी की पौत्री कहा जाता है। वास्तव में यह रिश्ता बहुत दूर का था। वह गाँधीजी के चाचा की प्रपौत्री थी। लगभग अशिक्षित, सोलह-सत्रह वर्ष की लड़की, जिस के पिता जयसुखलाल गाँधी एक लाचार से […]
डॉ. शिबन कृष्ण अश्विनी कुमार चरंगू ने एक बयान जारी कर तेरह जुलाई को ‘कश्मीर-संकल्प-दिवस’ के रूप में मनाने का अनुरोध किया है। साथ ही निर्वासित कश्मीरी-पंडितों के बलिदान, त्याग और धैर्य की प्रशंसा करते हुए समुदाय के लोगों से निवेदन किया है कि वे एकजुट रहें। 5 अगस्त, 2019 को केंद्र-सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 […]
लेखक:- प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज, लेखक प्रसिद्ध विचारक और समाजशास्त्री हैं। भारत पर अंग्रेजों की असली जीत 14 एवं 15 अगस्त 1947 ईस्वी को हुई, क्योंकि उस दिन पहली बार वे भारत में एक ऐसे उत्तराधिकारी समूह को अपनी सत्ता सौंप कर जाने में सफल हुये जो उनसे कई गुना बढ़कर अंग्रेजों का भक्त था […]
45 साल के महात्मा गाँधी 1915 में भारत आते हैं, 2 दशक से भी ज्यादा दक्षिण अफ्रीका में बिता कर। इससे 4 साल पहले 28 वर्ष का एक युवक अंडमान में एक कालकोठरी में बन्द होता है। अंग्रेज उससे दिन भर कोल्हू में बैल की जगह हाँकते हुए तेल पेरवाते हैं, रस्सी बटवाते हैं और […]
सम्पूर्ण विश्व में इस्लाम अरब से निकल कर जहां भी गया वहां के लोग पुराने धर्म सभ्यता को भूलकर इस्लाम को ही अपना धर्म मानने लगे। चाहे वह मिश्र की 5000 वर्ष पुरानी सभ्यता हो या ईरान की। आज ये सभी राष्ट्र इस्लामिक राष्ट्र के रूप में प्रसिद्ध हैं। लेकिन, हिंदुस्तान ने कई चुनौतियों का […]
लंदन में हमारे कुछ सिख भाई पाकिस्तानी मुसलमानों के बहकावें में आकर अपने ही भारतवासी लोगों के साथ मार-पीट करने और नारा-ए-तकबीर अल्लाह-हो-अकबर के नारे लगाते मिले। पूर्व में भी यह खालिस्तानी आपको हिन्दू धर्म से अलग दिखाने की होड़ में “हम हिन्दू नहीं हैं” , “सिख गौ को माता नहीं समझते”, “सिख मुसलमानों के […]