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इतिहास के पन्नों से भयानक राजनीतिक षडयंत्र

इतिहास पर गांधीवाद की छाया , अध्याय — 3 गांधीजी और उनकी अहिंसा

अहिंसा और गांधीजी महात्मा गांधी की अहिंसा को लेकर आरम्भ से ही वाद विवाद रहा है। इसमें कोई सन्देह नही कि अहिंसा भारतीय संस्कृति का प्राणातत्व है। पर यह प्राणतत्व दूसरे प्राणियों की जीवन रक्षा के लिए हमारी ओर से दी गयी एक ऐसी गारंटी का नाम है, जिससे सब एक दूसरे के जीवन की […]

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इतिहास के पन्नों से भयानक राजनीतिक षडयंत्र

इतिहास पर गांधीवाद की छाया , अध्याय – 2 , जलियांवाला बाग हत्याकांड पर गांधीजी देशवासियों के साथ नहीं थे

सन 1919 में भारतीय इतिहास में जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड की एक बहुत ही निर्दयतापूर्ण घटना घटित हुई थी। उस समय देश के लोगों की एक स्वर से मांग थी कि नरसंहार के खलनायक जनरल डायर पर अभियोग चलाया जाए । लोगों का आक्रोश उफ़न रहा था और जिन लोगों ने इस हत्याकाण्ड में अपने बलिदान […]

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जम्मू कश्मीर में 35 ए , शेख अब्दुल्ला और पंडित नेहरू की कहानी

डाँ. मनमोहन वैद्य भारत सरकार का अनुच्छेद 370 में संशोधन, 35 ए समाप्त करने और जम्मू-कश्मीर राज्य को सभी संवैधानिक प्रावधानों का लाभ देने का फैसला भारत के नागरिकों से किए वादे को पूरा करने की दिशा में उठाया गया कदम है अनुच्छेद 370 में संशोधन, 35ए को हटाने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित […]

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इतिहास पर गांधीवाद की छाया : अध्याय -1 , महात्मा गांधी का आदर्श औरंगजेब था शिवाजी नहीं

गांधीजी का आदर्श औरंगजेब है 06 दिसम्बर 2017 को ‘बीबीसी’ ने एक लेख ‘औरंगजेब और मुगलों की तारीफ क्यों करते थे- महात्मा गांधी’ – शीर्षक से प्रकाशित किया। इस लेख में ‘बीबीसी’ ने बताया कि गांधीजी के औरंगजेब और मुगल शासकों के प्रति बहुत ही नेक विचार थे। वह उनके धर्मनिरपेक्ष विचारों के प्रशंसक थे […]

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पुण्यतिथि पर विशेष : मुगल वंश के शासक शाहजहां की बेटी जहाँआरा की सबसे चालाक और खर्चीली मुगल बेगम

मुगल सल्तनत में सबसे चतुर, सबसे सुंदर, सबसे विवादास्पद और सबसे धनी कोई शहजादी थी तो वो जहांआरा थीं. शाहजहां की बेटी और औरंगजेब की बहन . उनको लेकर तमाम किस्से हैं. चांदनी चौक का नक्शा उन्हीं की देखरेख में बना. वो विदेशों से व्यापार करती थीं. आज से ठीक 339 साल पहले मुगल सल्तनत […]

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सम्राट ललितादित्य और कश्मीर

जवाहरलाल कौल भारत और विशेषकर जम्मू कश्मीर के इतिहास में ललितादित्य का नाम उनकी शानदार विजय-यात्राओं के कारण प्रसिद्ध रहा है। कुछ लोग मार्तंड मंदिर के कारण भी उन्हें स्मरण करते हैं। लेकिन विकासमान भारत के संदर्भ में अगर वे किसी बात के लिए प्रासंगिक हैं तो उनकी विदेश नीति और अपनी समरनैतिक सूझबूझ के […]

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….. सच कहता हूं तब यह आजादी आई थी

🔥हैदराबाद आंदोलन और आर्य समाज🔥 _लाखों वीरों ने जब गर्दन कटवाई थी,_ _सच कहता हूं तब यह आजादी आई थी।_ *आज से लगभग 70 वर्ष पूर्व 17 सितंबर 1948 को हैदराबाद राज्य (वर्तमान का हैदराबाद शहर और कर्नाटक राज्य) का विलय भारतीय संघ मे हुआ था।* तत्कालीन हैदराबाद राज्य में बहुमत जनता हिन्दू थी पर […]

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हैदराबाद सत्याग्रह के समय आर्य समाज ने उभारा था एक प्रखर राष्ट्रवादी आंदोलन

- (लेखक: स्व. वसंत ब. पोतदार) महर्षि दयानंद सरस्वती ने 1875 में आर्य समाज की स्थापना की. उनकी मातृभाषा गुजराती थी, पर उन्होंने हिंदी भाषा का बहुत अध्ययन किया और आर्य समाज का भारत भर में विस्तार किया. हिंदू समाज की दुर्बलताओं को देखकर महर्षि दयानंद सरस्वती बहुत परेशान रहते थे. हिंदुओं की दीनहीन अवस्था […]

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तमिल काव्य में राष्ट्रवादी स्वर: सुब्रमण्यम भारती

12 सितम्बर/पुण्य तिथि पर विशेष भारतीय स्वातंत्र्य संग्राम से देश का हर क्षेत्र और हर वर्ग अनुप्राणित था। ऐसे में कवि भला कैसे पीछे रह सकते थे। तमिलनाडु में इसका नेतृत्व कर रहे थे सुब्रह्मण्य भारती। यद्यपि उन्हें अनेक संकटों का सामना करना पड़ा; पर उनका स्वर मन्द नहीं हुआ। सुब्रह्मण्य भारती का जन्म एट्टयपुरम् […]

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हरियाणा का स्वतंत्रता संग्राम , भाग – 1

लेखक- स्वामी ओमानन्द सरस्वती (आचार्य भगवान् देव) प्रस्तोता- अमित सिवाहा दिल्ली के चारों ओर डेढ़ सौ – डेढ़ सौ मील की दूरी तक का प्रदेश हरयाणा प्रान्त कहलाता है । सारे प्रान्त में जाट, अहीर, गूजर, राजपूत आदि योद्धा (जुझारू) जातियां बसती हैं । इसीलिये हरयाणा ने इस युद्ध में सब प्रान्तों से बढ़-चढ़कर भाग […]

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