30 सितम्बर/जन्म-दिवस यों तो भारत में देववाणी संस्कृत के गर्भ से जन्मी सभी भाषाएँ राष्ट्रभाषाएँ हैं, फिर भी सबसे अधिक बोली और समझी जाने के कारण हिन्दी को भारत की सम्पर्क भाषा कहा जाता है। भारत की एकता में हिन्दी के इस महत्व को अहिन्दी भाषी प्रान्तों में भी अनेक मनीषियों ने पहचाना और विरोध […]
Category: इतिहास के पन्नों से
29 सितम्बर/बलिदान-दिवस भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं ने भी कदम से कदम मिलाकर संघर्ष किया था। मातंगिनी हाजरा एक ऐसी ही बलिदानी माँ थीं, जिन्होंने अपनी अशिक्षा, वृद्धावस्था तथा निर्धनता को इस संघर्ष में आड़े नहीं आने दिया। मातंगिनी का जन्म 1870 में ग्राम होगला, जिला मिदनापुर, पूर्वी बंगाल (वर्तमान बांग्लादेश) […]
(जन्म जयन्ती पर विशेष 28 सितम्बर 1907 ई.) सरदार भगत सिंह के बंगा गांव में उनकी स्मृति में बने संग्रहालय को देखने का अवसर मिला। दीवारों पर लगे अखबारों में महाशय राजपाल की हत्या की खबरे पढी… उनके अंतिम संस्कार की खबरे पढ़ी। वह भक्तिदर्पण पुस्तक देखी, जिसे महाशय राजपाल जी ने छापा था और […]
२५.सिंधिया की सेना में हनोवर का अन्थोनी पोहिमन्न एक सैन्य अधिकारी था जिसके अधीन फिरंगी रेजिमेंट थी .वे सिंधिया की सेवा में थे. आदिलशाह की सेवा में पुर्तगाल का फर्नाओ लोप्स था . भोपाल का नवाब वस्तुतः गोंड राजा का अफगान सेवक था और इनाम में भोपाल जागीर पाया था . उसकी सेवा में ज्यां […]
१७ . जहाँ शिवाजी महाराज किसी विदेशी को धर्म बदलने नहीं कहते थे ,वहीँ मुस्लमान शासक उन्हें पहले इस्लाम कबूलने की शर्त रखते थे पर यूरोप के बेचारे इन गरीब दुखियारों की दशा इतनी गड़बड़ थी कि वे सुखी जीवन के लिए रिलिजन त्याग कर मज़हब कबूल करने खींचे चले जाते थे .उसमे सेक्स की […]
१२. स्वयं वस्कोदेगामा ने लिखा है कि जब मैं भारत आया तो अनेक इतालवी और यूरोपीय सैनिक मालाबार एवं पश्चिमी तट के विभिन्न राजाओं के यहाँ सैनिक की नौकरी कर रहे थे ,तब भी भारत में जो अभागे यह पढ़े और पढाये जा रहे हैं कि कोलंबस ने अमेरिका खोजा (भयंकर झूठ)और वास्को ने भारत […]
( भारत के अभिजनों के लिए ही है यह लेखमाला यानी सचमुच अभिजन मानते हों जो स्वयं को और भारतीय हों उनके लिए है । आम आदमी , फलां दल के समर्थक आदि के लिए यह व्यर्थ और अनुपयोगी है. यह अति विशेष लोगों के लिए है । कृपया टिप्पणी करने का अधिकार तभी मानें […]
राकेश उपाध्याय (लेखक बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में व्याख्याता है।) वाराणसी से गोरखपुर जाइए तो सड़क के रास्ते या रेल के रास्ते वाराणसी से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित औडि़हार जंक्शन पर हर ट्रेन और बस ठहरती है। भारतीय इतिहास के वीर प्रवाह को समझने के लिए यह स्थान बेहद महत्वपूर्ण है। बिल्कुल गंगा के किनारे […]
डॉ. हेमेन्द्र कुमार राजपूत महाभारत में स्वयं महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास जी ने सम्पूर्ण जम्बूद्वीप का प्रादेशिक भ्रमण करके जो कुछ भौगोलिक इतिहास लिखा, वह कहीं अन्यत्र नहीं मिलता। साथ ही उन्होंने अखण्ड महाभारत वर्ष जिसे जम्बूद्वीप कहते हैं, का सांस्कृतिक और सामाजिक एवं राजनैतिक इतिहास हमारे सामने प्रस्तुत किया जिसे आज के आधुनिक […]
सम्राट ललितादित्य और कश्मीर
जवाहरलाल कौल भारत और विशेषकर जम्मू कश्मीर के इतिहास में ललितादित्य का नाम उनकी शानदार विजय-यात्राओं के कारण प्रसिद्ध रहा है। कुछ लोग मार्तंड मंदिर के कारण भी उन्हें स्मरण करते हैं। लेकिन विकासमान भारत के संदर्भ में अगर वे किसी बात के लिए प्रासंगिक हैं तो उनकी विदेश नीति और अपनी समरनैतिक सूझबूझ के […]