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इतिहास के पन्नों से

सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया का सार [ हिन्दू राजनैतिक दल की आवश्यकता लेखमाला ] भाग -6

४९. १८५७ का संग्राम वस्तुतः भारत के राजाओं के दो समूहों का आपसी संग्राम था जिसमे एक पक्ष ने अंग्रेजों का साथ लिया और दिया . ध्यान रहे लिया भी ,केवल दिया नहीं .(थोड़ी भी स्वतंत्र बुद्धि हो तो राजस्थान के राजाओं को विक्तोरिया से हाथ मिलाते चित्र देख लो जो संग्रहालयों में हैं :२ […]

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इतिहास के पन्नों से भयानक राजनीतिक षडयंत्र

इतिहास पर गांधीवादी की छाया , अध्याय – 7, कॉंग्रेस अध्यक्ष नेताजी सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष और गांधीजी 1938 में हरिपुरा अधिवेशन के वार्षिक अधिवेशन के लिए सुभाष चंद्र बोस को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था । वास्तव में कांग्रेस के द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अध्यक्ष पद पर बैठाए जाने की यह घटना अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण थी ,क्योंकि इसके पश्चात तथाकथित ‘गांधी युग’ […]

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इतिहास के पन्नों से देश विदेश हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

आज शास्त्री जयंती पर विशेष : जब सोवियत संघ के तत्कालीन प्रधानमंत्री अलेक्सी कोशिगिन ने कहा था हम बस नाम के कम्युनिस्ट है लेकिन शास्त्री सुपर कम्युनिस्ट है

‘Who After Nehru’ यानी, ‘नेहरू के बाद कौन?’ मई 27, 1964 को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अखबारों के पहले पन्नों पर यही प्रमुख शीर्षक था। 1964 में जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने भारत के प्रधानमंत्री का पद संभाला। जिस तरह […]

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सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया का सार [ हिन्दू राजनैतिक दल की आवश्यकता लेखमाला ] भाग -6

४९. १८५७ का संग्राम वस्तुतः भारत के राजाओं के दो समूहों का आपसी संग्राम था जिसमे एक पक्ष ने अंग्रेजों का साथ लिया और दिया . ध्यान रहे लिया भी ,केवल दिया नहीं .(थोड़ी भी स्वतंत्र बुद्धि हो तो राजस्थान के राजाओं को विक्तोरिया से हाथ मिलाते चित्र देख लो जो संग्रहालयों में हैं :२ […]

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इतिहास के पन्नों से भयानक राजनीतिक षडयंत्र

इतिहास पर गांधीवाद की छाया , अध्याय – 6, मुस्लिम तुष्टिकरण और महात्मा गांधी

इतिहास पर गांधीवादी की छाया, अध्याय – 6 मुस्लिम तुष्टिकरण और गांधीजी लियोनार्ड मोसले के अनुसार भारत विभाजन के समय बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के उपरान्त भी महात्मा गांधी ने कहा था- “चाहे पाकिस्तान में समस्त हिन्दू व सिख मार दिए जाएं, पर भारत के एक कमज़ोर मुसलमान बालक की भी रक्षा होगी ।” […]

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भारतीय स्वाधीनता के राष्ट्रपुरूष महात्मा गांधी

2 अक्तूबर/जन्म-दिवस मोहनदास करमचन्द गांधी का जन्म दो अक्तूबर, 1869 को पोरबन्दर( गुजरात) में हुआ था। उनके पिता करमचन्द गांधी पहले पोरबन्दर और फिर राजकोट के शासक के दीवान रहे। गांधी जी की माँ बहुत धर्मप्रेमी थीं। वे प्रायः रामायण, महाभारत आदि ग्रन्थों का पाठ करती रहती थीं। वे मन्दिर जाते समय अपने साथ मोहनदास […]

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सरदार भगत सिंह और धर्मनिरपेक्षता की विचारधारा

पिछले दिनों वामपंथी मिजाज वाली एक पत्रिका ने भगत सिंह पर लंबा चौड़ा लेख लिखा। अपने लेख में भगत सिंह को कोट करते हुए वो लिखते हैं कि जिस व्यक्ति (भगत सिंह) ने खुद कहा हो कि अभी तो मैंने केवल बाल कटवाए हैं, मैं धर्मनिरपेक्ष होने और दिखने के लिए अपने शरीर से सिखी […]

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इतिहास के पन्नों से

सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया का सार [ हिन्दू राजनैतिक दल की आवश्यकता लेखमाला ] – भाग – 5

३७. १८ वीं शताब्दी ईस्वी में भारत का व्यापार इतना विशालं था कि ईस्ट इंडिया कंपनी के दरिद्र से दीखते फुटकरिया व्यापारी किसी गिनती में नहीं थे .  ३८ कहाँ सोना , चांदी,हीरे मोती ,मूंगा, पन्ना रत्नों ,, जवाहरात , सुन्दरतम सूती ,ऊनी, रेशमी वस्त्र , गुड , शकर खांड , सैकड़ों मसालों ,का बड़ी […]

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इतिहास के पन्नों से भयानक राजनीतिक षडयंत्र

इतिहास पर गांधीवाद की छाया अध्याय, 5 – क्या महात्मा गांधी वास्तव में महात्मा थे ?

गांधी जी के ‘सच’ को क्योंकि इतिहास ने छुपाने का ‘पाप’ किया है , इसलिए बहुत से लोग हैं जो गांधीजी के ‘सच’ पर लिखे गए किसी लेख पर बड़ी कठोर टिप्पणी किया करते हैं । इस विषय में उन्हें कुछ और अधिक जानकारी गांधीजी के विषय में लेनी चाहिए । गांधी जी अपने लिए […]

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इतिहास के पन्नों से

देशभक्त सूफी अंबा प्रसाद के बारे में

प्रखर देशभक्त सूफी अम्बाप्रसाद सूफी अम्बाप्रसाद का जन्म 1858 में मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) के एक सम्पन्न भटनागर परिवार में हुआ था। जन्म से ही उनका दाहिना हाथ नहीं था। कोई पूछता, तो वे हंसकर कहते कि 1857 के संघर्ष में एक हाथ कट गया था। मुरादाबाद, बरेली और जालंधर में उन्होंने शिक्षा पायी। पत्रकारिता में […]

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