मनीषा सिंह भारत का अतीत बड़ा गौरवमय रहा है। भारत की धरती को शस्यश्यामला कहा जाता है, रत्नगर्भा कहा जाता है, इतना ही नही अपितु वीरप्रसविनी कहा जाता है क्योंकि समय समय पर भारत मां की कोख से महान दार्शनिक ऋषि मुनि, राष्ट्रनायक उन्नायक, महान नेता युग प्रणेता, अन्वेषक, वैज्ञानिक और वीर-वीरांगनाएं उत्पन्न होते रहे […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
गुंजन अग्रवाल सम्राट हेमचन्द्र विक्रमादित्य, भारतीय इतिहास के विस्मृत उन चुनिन्दा लोगों में हैं जिन्होंने इतिहास की धारा मोड़कर रख दी थी। हिंदू-सम्राट हेमचन्द्र विक्रमादित्य, पृथ्वीराज चौहान (1179-1192) के बाद इस्लामी शासनकाल के मध्य सम्भवत: दिल्ली के एकमात्र या अन्तिम हिंदू-सम्राट हुए। वह विद्युत की भांति चमके और देदीप्यमान हुए। उन्होंने अलवर (राजस्थान) के बिल्कुल […]
भीमराव, अंबेडकर, बाबासाहब विश्व के साथ भारत भी कोरोना महामारी से जूझ रहा है और पूरा देश लॉकडाउन में है। इसी बीच आज भारत के महान सपूत बाबासाहब डॉ भीमराव रामजी अंबेडकर की जयंती भी है। महामारी के दौरान कुछ समुदायों के प्रतिनिधियों की गैरजिम्मेदारी और सुनियोजित लापरवाही के कारण बिगड़ी स्थिति और इससे उठते […]
लेखक – राजबहादुर शर्मा, लेखक से.नि. ब्रिगेडियर और रक्षा मामलों के विशेषज्ञ हैं। भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी सामाजिक संस्कृति है। वायुपुराण में भरत की कहानी आती है जो कि आधुनिक इतिहासकारों की समझ से परे है। पिछले हजारों वर्षों में स्थानीय और विदेशियों द्वारा बड़ी संख्या में रचे गए साहित्य, पुरातात्विक प्रमाणों और […]
……………………….. 4 सितम्बर/जन्म-दिवस पर विशेष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की योजना से कई प्रचारक शाखा कार्य के अतिरिक्त समाज जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी काम करते हैं। ऐसा ही एक क्षेत्र वनवासियों का भी है। ईसाई मिशनरियां उन्हें आदिवासी कहकर शेष हिन्दू समाज से अलग कर देती हैं। उनके षड्यन्त्रों से कई क्षेत्रों में अलगाववादी […]
4 सितम्बर/जन्म-दिवस दादा भाई नौरोजी का जन्म चार सितम्बर, 1825 को मुम्बई के एक पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री नौरोजी पालनजी दोर्दी तथा माता श्रीमती मानिकबाई थीं। जब वे छोटे ही थे, तो उनके पिता का देहान्त हो गया; पर उनकी माता ने बड़े धैर्य से उनकी देखभाल की। यद्यपि वे शिक्षित […]
जो लोग यह मानते हैं कि भारत में कभी एक राष्ट्र की भावना नहीं रही वह भारत के इतिहास और भारतीय और भारतीय संस्कृति के प्रति शत्रुभाव रखने वाले हैं । भारत प्राचीन काल से राष्ट्र , राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता के भाव से भरा हुआ रहा है । इस भावना को भंग करने के दृष्टिकोण […]
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दारा शिकोह के चरित्र में क्या खोजा की उसकी कब्र की तलाश हो रही है। कहते हैं, हीरे की कदर जौहरी ही कर सकता है। दारा शिकोह अन्य मुगलों से एकदम अलग विचारों वाला मुग़ल बादशाह था, जिसकी महानता को पाखंडी, छद्दम धर्म-निरपेक्षों, कुर्सी के भूखे और […]
प्रस्तुति – सूर्य सेन अजीब लगता है जबकि भारत में सिकंदर को महान कहा जाता है और उस पर गीत लिखे जाते हैं। उस पर तो फिल्में भी बनी हैं जिसमें उसे महान बताया गया और एक कहावत भी निर्मित हो गई है- ‘जो जीता वही सिकंदर’। यह कहानी है 2000 वर्ष पुरानी। तब भारत […]
– मुरली मनोहर श्रीवास्तव • 21 अगस्त से पहले ही मिट गई उस्ताद की आखिरी निशानी • 21 मार्च 1916 को जन्मे उस्ताद, 21 अगस्त 2006 को हुआ निधन • पांच समय के नमाजी बिस्मिल्लाह मंदिरों में करते थे शहनाई वादन • डुमरांव जन्मभूमि तो वाराणसी को बनाया कर्मभूमि ….कल चमन था आज एक उजड़ा […]