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इतिहास के पन्नों से

नेहरू और हरि सिंह का वह पत्राचार जो बताता है कि कश्मीर मसले को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने के पीछे क्या थी रणनीति

पीयूष बबेले 1958 में जवाहर लाल नेहरू । ‘हम यह मामला संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा समिति के सामने प्रस्तुत करेंगे. उसके बाद सुरक्षा समिति शायद अपना एक कमीशन भारत भेजेगी. अलबत्ता, इस बीच हम आज की तरह (कश्मीर में) अपनी सैन्य कार्रवाई को जारी ही रखेंगे. बेशक इन कार्रवाइयों को हम अधिक जोरों से […]

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इतिहास के पन्नों से

जब महात्मा गांधी ने अपने बेटे मणिलाल से पूछा था : फातिमा से भी वह अधर्म है, तुम्हारे बच्चों का धर्म क्या होगा?

  तनिष्क के विवादित वीडियो ने लव-जिहाद, हिन्दू-मुस्लिम विवाह, इनके पीछे छुपे नैरेटिव आदि विषयों को बहस का विषय बना दिया। ऐसा शायद ही कभी हुआ हो कि देश के विचारकों ने किसी भी बहस के बीच महात्मा गाँधी का जिक्र न किया हो। इसी कड़ी में सेक्स और टीनएज कॉलेज रोमांस की फिक्शन कथाएँ लिखने वाले चेतन भगत […]

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इतिहास के पन्नों से

जब मनाया गया था बंग भंग के विरोध में अद्भुत रक्षाबंधन

16 अक्तूबर/इतिहास-स्मृति   भारतीय स्वतन्त्रता के इतिहास में बंग भंग विरोधी आन्दोलन का बहुत महत्व है। इसमें न केवल बंगाल, अपितु पूरे भारत के देशभक्त नागरिकों ने एकजुट होकर अंग्रेजों को झुकने पर मजबूर कर दिया था। उन दिनों देश के मुसलमान भी हिन्दुओं के साथ मिलकर स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष कर रहे थे। अंग्रेज […]

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इतिहास के पन्नों से

‘पाकिस्तान’ की नींव बंगाल में ही पड़ी थी

शुशोभित 16 अगस्त, 1946 यानी भारत की स्वतंत्रता से ठीक एक साल पहले कलकत्ते में पहला दंगा भड़का और बंगाल के गांवों तक फैल गया. दंगों को मुस्लिम लीग द्वारा जानबूझकर भड़काया गया था. भारत के मजहबी बंटवारे की चर्चा के बीच मैं आपको बंगाल की ‘कलंक-कथा’ सुनाता हूं. वर्ष 1927 में मुस्लिम लीग के […]

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इतिहास के पन्नों से राजनीति संपादकीय

आचार्य चाणक्य की छः सूत्रीय विदेश नीति और मोदी सरकार

  ”अपनी नीति तो अपनाओ, लेकिन शत्रु की युद्ध नीति को समझना भी उतना ही आवश्यक है। युद्ध में अपने शत्रु की भान्ति सोचना भी आवश्यक है। जो भी नीति हो, उसे गुप्त रखो। उसे केवल अपने कुछ विश्वासपात्र सहयोगियों को बताओ। अच्छे के लिए सोचो, पर बुरे से बुरे के लिए भी उद्यत रहो।” […]

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इतिहास के पन्नों से

जोगेंद्र नाथ मंडल की एक गलती, लाखों हिंदुओं का नरसंहार और धर्म परिवर्तन का कारण बनी

अभिषेक सिंह राव भारत विभाजन अपने आप में असंख्य किस्से-कहानियां समेटे हुए है. बंटवारें के लिए जिन्ना की ज़िद हो या सत्ता के लिए नेहरू की जद्दोजहद, सबकी अपनी-अपनी कहानियां हैं और इन कहानियों में कुछ ऐसी भी हैं कि 70 साल बाद भी नए-नए किस्से-किरदार निकल आते हैं।कुछ किस्से ऐसे हैं कि उन्हें जितना […]

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इतिहास के पन्नों से भयानक राजनीतिक षडयंत्र

इतिहास पर गांधीवाद की छाया : अध्याय — 9, नेहरू और सुभाष के बीच फूट डाल दी थी गांधी जी ने

  राजनीति में प्रत्येक व्यक्ति की यह आवश्यकता होती है कि वह अपने प्रतिद्वंद्वी को परास्त करने के लिए ऐसी तिकड़में चले जिससे वह व्यक्ति प्रतियोगिता में आगे न निकल सके , परंतु किसी ‘महात्मा’ के यहाँ ऐसी किसी तिकड़म को या षड़यंत्र को स्थान नहीं दिया जाता। वह तो बड़े सहज भाव से अपने […]

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इतिहास के पन्नों से

पूर्वोत्तर की वीरांगनाएं

डॉ. राजश्री देवी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय पूर्वोत्तर से भी ऐसे अनेक वीर योद्धा और वीरांगना हुए, जिन्होंने इस देश के लिए अपना जीवन न्योछावर किया। कितनों से सीने में गोलियां खाईं और कितने ही वीर फांसी के तख्ते पर चढ़ गए। किंतु राष्ट्रीय धरातल पर ऐसे वीरों और वीरांगनाओं की कोई खास […]

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इतिहास के पन्नों से

आधुनिक चाणक्य के रूप में जाने जाते थे नानाजी देशमुख

11 अक्तूबर/जन्म-दिवस ग्राम कडोली (जिला परभणी, महाराष्ट्र) में 11 अक्तूबर, 1916 (शरद पूर्णिमा) को श्रीमती राजाबाई की गोद में जन्मे चंडिकादास अमृतराव (नानाजी) देशमुख ने भारतीय राजनीति पर अमिट छाप छोड़ी। 1967 में उन्होंने विभिन्न विचार और स्वभाव वाले नेताओं को साथ लाकर उ0प्र0 में सत्तारूढ़ कांग्रेस का घमंड तोड़ दिया। इस कारण कांग्रेस वाले […]

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इतिहास के पन्नों से

मुस्लिम तुष्टीकरण, महात्मा गांधी और भारतीय राजनीति

डॉ विवेक आर्य 1921 में गाँधी ने अंग्रेजी कपड़ों के बहिष्कार का ऐलान किया। उन्होंने विदेशी कपड़ों की होली जलाने का निर्णय लिया। स्वामी श्रद्धानन्द को जब यह पता चला तो उन्होंने महात्मा गाँधी को तार भेजा। उसमें उन्होंने गाँधी जी से कहा कि आप विदेशी कपड़ों को जलाकर अंग्रेजों के प्रति शत्रुभाव को बढ़ावा […]

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