गांधीवादी कांग्रेस के काले कारनामे 1885 में कॉन्ग्रेस का जन्म हिन्दू विरोध और राष्ट्रविरोध की भावना से प्रेरित होकर किया गया था। ए0ओ0 ह्यूम नाम के एक अंग्रेज ईसाई द्वारा जब इस संगठन की स्थापना की गई थी तो इसने प्रारम्भ से ही हिन्दू विरोधी और राष्ट्रविरोधी नीति का अनुसरण किया । दुर्भाग्य से […]
Category: इतिहास के पन्नों से
भारत की सीमा तिब्बत से लगती है न की चीन से। तिब्बत प्राचीन भारतीय संस्कृति, धर्म और सभ्यता का एक प्रमुख केंद्र रहा है। चीन ने सन्न 1951 में इस पर कब्जा कर अपने नियंत्रण में ले लिया था तभी से तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने भारत में शरण ले रखी है। तिब्बत के […]
सर सैयद अहमद खान का चिन्तन सर सैयद को अक्सर उदारवादी और हिन्दू मुस्लिम एकता के पक्षधर के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। 1867से 1887 तक के बीच सर सैय्यद अक्सर कहा करते थे कि हिन्दू और मुस्लिम वधू की दो आँखों की तरह हैं। पहले वे हिन्दू और मुस्लिमों को दो कौमें बताते […]
येरुश्लम ( ईज़राईल ) जिसको अरबी में “बैत् अल मुकद्दस” यानी कि पवित्र स्थान बोला जाता है । ईसाई, यहूदी और मुसलमान इसे पवित्र स्थान मानते हैं । जिसमें एक ८ लाख दिनार का एक पुस्तकालय है जो कि तुर्की के गवर्नर ने सुल्तान अब्दुल हमीद के नाम पर बनवाया था । # इस […]
डॉ. विवेक आर्य पंजाब में स्वयं को वाल्मीकि कहने वाले कुछ लोगों ने रावण की पूजा करना आरम्भ किया है। ये लोग अपने आपको अब द्रविड़ और अनार्य कहना पसंद करते है। इन्होंने अपने नाम के आगे दैत्य, दानव, अछूत और राक्षस जैसे उपनाम भी लगाना आरम्भ किया हैं। ये लोग स्वयं को हिन्दू […]
*✍️ आज की कहानी है एक ऐसे वीर की जिन्होंने अपनी वीरता और अदम्य साहस की बदौलत तांत्या टोपे को प्रभावित किया।* जिसके बाद तांत्या टोपे ने उन्हें गुरिल्ला युद्ध में पारंगत बनाया। ततपश्चात वो वीर अंग्रेजों के शोषण तथा विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ उठ खड़े हुए, देखते ही देखते वे गरीब आदिवासियों के […]
भारत का इतिहास अनेकों वीरांगनाओं के देशभक्ति पूर्ण कार्यों से भरा हुआ है। हमारी कई महान वीरांगनाओं ने अनेकों अवसरों पर युद्ध के मैदान में जाकर भी शत्रु के दांत खट्टे करने का ऐतिहासिक और वीरतापूर्ण कार्य कर इतिहास में अमर ख्याति प्राप्त की है। क्षत्राणी वीरांगनाओं ने अपने दूध की लाज रखने के […]
*१९२० में अचानक भारत की तमाम मस्जिदों से दो पुस्तकें वितरित की जाने लगी! एक पुस्तक का नाम था “कृष्ण तेरी गीता जलानी पड़ेगी”, और दूसरी पुस्तक का नाम था “उन्नीसवीं सदी का लंपट महर्षि”! ये दोनों पुस्तकें “अनाम” थीं! इसमें किसी लेखक या प्रकाशक का नाम नहीं था, और इन दोनों पुस्तकों में […]
राजशेखर व्यास भारतर्वा में ग्राम सभा का विकास बहुत पुराने जमाने में हो गया था। देश के अधिकांश भाग पर यही सभा अपना वर्चस्व रखती थी। इसकी शासन पद्धति बड़ी सुव्यवस्थित थी। वेद, ब्राह्मण और उपनिाद काल में गा्रम-सभा, उसके प्रमुख और अधिठाता का सम्मानपूर्वक उल्लेख है। ग्रामाध्यक्ष को वैदिक काल में ग्रामजी कहा जाता […]
__________________________________________ अयोध्या में #राम_जन्मभूमि के मालिकाना हक़ को लेकर 1990 में पहली बार पूरे देश में बहस ने जोर पकड़ा था। इसके पहले 1976-77 में पुरातात्विक अध्ययन के दौरान अयोध्या में होने वाली खुदाई में हिस्सा लेने के लिए मुझे भी भेजा गया। प्रो बी.बी. लाल की अगुवाई में अयोध्या में खुदाई करने वाली आर्कियोलॉजिस्ट […]