“दिल्ली के बादशाह नवाब नजीबुद्दौला के दरबार में एक सुखपाल नाम का ब्राह्मण काम करता था। एक दिन उसकी लड़की अपने पिता को खाना देने महल में चली गयी। मुग़ल बादशाह उसके रूप पर मोहित हो गया। और ब्राह्मण से अपनी लड़की कि शादी उससे करने को कहा और बदले में उसको जागीरदार बनाने […]
Category: इतिहास के पन्नों से
असहयोग आंदोलन वापस लेने के साथ ही गाँधीजी ने 200 लोगों को अंग्रेजों के हाथों क्रूर मौत के लिए छोड़ दिया था। फिर उन्हें बचाने के लिए एक ऐसा व्यक्ति सामने आया, जिसने वकालत कब की छोड़ दी थी। चौरी चौरा कांड के बारे में सभी को पढ़ाया जाता है। ये जगह गोरखपुर में देवरिया […]
जन्नत में मर्दों को तो हूरें मिल जाती हैं, औरतों को क्या मिलता है? परमादरणीय जनाब-ए-आला स्कॉलर श्री जाकिर नाइक साहब, इस्लाम और दुनिया के तमाम धर्मों के बारे में आपके ज्ञान को देखकर चकित हूँ, लेकिन […]
यथार्थ गीता के संबंध में श्रीमद्भगवद्गीता को यथार्थ मानव शास्त्र प्रतिपादित करते हुए स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज का कथन है-“श्री कृष्ण जिस स्तर की बात करते हैं, क्रमशः चल कर उसी स्तर पर खड़ा होने वाला कोई महापुरुष अक्षरशः बता सकेगा कि श्री कृष्ण ने जिस समय गीता का उपदेश दिया था, उस समय उनके […]
24 दिसम्बर/जन्म-दिवस आज जैसा कटा-फटा भारत हमें दिखाई देता है, किसी समय वह ऐसा नहीं था। तब हिमालय के नीचे का सारा भाग भारत ही कहलाता था; पर मुस्लिम आक्रमण और धर्मान्तरण के कारण इनमें से पूर्व और पश्चिम के अनेक भाग भारत से कट गये। अफगानिस्तान से लगे ऐसे ही एक भाग पख्तूनिस्तान […]
देश के इतिहास में जिन शासकों ने साम्प्रदायिकता के आधार पर ने बड़े – बड़े नरसंहार किए लूटपाट हत्या ,डकैती, बलात्कार और इन जैसे अनेकों जघन्य अपराध किए , वे सारे के सारे मानवता के हत्यारे गांधीजी और गांधीवादियों की दृष्टि में बहुत ही दयालु, उदार, सहिष्णु और मानवता के पुजारी कहे जाते हैं […]
आचार्य ज्ञान प्रकाश वैदिक 1) _आर्य समाज मेरी धर्म माता है तथा ऋषि दयानन्द मेरे धर्म पिता हैं ‘सत्यार्थ प्रकाश’ का ज्ञान मेरे जीवन में सूर्य के समान है।_ *―पंजाब केसरी लाला लाजपतराय* 2) _आर्य समाज १०० वर्षों से ऋषि दयानन्द के उपदेशों को आगे बढाने के प्रयत्न में लगा हुआ है….उसे आशा है […]
कांग्रेस के विषय में यह कहने की आवश्यकता नहीं कि इस पार्टी ने प्रारम्भ से ही अंग्रेजों की कार्यशैली को अपने लिए आदर्श के रूप में स्वीकार किया था । स्वाधीन भारत में जब सत्ता कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों के हाथों में रही तो इन्होंने अंग्रेजों की कार्यशैली को अपनाकर ही शासन करना आरम्भ किया। अंग्रेजों […]
अजित कुमार भारतीय इतिहास लेखन में मैक्स वेबर (1864-1920) और मार्क्स(1818-1883) का बहुत गहरा प्रभाव रहा है। भारत के इतिहास को लिखनेवाले अधिकतर इतिहासकार इनसे बहुत प्रभावित रहे हैं। इन दोनों पश्चिमी विद्वानों की विशिष्टता यह रही है कि अपने जीवन के कालखंड में ये दोनों भारत कभी नहीं आये और इनके समय में […]
डॉ. अशोक कुमार तिवारी कहा जाता है कि बिजली का अविष्कार अंग्रेज वैज्ञानिकों वोल्टा, कूलम्ब, अम्पीयर, एडिसन, फराडे आदि ने सत्राहवीं से उन्नीसवीं शताब्दी में किया। हमारी पाठ्यपुस्तकों में भी यही बताया जाता है। वास्तविकता यह है कि इनसे हजारों वर्ष पूर्व से बिजली का उपयोग किया जाता था। अगस्त्य संहिता जोकि 600 […]