भारतीय राजनीति अपने स्वार्थ में कितनी नीचे गिर सकती है, उसका ज्वलंत उदाहरण इतिहास को ही देखने से मिल जाता है। इसे देश का दुर्भाग्य कहा जाए फिर इतिहासकारों की अज्ञानता अथवा शिक्षित होते हुए भी अशिक्षित। जिन्होंने चंद चांदी के सिक्कों की खातिर देश के गौरवमयी इतिहास को दरकिनार कर आतताई मुगलों का महिमामंडन […]
Category: इतिहास के पन्नों से
वाल्मीकि रामायण के आधार पर इसका उत्तर देखते हैं। प्रथम “वानर” शब्द पर विचार करते है। सामान्य रूप से हम “वानर” शब्द से यह अभिप्रेत कर लेते है कि वानर का अर्थ होता है “बन्दर” | परन्तु अगर इस शब्द का विश्लेषण करे तो वानर शब्द का अर्थ होता है वन में रहने और वन […]
सिकन्दर बुतशिकन कश्मीर वैसे तो हमारी भारतीय सांस्कृतिक विरासत का बेजोड़ उदाहरण है, पर पिछले कुछ समय से कश्मीरियत का अभिप्राय कश्मीर की उस गंगा -जमुनी तहजीब से लगाया जा रहा है जिसमें वहाँ के हिन्दुओं को कश्मीर छोड़ने के लिए बाध्य किया गया है। जब से कश्मीर में इस्लाम का प्रवेश हुआ तभी से […]
भारत के पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू को लेकर अकसर यह कहा जाता रहा है कि वह आलीशान जीवन जीना पसंद करते थे। अब मध्य प्रदेश के मंत्री विश्वास सांरग ने राजभवन के दस्तावेजों का हवाला देते हुए यह किस्सा सुनाया है कि प. जवाहरलाल नेहरू के लिए सिर्फ एक सिगरेट का पैकेट लेने को भोपाल […]
स्वामी दयानंद- सर्वप्रथम देहरादून में एक मुस्लमान को शुद्ध कर उनका अलखधारी नाम रख कर आधुनिक भारत में सदियों से बंद घर वापसी के द्वार को खोला स्वामी श्रद्धानन्द- लाखों मलकाने राजपूतों जो नौमुस्लिम कहलाते थे उन्हें शुद्ध किया और व्यवस्थित रूप से सकल हिन्दू समाज को संगठित करने का उद्घोष किया। शुद्धि चक्र को […]
तैमूर का उद्देश्य भी हिन्दुत्व का विनाश ही था तैमूर का जीवनीकार ‘मुलफुजद-ए-तैमूरी’ में तैमूर को उद्धृत करते हुए हमें बताता है कि उसने दिल्ली के लिए प्रस्थान करने से पूर्व कह दिया था-‘‘मैंने तेहाना से अपना माल असबाब भेज दिया था। मैंने जंगलों और पहाड़ों के रास्ते सफर किया। मैंने 2000 शैतान जैसे जगहों की हत्या की, उनकी पत्नियों और […]
—-ईजीनियर.श्याम सुंदर पोद्दार —कांग्रेस की सरकारों ने जो इतिहास लिखवाया ,वह इस तरह लिखवाया कि लोगों में संदेश जाये की नरम दल वालो ने देश की आज़ादी की लड़ायी लड़ी। गरम दल वाले तो मारो काटो वाले थे। कांग्रेस की स्थापना A.H. ह्यूम ने सन १८८३ में की थी। १८५७ के बाद देश में बासुदेव […]
रामायण और महाभारत तथा पुराणों से यह स्पष्ट है कि यवन भी भारतीय क्षत्रिय ही हैं ।सम्राट अशोक का शासन यवन प्रांत तक था और यवनराज तुषार अशोक का एक सामंत था। पुष्यमित्र के पुत्र वसुमित्र ने सिंधु तीर पर यवनों को परास्त किया ,,इसका उल्लेख भी पुराणों में और महान वैयाकरण पतंजलि के महाभाष्य […]
विश्व इतिहास में सबसे पहले वर्ष 2000 बी.सी. में भारत के पश्चिमोत्तर क्षेत्रा (इसमें वर्तमान पाकिस्तान भी शामिल है) में सिंधु घाटी सभ्यता में सीवर तंत्रा के अवशेष पाए गए। इन शौचालयों में मल को पानी द्वारा बहा दिया जाने की व्यवस्था थी। इन्हें ढंकी हुई नालियों से जोड़ा हुआ था। इस कालखंड में विश्व […]
अनिरुद्ध जोशी भारत में वैसे तो कई लड़ाईयां हुई लेकिन पानीपत की लड़ाई का जिक्र इतिहास में बहुत तरीकों से किया जाता रहा है। पानीपत की लड़ाई ऐसी थी जिसने भारत के इतिहास को बदलकर रख दिया था। दिल्ली के तख्त के लिए हुई पानीपत की लड़ाई के बारे में ऐसा कहते हैं कि इस […]