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इतिहास के पन्नों से

विक्रमी संवत चलाने वाले सम्राट विक्रमादित्य का इतिहास

#विक्रमादित्य आज आप विक्रम संवत चलाने वाले विक्रमादित्य का इतिहास पढ़ रहे है। जिन्होंने भयंकर युद्धोंमें विदेशी आक्रमणकारियोंको परास्तकर , भारतकी रक्षा की और उन्हें इस देश से निकाल बाहर कर , अपने नाम से संवत् चलाया , जो आज तक विक्रम संवत के नामसे पुकारा जाता है ।आप ही का चलाया संवत् अबतक पञ्चाङ्गों […]

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आतंकवाद इतिहास के पन्नों से भयानक राजनीतिक षडयंत्र

मजहब ही तो सिखाता है आपस में बैर रखना, अध्याय -8 ( 5 ) जब तोड़ा गया था मथुरा के प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर को

  मथुरा के प्रसिद्ध मन्दिर को तोड़ा गया औरंगजेब को यह भली प्रकार जानकारी थी कि उसके पूर्वज बाबर ने किस प्रकार 1528 ई0 में भारतीय इतिहास के महानायक श्री रामचन्द्र जी के मन्दिर को अयोध्या में तुड़वाया था । अब उसे भी मुस्लिमों के बीच लोकप्रिय होने के लिए मथुरा में श्री कृष्ण के […]

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जब मच गया था पानीपत शहर में हड़कंप

अपने गौरवशाली इतिहास को लिए दार्शनियों, कवियों और सूफी सन्तों के शहर पानीपत को बड़ा गर्व है । इसी शहर के सनातन धर्म महाविद्यालय में एक बार एक ईसाई पादरी आया और उसने वहाँ के पंडितों और विद्वान प्रोफेसरों को चैलेंज किया कि तुन्हें अपने वेदों पर बड़ा गर्व है और तुम वेदों को भगवान […]

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स्वामी श्रद्धानंद के जन्मना जाति व्यवस्था पर उपयोगी विचार

ओ३म् ========== स्वामी श्रद्धानन्द महर्षि दयानन्द के अनुयायी, आर्य समाज के नेता, प्राचीन वैदिक शिक्षा गुरूकुल प्रणाली के पुनरुद्धारक, स्वतन्त्रता संग्राम के अजेय सेनानी तथा अखिल भारतीय हिन्दू शुद्धि सभा के प्रधान थे। हिन्दू जाति को संगठित एवं शक्तिशाली बनाने के लिए आपने एक पुस्तक ‘हिन्दू संगठन – क्यों और कैसे?’ का प्रणयन किया था। […]

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संघ संस्थापक डॉ हेडगेवार

1 अप्रैल/जन्म-दिवस   विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को आज कौन नहीं जानता ? भारत के कोने-कोने में इसकी शाखाएँ हैं। विश्व में जिस देश में भी हिन्दू रहते हैं, वहाँ किसी न किसी रूप में संघ का काम है। संघ के निर्माता डा. केशवराव हेडगेवार का जन्म एक अपै्रल, 1889 […]

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महर्षि दयानंद और युगांतर

  -श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ (हिन्दी के महाकवि) [कवि स्वभाव से ही बागी होता है। काव्य-कला के नियम भी उस पर बन्दिश न लगा पाते हैं। बगावत अगर सत्य की स्वीकृति हो तो कविता का ही दूसरा नाम बन जाती है। भला बगावत के बगैर कविता का चरित्र ही क्या है? कवि के भावों की […]

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महात्मा बुद्ध ईश्वर में विश्वास रखने वाले आस्तिक थे ?

ओ३म् ====== महात्मा बुद्ध को उनके अनुयायी ईश्वर में विश्वास न रखने वाला नास्तिक मानते हैं। इस सम्बन्ध में आर्यजगत के एक महान विद्वान पं. धर्मदेव विद्यामार्तण्ड अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘‘बौद्धमत एवं वैदिक धर्म” में लिखते हैं कि आजकल जो लोग अपने को बौद्धमत का अनुयायी कहते हैं उनमें बहुसंख्या ऐसे लोगों की है जो […]

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कम्युनिस्ट और भारत का विभाजन

कम्युनिष्ट और भारत का विभाजन 1947 से पहले मुस्लिम लीग तो सांप्रदायिक थी ही, मगर सांप्रदायिकता के विरोध की रहनुमाई करने वाली घोर सेक्युलर कम्युनिस्ट पार्टी ने भी पाकिस्तान की मांग का समर्थन किया था।उसने मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की सांप्रदायिक और अलगाववादी मांग को जायज ठहराने की कोशिश की। कम्युनिस्ट पार्टी ने मुस्लिम लीग […]

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सेवा और समर्पण का भाव कूट-कूट कर भरा था गुरु अंगद देव में

29 मार्च/पुण्य-तिथि   सिख पन्थ के दूसरे गुरु अंगददेव का असली नाम ‘लहणा’ था। उनकी वाणी में जीवों पर दया, अहंकार का त्याग, मनुष्य मात्र से प्रेम, रोटी की चिन्ता छोड़कर परमात्मा की सुध लेने की बात कही गयी है। वे उन सब परीक्षाओं में सफल रहे, जिनमें गुरु नानक के पुत्र और अन्य दावेदार […]

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क्या सचमुच जाति व्यवस्था के समर्थक थे महात्मा गांधी ?

  सतीष भारतीय महात्मा गांधी भारतीय संदर्भ में एक ऐसा नाम है जिसकी कीर्ति समूचे विश्व में महज इसलिए ही नहीं बेतहाशा मान्य है कि वह सत्य और अहिंसा की बात करते थे बल्कि इसलिए भी कीर्तिमान् है कि वह सत्य और अहिंसा की राह पर जीवनपर्यंत या जीवन के अंततम क्षण तक चलते रहे […]

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