अपने ज्येष्ठ पिताश्री धर्मराज युधिष्ठिर और अन्य पांडवों के आग्रह और आदेश को स्वीकार कर अभिमन्यु ने भयंकर युद्ध करना आरंभ किया। वह जिधर भी निकलता उधर ही कौरव दल में हड़कंप मच जाता। उसका साहस और उसकी वीरता आज देखने लायक थी। आज दैवीय शक्तियां भी अभिमन्यु की वीरता और युद्ध कौशल को […]
Category: इतिहास के पन्नों से
महाभारत के संबंध में ऐसी अनेकों भ्रांतियां हैं जो मूल महाभारत में किसी और प्रकार से वर्णित की गई हैं और समाज में किसी और प्रकार से उनके बारे में भ्रांतियां पैदा कर ली गई हैं। अभिमन्यु के बारे में भी कई प्रकार की भ्रांतियां हैं :- जैसे चक्रव्यूह तोड़ने के लिए उसने स्वयं […]
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ इनामी एंकर व्यथित थे। आज उन्होंने स्क्रीन काली नहीं की थी बल्कि अपने काले से कोट में आम जनता के लिए काम करने की अपनी छवि को बरकरार रखते हुए वो खुद कैमरे के सामने प्रकट हुए थे। समझ लीजिये कि आजकल ख़बरों का अकाल है… उन्होंने कहना शुरू किया। आखिर कैसे किसी वृन्दावन […]
पाश्चात्य और कम्युनिस्ट इतिहासकारों ने इतनी गड़बड़ की है कि विवेकवान लोग भी भ्रमित हो जाएं जगद्गुरु भगवान आद्यशंकराचार्य के जन्म पर भी यही भ्रम हैं के जबकि शांकरपीठ की चारों पीठ की अविछिन्न परंपरा इतिहास दस्तावेज साफ बताते हैं कि उनको 2500 वर्ष हो चुके हैं जबकि यह लोग 1200 साल में अटाना चाहते […]
लेखक- स्वामी धर्मानन्द प्रस्तुति- प्रियांशु सेठ माननीय डॉ० अम्बेदकरजी से गत २७ फर्वरी को मेरी जब उनकी कोठी पर बातचीत हुई तो उन्होंने यह भी कहा कि सांख्यदर्शन में ईश्वरवाद का खण्डन किया गया है। यही बात अन्य भी अनेक लेखकों ने लिखी है किन्तु वस्तुतः यह अशुद्ध है। सांख्य दर्शन में ईश्वर के सृष्टि […]
दुर्योधन क्यों हारा ?
दुर्योधन क्यों हारा? ‘दुर्योधन’ और ‘युधिष्ठिर’ दोनों ही नामों में ‘युद्ध’ शब्द आता है। ‘दुर्योधन’ वह है जो बुरी तरह से युद्ध करता है अर्थात जीवन के समर क्षेत्र में युद्ध जीतने के लिए नैतिक – अनैतिक किसी भी प्रकार के आचरण को करने के लिए सदैव तत्पर रहता है। जबकि ‘युधिष्ठिर वह है जो […]
रवि वैश्य मथुरा स्थित कृष्ण जन्म भूमि एक प्रमुख धार्मिक स्थान है जहाँ हिन्दू धर्म के अनुयायी कृष्ण भगवान का जन्म स्थान मानते हैं वहीं इससे लगी हुई जामा मस्जिद भी है,जानें यहां का इतिहास। कृष्ण जन्म भूमि मथुरा का एक प्रमुख धार्मिक स्थान है जहाँ हिन्दू धर्म के अनुयायी कृष्ण भगवान का […]
हिंदू लोग, विशेषकर हिंदू बुद्धिजीवी वर्ग, अपने पर हो रहे चहुंमुखी बौद्धिक हमलों के विरुद्ध किसी ठोस वैचारिक अभियान चलाने या बौद्धिक हमलों का बौद्धिक प्रत्युत्तर देने में प्रायः निष्क्रिय रहा है. स्वयं के विरुद्ध किए गए किसी के मनगढंत दावे, विवरण या सफेद जूठ को देखकर भी उसे हल्के में लेकर इग्नोर कर […]
करपात्री महाराज और डालमिया के गऊ संरक्षण अभियान से गुस्से में नेहरू ने हिंदुत्व को जमींदोज करने की कोई कसर नहीं छोड़ी थी। आप सोच रहे होंगे डालडा और नेहरू का क्या सम्बन्ध है? उत्तर है, बहुत गहरा। डालडा हिन्दुस्तान लिवर का देश का पहला वनस्पति घी था जिसके मालिक थे स्वतन्त्र भारत […]
रोमिला थापर vs. सीताराम गोयल: भारत के मार्क्सवादी इतिहासकार दो हथियारों (तकनिकों) से हंमेशा लैस रहते है: उनका पहला हथियार होता है अपने इतिहास लेखन पर प्रश्न उठाने वालों या असहमत होने वालों पर तुरंत “साम्प्रदायिक – communal” होने का लांछन लगा देना, ताकि सामने वाला शुरु से ही बचाव मुद्रा में आ जाए, […]