ओ३म् -स्वाध्याय से मनुष्य को अनेक लाभ- ========== स्वाध्याय करना वैदिक धर्मियों के जीवन का अनिवार्य कार्य, आचरण एवं व्यवहार है। स्वाध्याय से प्रत्यक्ष लाभ ज्ञान की वृद्धि के रूप में सामने आता है। मनुष्य को सद्ग्रन्थों का ही स्वाध्याय करना चाहिये। ऐसा करने से ही मनुष्य के सद्ज्ञान में वृद्धि होती है। कुछ साहित्य […]
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बुद्ध और ब्राह्मण
बुद्ध और ब्राह्मण (बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर प्रकाशित ) कार्तिक अय्यर अपने आपको मूलनिवासी कहने वाले लोग प्राय: ब्राह्मणों को कोसते मिलते हैं, विदेशी कहते हैं, गालियां बकते हैं। पर बुद्ध ने आर्यधर्म को महान कहा है । इसके विपरीत डॉ अंबेडकर आर्यों को विदेशी नहीं मानते थे। अपितु आर्यों होने की बात को […]
राजा राममोहन राय और ईसाई मत
राजा राममोहन राय और ईसाई मत (राजा राम मोहन राय के जन्मदिन पर विशेष) राजा राममोहन राय अपने काल के प्रसिद्द समाज सुधारकों में से थे। वे हिन्दू समाज में व्याप्त अंधविश्वासों और कुरीतियों के विरोध में आवाज़ उठाते थे। वे अंग्रेजी शिक्षा और अंग्रेजी भाषा के बड़े समर्थक भी थे। इसलिए अंगरेज उन्हें अपना […]
जयद्रथ वध के संबंध में हमारे समाज में कई प्रकार की भ्रांतियां बनी हुई हैं। इस संबंध में अज्ञानतावश लोगों का मानना है कि श्री कृष्ण ने दिन में ही अपनी माया से सूर्य को अस्त कर दिया था। जब अर्जुन जयद्रथ को मारने की प्रतिज्ञा पूर्ण नहीं कर सका तब अर्जुन के आत्मदाह […]
◆ क्या अकबर ने इस्लाम छोड़ दिया था? कुछ समय से गीतकार जावेद अख्तर बादशाह अकबर का झंडा बुलंद कर रहे हैं। एक ताने जैसा कि अकबर के समय भारत धनी था, इसलिए मुगल-काल को बुरा नहीं कहना चाहिए। उन के पीछे दूसरे सेक्यूलर-वामपंथी भी वही दुहरा रहे हैं। लेकिन क्या वे जानते हैं कि […]
बालकों का धर्मयुद्ध जब से विश्व इतिहास में मजहब का हस्तक्षेप बढ़ा तबसे एक नई प्रवृत्ति देखने को मिली। जिसके अन्तर्गत क्रूर शासकों ने बच्चों और महिलाओं के साथ भी अमानवीय अत्याचार किए। उससे पूर्व के मानव इतिहास में ऐसी घटनाएं नहीं हुईं। विशेष रुप से भारत के आर्यावर्तकालीन इतिहास पर यदि दृष्टिपात किया […]
श्याम सुंदर पोद्दार ——————————————— गांधी-नेहरू- पटेल ने हिंदू समाज के साथ बड़ा ही क्रूर व्यवहार किया। १९४५ के केंद्रीय धारासभा के निर्वाचन में हिंदू समाज से यह प्रतिज्ञा कर वोट लिया कि हम मुस्लिम लीग की पाकिस्तान माँग कभी भी स्वीकार नही करेंगे। गांधी जी की लाश पर ही यह सम्भव हो सकेगा। हिंदू […]
लेखक :-स्वामी ओमानन्द सरस्वती प्रस्तुति :- अमित सिवाहा महर्षि दयानन्द के प्रियतम शिष्य श्री श्याम जी कृष्ण वर्मा काठियावाड़ राज्य के थे। ये संस्कृत भाषा के धुरन्धर विद्वान थे। महर्षि दयानन्द जी से अष्टाध्यायी संस्कृत व्याकरण को पढ़ा था। महर्षि दयानन्द ने विदेशों में वैदिक धर्म के प्रचारार्थ हो लन्दन भेजा था। महर्षि दयानन्द के […]
इतिहास की एक अविस्मरणीय दुर्घटना: १९२० में अचानक भारत की तमाम मस्जिदों से दो पुस्तकें वितरित की जाने लगी! एक पुस्तक का नाम था “कृष्ण तेरी गीता जलानी पड़ेगी”, और दूसरी पुस्तक का नाम था “उन्नीसवीं सदी का लंपट महर्षि”! ये दोनों पुस्तकें “अनाम” थीं! इसमें किसी लेखक या प्रकाशक का नाम नहीं था, और […]
अपने ज्येष्ठ पिताश्री धर्मराज युधिष्ठिर और अन्य पांडवों के आग्रह और आदेश को स्वीकार कर अभिमन्यु ने भयंकर युद्ध करना आरंभ किया। वह जिधर भी निकलता उधर ही कौरव दल में हड़कंप मच जाता। उसका साहस और उसकी वीरता आज देखने लायक थी। आज दैवीय शक्तियां भी अभिमन्यु की वीरता और युद्ध कौशल को […]