लेखक :- डॉ रघुवीर वेदालंकार श्री विरजानंद देैवकरणि जी प्रस्तुति :- अमित सिवाहा आचार्य भगवान्देव जी आर्यप्रतिनिधि सभा पंजाब के उपप्रधान एवं कार्यकर्ता प्रधान भी थे। ऐसी परिस्थिति में हिन्दी आन्दोलन को हरयाणा से चलाने का उत्तरदायित्व भी इन्हीं पर आ गया। इसी कार्य में तीव्रता लाने के लिए २८ जुलाई १८५७ को रोहतक […]
Category: इतिहास के पन्नों से
राजा ने की बड़ी चूक कई इतिहासकारों की ऐसी मान्यता है कि इस्लाम के इस सत्ता संघर्ष में उस समय राजा दाहिर सेन ने मोहम्मद साहब के कई परिजनों की रक्षा की थी। राजा दाहिर सेन ने अपनी उदारता का परिचय देते हुए कई मुस्लिमों को सिंधु देश में बसने दिया । इसके पीछे […]
इस्लामिक जन्नत की समीक्षा
इस्लामिक जन्नत (बहिश्त)-एक समीक्षा समाचार पत्रों के माध्यम से रोजाना यह खबर मिलती है कि आज ISIS ने अनेक निर्दोष लोगों का क़त्ल कर दिया, आज तालिबान ने अफगानिस्तान या पाक में निर्दोष बच्चों पर गोलियाँ चला दी, आज पाकिस्तान में नमाज पढ़ते मुसलमानों को एक आत्मघाती ने बम से उड़ा दिया, आज मुंबई की […]
महाभारत में कृष्ण के पास पाञ्चजन्य, अर्जुन के पास देवदत्त, युधिष्ठिर के पास अनंतविजय, भीष्म के पास पोंड्रिक, नकुल के पास सुघोष, सहदेव के पास मणिपुष्पक था। सभी के शंखों का महत्व और शक्ति अलग-अलग थी। शंखों की शक्ति और चमत्कारों का वर्णन महाभारत और पुराणों में मिलता है। शंख को विजय, समृद्धि, […]
राजा पोरस का अवतार हमें यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि सिकन्दर के समय राजा पोरस ने अपने पौरुष के प्रताप से विदेशी आक्रमणकारी को मार भगाया था । जिसे इतिहासकारों ने इतिहास में सही स्थान व सम्मान नहीं दिया । अब उसी पोरस के उत्तराधिकारी के रूप में एक नया योद्धा हमारी सीमाओं […]
सन्ध्या और अग्निहोत्र: बाल्मीकि रामायण से विदित होता है कि उस काल में आर्यों की उपासना सन्ध्या के रुप में होती थी।जप, प्राणायाम तथा, अग्निहोत्र के भी विपुल उल्लेख मिलते हैं। पौराणिक मूर्तिपूजा, व्रत, तीर्थ, नामस्मरण या कीर्तन रुप में धार्मिक कृत्य का वर्णन मूलतः नहीं है। क्षणिक उल्लेख जो इस सम्बन्ध में मिलते […]
लेखक:- डॉ. शंकर शरण बहुतेरे विदेशी लोग, और बड़ी संख्या में भारतीय उच्च-शिक्षित लोग भी भारत में ब्रिटिश राज से पहले के शासन को सामान्यतः ‘मुगल शासन’ के रूप में ही जानते हैं। वे समझते हैं कि ब्रिटिश साम्राज्य वस्तुत: मुगल साम्राज्य का उत्तराधिकारी था। उन्हें यह मोटा सा तथ्य ध्यान नहीं रहता कि […]
बख्तियार खिलज़ी तू ज्ञान के मंदिर नालंदा को जलाकर कामरूप (असम) की धरती पर आया है…अगर तू और तेरा एक भी सिपाही ब्रह्मपुत्र को पार कर सका तो मां चंडी (कामातेश्वरी) की सौगंध मैं जीते-जी अग्नि समाधि ले लूंगा…* *राजा_पृथु” 27 मार्च 1206 को असम की धरती पर एक ऐसी लड़ाई लड़ी गई जो मानव […]
फिर से होगा अखंड भारत
लेखिका:-प्रो. कुसुमलता केडिया सामान्यजन के मन में है कि हो गया, जो होना था, अब तो यह इतना ही भारत रहेगा। यहां तक कि 14 अगस्त 1947 को जो भारत था, जिसके बड़े हिस्से को अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट एवं ट्रूमेन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल और एटली तथा भारत के गांधीजी, श्री नेहरू, मुहम्मद अली जिन्ना तथा […]
बांग्लादेश। यह नाम स्मरण होते ही भारत के पूर्व में एक बड़े भूखंड का नाम स्मरण हो उठता है। जो कभी हमारे देश का ही भाग था। जहाँ कभी बंकिम के ओजस्वी आनंद मठ, कभी टैगोर की हृद्यम्य कवितायेँ, कभी अरविन्द का दर्शन, कभी वीर सुभाष की क्रांति ज्वलित होती थी। आज बंगाल प्रदेश एक […]