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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

आजादी की वर्षगांठ : कहां गए वो लोग ?

  देश अपने 75 वें स्वतंत्रता दिवस के रंग में रंग गया है। सचमुच यह पावन पर्व हमें अपने स्वतंत्रता सैनानियों और अमर बलिदानियों के उद्यम और पुरूषार्थ का स्मरण कराकर अपने देश के प्रति समर्पित भाव से जीने के लिए प्रेरित करता है। भारत की संस्कृति की महानता का राज ही यह है कि […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

महर्षि दयानंद ने आर्य समाज की स्थापना करने के उपरांत कितने गुरुकुलों की स्थापना की और कितने शास्त्रार्थ किए ?

महर्षि दयानंद ने आर्य समाज की स्थापना की, तथा कितने गुरुकुलों की स्थापना की और कितने शास्त्रार्थ किए यह सब लेख यह उपस्थित है। ( महर्षि स्वामी दयानंद द्वारा आर्य समाज की स्थापनाएं कब और कहां कहां की गई ) दीवान बहादुर हरबिलास शारदा द्वारा रचित,विश्व गुरु स्वामी दयानंद का जीवन चरित्र एवं उनकी शिक्षाएं […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

स्वाधीनता का अमर नायक राजा दहिर सेन , अध्याय – 3 (भाग – 2) अदम्य साहस और शौर्य का प्रतीक था राजा दाहिर सेन

    सब लोगों को मारता हुआ भी नहीं मारता, यह बात आज के कानून विदों के लिए या विधि विशेषज्ञों के लिए समझ में न आने वाली एक रहस्यमयी पहेली है। पर इसे हमारे वीर योद्धाओं ने भारतीय स्वाधीनता और संस्कृति की रक्षा के अपने प्रण का निर्वाह करते समय पूर्णतया अपनी नजरों के […]

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इतिहास के पन्नों से

दीवान गिदुमल और उनकी बहादुर बेटी

सिंध की धरती पर सदैव अजेय रहने वाले हिन्दुओं को बुद्धों के विश्वासघात के कारण पहली हार मुहम्मद बिन कासिम से राजा दाहिर को मिली। अपने पिता की हार और अपने राज्य की तबाही का बदला राजा दाहिर की वीर बेटियों ने उसी के बादशाह से अपने ही सेनापति को मरवा कर लिया था। राजा […]

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इतिहास के पन्नों से

क्या श्री राम चंद्र जी महाराज मांसाहारी थे ?

  #डॉविवेकआर्य मेरे कई मित्रों ने यह शंका मेरे समक्ष रखी हैं की उनके सामने दिन प्रतिदिन वाल्मीकि रामायण में से कई श्लोक आते हैं जिनसे यह सिद्ध होता हैं की श्री राम जी मांसाहारी थे? इस शंका का समाधान होना अत्यंत आवश्यक हैं क्योंकि श्री राम के साथ भारतीय जनमानस की आस्था जुड़ी हैं। […]

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इतिहास के पन्नों से व्यक्तित्व

पारस जिसे छूकर अमीचंद सोना बन गए

  (भक्त अमीचंद की पुण्यतिथि पर विशेष रूप से प्रकाशित) प्रेषक- डॉ विवेक आर्य स्वामी दयानन्द 1877 को रावलपिंडी से चलकर झेलम पहुँचे। उन दिनों अमीचंद मेहता वहां के दरोगा थे। झेलम जिले पिण्डदादन खाँ तहसील के हरणपुर गांव निवासी अमीचंद मेहता तहसील में पहले लिपिक के रूप में नियुक्त हुए और उन्नति करते करते […]

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इतिहास के पन्नों से

सत्याग्रह को एक कारगर हथियार के रूप में सबसे पहले विजय सिंह पथिक जी ने ही प्रयोग किया था

  विजयसिंह पथिक भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान सत्याग्रह का सबसे पहले प्रयोग करने वाले सफल राजनेता थे। उन्हीं के विचारों से प्रेरित होकर आगे चलकर गांधी जी ने इसी सत्याग्रह को अपना राजनीतिक हथियार बनाकर काम किया। होली के दूसरे दिन दुल्हेंडी 27 फरवरी, 1884 को उनका जन्म उत्तर प्रदेश के गुलावठी शहर के […]

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इतिहास के पन्नों से

27 जुलाई जन्म दिवस पर विशेष :आत्मीयता के प्रतिरूप – कृष्ण चंद्र भार्गव

  श्री कृष्णचंद्र भार्गव (भैया जी) का जन्म 27 जुलाई, 1926 को अजमेर (राजस्थान) में श्री कन्हैयालाल भार्गव के घर में हुआ था। वे हॉकी, फुटबॉल तथा क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी थे; पर जब उनके कई साथी शाखा जाने लगे, तो 1941 में वे भी संघ की ओर आकर्षित हो गये। वे एक सम्पन्न, शिक्षित […]

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इतिहास के पन्नों से समाज स्वर्णिम इतिहास

“उजड़ देखकर गुर्जर राजी” – का क्या है अर्थ ?

  भारतीय इतिहास के विकृतिकरण के प्रति संकल्पित भारत-द्वेषी लोगों ने कई ढंग या उपाय अपनाएं हैं ।उनमें से एक उपाय यह भी है कि भारत प्रेमी इतिहासनायक या नायकों को बदनाम करो और फिर जनता में उनके प्रति तिरस्कार भाव उत्पन्न हो जाए तो धीरे-धीरे उन्हें इतिहास के पन्नों से विलुप्त कर दो। ऐसा […]

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इतिहास के पन्नों से भारतीय क्षत्रिय धर्म और अहिंसा

भारतीय इतिहास और प्रतिभा का विकृतिकरण

  #डॉविवेकआर्य . कुछ दिन पहले मैं किसी मित्र की MA की इतिहास की पुस्तक पढ़ रहा था.उसमे लिखा था प्राचीन भारत में जाति को वर्ण कहा जाता था. संस्कृत भाषा में वर्ण का अर्थ है रंग. अतः रंग के आधार पर उत्तर भारतीयों ने गौरे रंग वालों को ब्राह्मण कहा. उत्तर भारत के काले […]

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