🌺 एक वही है जो पूर्ण है 🌺 पुराने जमाने में एक राजा हुए थे, भर्तृहरि। वे कवि भी थे। उनकी पत्नी अत्यंत रूपवती थी। भर्तृहरि ने स्त्री के सौंदर्य और उसके बिना जीवन के सूनेपन पर 100 श्लोक लिखे, जो श्रृंगार शतकम् के नाम से प्रसिद्ध हैं।उन्हीं के राज्य में एक ब्राह्मण (योगी गोरखनाथ) […]
Category: इतिहास के पन्नों से
#बलिदान_पर्व – 9 नवंबर और 10 नवम्बर सन 1675 ई. चांदनी चौक, दिल्ली. औरंगज़ेब के शासन काल में उसकी इतनी हठधर्मिता थी, कि उसे इस्लाम के अतिरिक्त किसी दूसरे धर्म की प्रशंसा तक सहन नहीं थी. मुग़ल आक्रांता औरंगजेब ने मंदिर, गुरुद्वारों को तोड़ने और मूर्ती पूजा बंद करवाने के फरमान जारी कर दिए थे, […]
किताबों से लेकर दस्तावेजों में बदल जाएगा मिस्र का इतिहास योगेश मिश्रा मिस्र पुरातत्वविदों की पहली पसंद रहता है क्योंकि यह मौजूद पुरातत्व स्थल अक्सर इतिहास से जुड़े रहस्यों पर से पर्दा हटाते रहते हैं। अब एक ममी के अवशेष दावा कर रहे हैं कि मिस्र में ममी का इतिहास अनुमान से ज्यादा प्राचीन है। […]
आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक भगवान् बुद्ध एक विख्यात महापुरुष थे। वे वेद, आर्य अथवा ब्राह्मण आदि के विरोधी नहीं बल्कि उनका अति सम्मान करने वाले थे। वे इनके नाम पर हो रहे पापों से घृणा अवश्य करते थे, परन्तु इनके यथार्थ स्वरूप का कुछ-कुछ भान उनके हृदय में भी था। इस कारण उनके विचार इनके प्रति […]
हमारे देश में कई लोगों को ऐसी भ्रांति रहती है कि जैसे 25 जून 1975 को ही देश में पहली बार आपातकाल घोषित किया गया था । आज हम यहां यह बताना चाहेंगे कि देश में पहली बार आपातकाल जैसी स्थिति 13 सितंबर 1948 को उत्पन्न हुई थी। यद्यपि उस समय हमारे देश का संविधान […]
प्रकाश नायक असम के लोग तीन महान व्यक्तियों का बहुत सम्मान करते हैं। प्रथम, श्रीमंत शंकर देव, जो पन्द्रवीं शताब्दी में वैष्णव धर्म के महान प्रवत्र्तक थे। दूसरे, लाचित बरफूकन, जो असम के सबसे वीर सैनिक माने जाते हैं और तीसरे, लोकप्रिय गोपी नाथ बारदोलोई, जो स्वतन्त्रता संघर्ष के दौरान अग्रणी नेता थे। लाचित बरफूकन […]
अरुण उपाध्याय लेखक ज्योतिष के विद्बान और पूर्व आईपीएएस अधिकारी हैं। मूल नामों से प्राचीन इतिहास और परंपरा का पता चलता है। जैसे काशी क्षेत्र की पूर्वी सीमा (सोन-गंगा संगम) पर स्थित स्थानों के नाम उसी क्रम में हैं जैसे जगन्नाथ पुरी के निकट के क्षेत्र। विश्वनाथ और जगन्नाथ धाम में अधिक अन्तर नहीं है। […]
लोकेन्द्र सिंह एक नहीं, दो नहीं, लगभग आधा सैकड़ा शिव मंदिर। एक ही जगह पर, एक ही परिसर में। आठवीं शताब्दी की कारीगरी का उत्कृष्ट नमूना। आसपास बिखरे पड़े तमाम अवशेष। पुरातत्व विभाग और सरकार ईमानदारी से प्रयास करते रहेंगे तो निश्चित ही चारों तरफ बिखरे पड़े इन्हीं अवशेषों में से और मंदिर जी उठेंगे। […]
राक्षसों के संहारक बनो शूर्पणखा का कार्य अनैतिक और अनुचित था। जिसके अनुचित और अनैतिक कार्य का सही फल लक्ष्मण जी ने उसे दे दिया था। इसके पश्चात अब वे परिस्थितियां बननी आरंभ हुईं जो उस कालखंड की ऐतिहासिक क्रांति का सूत्रपात करने वाली थीं। यह घटना राक्षस वंश के लिए ऐसी घटना सिद्ध हुई […]
जब अयोध्या के साथ ही पड़ी थी काशी विश्वनाथ मंदिर और श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन की नींव यह तो पहली झाँकी है, मथुरा-काशी बाकी है। ये नारा तो बहुत बाद में बुलंद हुआ। उससे बरसों पहले तीन दोस्तों ने अयोध्या के साथ-साथ इन दो हिन्दू पवित्र स्थलों को […]