माना कि हम अंग्रेज़ों के दुश्मन थे लेकिन ऐसा क्या गुनाह किया था हमारे पुरखों ने कि जब 15 अगस्त 1947 को भारत को आज़ादी मिली तो हमें क्यों आज़ाद नहीं किया गया? जी हां, अंग्रेज़ों के काले क़ानून (क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट 1871) से मुक्ति मिली तो पूरे पांच वर्ष सोलह दिन बाद 31 अगस्त […]
Category: इतिहास के पन्नों से
रावण फिर चला मारीच की ओर अपनी बहन शूर्पणखा के इन रोमांचकारी वचनों को सुनकर रावण ने अपने मंत्रियों के साथ विचार विनिमय किया और उनसे विदा लेकर वह फिर मारीच के आश्रम की ओर चला। रावण के वहां पहुंचने पर मारीच ने फिर उससे कुशल क्षेम पूछा और वार्ता आरंभ की। तब रावण […]
नाथूराम गोडसे के नाम और उनके एक काम के अतिरिक्त लोग उन के बारे में कुछ नहीं जानते। एक लोकतांत्रिक देश में यह कुछ रहस्यमय बात है। रहस्य का आरंभ 8 नवंबर 1948 को ही हो गया था, जब गाँधीजी की हत्या के लिए चले मुकदमे में गोडसे द्वारा दिए गए बयान को प्रकाशित करने […]
आदर्श शासक महाराजा रणजीत सिंह (आज 13 नवम्बर उनके जन्म दिवस पर विशेष) वे साँवले रंग का नाटे कद के मनुष्य थे। उनकी एक आँख शीतला के प्रकोप से चली गई थी। परंतु यह होते हुए भी वह तेजस्वी थे। आत्मबल का उदाहरण देखना हो तो महाराजा रणजीत सिंह मे देखना चाहिए महाराजा रणजीत सिंह […]
१८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम प्रस्तुति – देवेंद्र सिंह आर्य (चेयरमैन ‘उगता भारत’ समाचार पत्र) १८५७ का भारतीय विद्रोह, जिसे प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, गुर्जर विद्रोह और भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है इतिहास की पुस्तकें कहती हैं कि 1857 की क्रान्ति की शुरूआत ’10 मई 1857′ की संध्या को मेरठ मे हुई थी और इसको […]
सेनापति बापट के नाम से प्रसिद्ध पांडुरंग महादेव बापट का जन्म 12 नवम्बर, 1880 को पारनेर (महाराष्ट्र) में श्री महादेव एवं गंगाबाई बापट के घर में हुआ था। पारनेर तथा पुणे में शिक्षा पाकर उन्होंने कुछ समय मुंबई में पढ़ाया। इसके बाद वे मंगलदास नाथूभाई की छात्रवृत्ति पाकर यांत्रिक अभियन्ता की उच्च शिक्षा पाने स्कॉटलैंड […]
स्वाति सिंह बंटवारा फिर वो चाहे घर में हो, रिश्तों में हो या फिर देशों में ये हमेशा दर्दनाक होता है। इस पीड़ा को सिर्फ वही अच्छे से समझ सकता है, जिन्होंने इस दर्द को खुद सहा,जिन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा हो,जिन्होंने अपनों को खोया हो,उन्हें ये दर्द आज भी सालता रहता है। हमारे देश […]
स्वाति सिंह भारतीय संविधान के अनुसार भारत एक लोकतांत्रिक देश है। लेकिन इसके विपरीत, भारतीय समाज की सामाजिक व्यवस्था पितृसत्तामक है।इस समाज ने अपने इतिहास लिखने के काम में भी अपनी पितृसत्ता की पूरी छाप छोड़ते हुए महिलाओं को दोयम दर्जे पर रखा है।शायद यही वजह है कि इतिहास में वीर, शौर्य और शासक का […]
तुम्हें देखते ही देशद्रोही भाग खड़े हों नींव रखी विनाश की नहीं रहा कुछ ज्ञान। कालचक्र को देखकर हंसते खुद भगवान।। बाल्मीकि जी द्वारा किए गए इस प्रकार के वर्णन से स्पष्ट होता है कि शूर्पणखा इस समय बहुत अधिक भयभीत थी। उसे यह अपेक्षा नहीं थी कि उसके भाई के द्वारा भेजे गए […]
तुम्हें देखते ही देशद्रोही भाग खड़े हों शूर्पणखा का कार्य अनैतिक और अनुचित था। जिसके अनुचित और अनैतिक कार्य का सही फल लक्ष्मण जी ने उसे दे दिया था। इसके पश्चात अब वे परिस्थितियां बननी आरंभ हुईं जो उस कालखंड की ऐतिहासिक क्रांति का सूत्रपात करने वाली थीं। यह घटना राक्षस वंश के लिए ऐसी […]