Categories
इतिहास के पन्नों से

आइए जानें, कश्मीर का रोमांचकारी इतिहास

शिबन कृष्ण रैणा कल्हण ने ‘राजतरंगिणी’ में कश्मीर का इतिहास गोनन्द-२ नाम के राजा से प्रारम्भ किया हैI यह वह समय है जब पाण्डवों के राजा युधिष्ठिर का राजतिलक हुआ था। गोनन्द-२ मगध के राजा जरासंघ का निकट-सम्बन्धी था।यमुना तट पर जब श्रीकृष्ण के साथ जरासंघ ने युद्ध किया, तो इसमें गोनन्द-२ ने भी भाग […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

जब सम्राट विक्रमादित्य ने कराया था राम मंदिर का जीर्णोद्धार

डॉ. अजय खेमरिया भारतीय समाज के कम ही लोगों को पता है कि महाराज विक्रमादित्य ने भी बाबा महाकाल मंदिर की शोभा बढ़ाने के साथ साथ लोप हो चुकी अयोध्या की फिर से खोज करने तथा श्री राम जन्म मंदिर के पुनर्निर्माण कराने का महती कारज भी किया था। आज से कोई 2078 बरस पहले, […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

1954 में कुंभ की भगदड़ः जब मुख्य मंत्री ने कहा, वो हरामजादा फोटोग्राफर कहाँ है

एस.एन. मुखर्जी 1954 में प्रयाग में पड़ने वाले कुंभ में मौनी अमावस्या का दिन मेरे जीवन में सर्वाधिक रोमांचकारी तथा दु:खद घटना होने के साथ ही एक प्रेस फोटोग्राफर के रूप में उपलब्धि वाला दिन था। कुंभ मेले में हुई दुर्घटना में एक हजार से ज्यादा लोग दब-कुचल कर मर गए और अकेले मैं ही […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

आर्य आक्रमण सिद्धांत : वक्त के साथ गिरती झूठ की दीवार

(लेखक- हृदयनारायण दीक्षित, उत्तर प्रदेश, विधानसभा अध्यक्ष) असत्य की उम्र नहीं होती, लेकिन प्रायोजित झूठ की बात दूसरी है। यह प्रायोजकों के बुद्धि कौशल से चर्चा में बना रहता है। राष्ट्रीय पमानजनक सत्य शूल की तरह हृदय में चुभते हैं। आर्य हमारे पूर्वज हैं। वे वैदिक संस्कृति, सभ्यता और दर्शन के जन्मदाता हैं। दुनिया के […]

Categories
स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा श्रीराम, अध्याय – 14 ( क ) सिंहावलोकन

सिंहावलोकन श्रीराम को भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की चेतना का एक महत्वपूर्ण स्रोत कहा जा सकता है। ऐसा नहीं है कि श्रीराम ही इस चेतना के एकमात्र स्रोत हैं। क्योंकि भारतीय चेतना का यह स्रोत तो सृष्टि के आदि से प्रवाहित होता चला आ रहा है। इसके महत्वपूर्ण संरक्षक के रूप में श्रीराम हमारे लिए बहुत […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

अमर बलिदानी रामप्रसाद बिस्मिल के ब्रह्मचर्य पर विचार (19 दिसंबर पर बलिदान दिवस पर विशेष)

(रामप्रसाद बिस्मिल दवारा लिखी गई आत्मकथा से साभार) ब्रह्मचर्य व्रत का पालन वर्तमान समय में इस देश की कुछ ऐसी दुर्दशा हो रही है कि जितने धनी तथा गणमान्य व्यक्ति हैं उनमें 99 प्रतिशत ऐसे हैं जो अपनी सन्तान-रूपी अमूल्य धन-राशि को अपने नौकर तथा नौकरानियों के हाथ में सौंप देते हैं । उनकी जैसी […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

स्वामी श्रद्धानंद को सफलता कैसे मिली

संसार का भला करने वाले केवल वे मनुष्य नहीं हैं जो केवल विद्वान हैं और न वे मनुष्य हैं जो बड़े बड़े शब्द रटकर लम्बे लम्बे व्याख्यान दे सकते हैं क्योंकि वे मनुष्य जो कुछ कहते हैं उसको मन से अनुभव नहीं करते। उन ही मनुष्यों के जीवन से जगत का कल्याण हुआ है और […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

कोच साम्राज्य की भव्यता की प्रति राजबाड़ी

हेमंत कुमार पाण्डेय चौंकाने या सम्मोहित करने के अलावा ऐतिहासिक राजनिवासों की यह विशेषता होती है कि वे आप को अतीत में ले जाकर खुद से आपकी जान-पहचान करवाते हैं. ऐसा ही कुछ पश्चिम बंगाल के कूचबिहार में स्थित राजबाड़ी की गोद में आकर आप महसूस कर सकते हैं. ब्रिटेन स्थित बकिंघम पैलेस की डिजाइन […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

कांग्रेस ने नहीं, भारत की दो वीर बालिकाओं ने लिया था सरदार भगत सिंह की फांसी का प्रतिशोध

भारत का प्रतिशोधात्मक पराक्रम संसार में अनुपम और अद्वितीय है। विदेशी विधर्मियों ने हमें मिटाने का हर संभव प्रयास किया, परंतु हमारी जिजीविषा सदा प्रबल रही। राष्ट्रीय लोकजीवन में हमने कभी भी विदेशी विधर्मियों की विधर्मिता और नीचता से समझौता नहीं किया। जितना ही उन्होंने हमें कुचलने और दलने का प्रयास किया उतना ही हमने […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

कुतुबुद्दीन और कुतुब मीनार के इतिहास का सच

उगता भारत ब्यूरो किसी भी देश पर शासन करना है तो उस देश के लोगों का ऐसा ब्रेनवाश कर दो कि वो अपने देश, अपनी संसकृति और अपने पूर्वजों पर गर्व करना छोड़ दें। इस्लामी हमलावरों और उनके बाद अंग्रेजों ने भी भारत में यही किया। हम अपने पूर्वजों पर गर्व करना भूलकर उन अत्याचारियों […]

Exit mobile version