अनिल सिंदूर म.प्र. दतिया के प्रथम शासक की छोटी सी रियासत पहाड़ों तथा जंगलों के बीच घिरी बडोनी से शुरू हुई थी लेकिन समाप्त ओरछा के शासक बनने पर हुई। दतिया राज्य के अंग बुंदेलखंड राज्य की नींव कन्नौज के गुर्जर-प्रतिहारों तथा चंदेलों ने डाली थी। सबसे पहले बुंदेला राजा रुद्रप्रताप ने अप्रैल 1531 में […]
Category: इतिहास के पन्नों से
क्या आप सपने में भी सोच सकते है कि केंद्र मे कांग्रेस का शासन, और गुजरात के कांग्रेसी मुख्य मंत्री के हेलिकाप्टर को पाकिस्तान मार गिराए!!😳 पूरे भारत🇮🇳 में किसी राज्य के मुख्यमंत्री को यदि किसी दूसरे देश ने मारा है तो वह गुजरात के कांग्रेस से ही मुख्यमंत्री स्वर्गीय बलवंत राय मेहता थे। स्वर्गीय […]
अध्याय-1 1071 ईस्वी- कृष्ण जन्मभूमि का मंदिर पहली बार महमूद गनजवी ने तोड़ा था । 1150 ईस्वी- 79 साल के बाद 1150 ईस्वी में कृष्णजन्मभूमि पर एक गहड़वाल राजा ने दोबारा मंदिर बनवाया 1351 ईस्वी- 201 साल बाद दिल्ली के सुल्तान बने फिरोज शाह तुगलक ने फिर उस मंदिर को तोड़वा दिया लेकिन स्थानीय लोगों […]
सिंहावलोकन भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की महानता इसी में निहित है कि भारत भूमि को पुण्य भूमि व पितृ भूमि बनाने में श्रीराम का महत्वपूर्ण योगदान है। उस योगदान को भारत का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद अपनी मौलिक चेतना का एक महत्वपूर्ण और अजस्र स्रोत मानता है। श्री रामचंद्र जी के योगदान को भारत की पुण्य […]
पृथ्वीराज चौहान राजा सोमेश्वर और कलचुरी की राजकुमारी रानी कर्पुरदेवी के पुत्र थे।पृथ्वीराज विजय के अनुसार उनका जन्म ज्येष्ठ माह के बारहवीं तिथि को हुआ था. वे बहुत सी भाषाओँ के जानकार थे। धनुर्विद्या में महारत हासिल कर रखा था।शब्दभेदी बाण के वे सिद्धहस्त थे।उन्होंने बचपन में शेर का जबड़ा अपने हाथों से फाड़ दिया […]
सिंहावलोकन राजनैतिक विचारक एंथोनी डी. स्मिथ ने राष्ट्र को कुछ इस तरह परिभाषित किया है, ‘मानव समुदाय जिनकी अपनी मातृभूमि हो, जिनकी समान गाथाएं और इतिहास एक जैसा हो, समान संस्कृति हो, अर्थव्यवस्था एक हो और सभी सदस्यों के अधिकार व कर्तव्य समान हों।’ यदि एंथोनी के इस कथन पर विचार किया जाए […]
राष्ट्र आराधक स्वामी श्रद्धानन्द जी महाराज {बलिदान दिवस} स्वामी जी का हरयाणा में प्रभाव डेढ़ अरब के मुकाबले पर इकला ही शेर दहाड़ा था। जो कोई आया मुकाबले पर उस को ही मार पछाडा़ था। ऋषिवर देव दयानंद के जितने गुण गायें उतने ही थोडे़ हैं। महाभारत के पश्चात अनेक प्रकार की परम्परा भारतवर्ष की […]
तनवीर जाफ़री इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना अर्थात् मोहर्रम शुरु होते ही पूरे विश्व में क़रबला की वह दास्तां दोहाराई जाती है जो लगभग 1450 वर्ष पूर्व इराक के करबला नामक स्थान में पेश आई थी। यानी हज़रत मोहम्मद के नाती हज़रत इमाम हुसैन व उनके परिवार के सदस्यों का तत्कालीन मुस्लिम सीरियाई शासक की […]
बल्लभगढ़ नरेश राजा नाहर सिंह लेखक :- स्वामी ओमानन्द जी महाराज पुस्तक :- देश भक्तों के बलिदान 1857 में भारतीय स्वतन्त्रता प्राप्ति हेतु प्रज्वलित प्रचण्ड समर अग्नि में परवाना बनकर जलने वाले अगणित ज्ञात एवं अज्ञात नौनिहाल शहीदों में बल्लभगढ़ नरेश राजा नाहरसिंह का नाम अत्यन्त महत्वपूर्ण है । दिल्ली की जड़ में अंग्रेजों के […]
उगता भारत ब्यूरो मुम्बईया सिने जगत पर वामपन्थ का प्रभाव शुरू से ही था। कोई ऐतिहासिक फिल्म भी बनायेंगे तो स्टोरी में हेर फेर कर के भारतीय राजा की हार और उसे कमतर ही दिखायेंगे। साल 1941 में निर्माता, निरेदेशक अभिनेता सोहराब मोदी ने एक फ़िल्म का निर्माण किया, जिसमें खुद ही निर्देशक और प्रमुख […]