योगेश कुमार गोयल भारत का संविधान 26 जनवरी 1949 को अंगीकृत किया गया था और कुछ उपबंध तुरंत प्रभाव से लागू कर दिए गए थे लेकिन संविधान का मुख्य भाग 26 जनवरी 1950 को ही लागू किया गया, इसीलिए इस तारीख को संविधान के ‘प्रारंभ की तारीख’ भी कहा जाता है। देश की स्वतंत्रता के […]
Category: इतिहास के पन्नों से
#सनातन_धर्म_रक्षक महान क्षत्रिय योद्धा 80 घाव लगने के बाद भी युद्ध लड़ने वाले वीरों के वीर #महाराणा__सांगा की #पुण्यतिथि पर उनके चरणों मे शत शत नमन . राणा सांगा :- नाम ही काफी है !! (30 जनवरी के दिन राणा सांगा जी का बलिदान हुआ था) मेवाड़ योद्धाओं की भूमि है, यहाँ कई शूरवीरों ने […]
वेदों में राष्ट्रभक्ति- ——————— लेख का प्रारम्भ अत्रि विक्रमार्क अन्तर्वेदी जी की श्रीसूक्त के पद की व्याख्या से करते हैं, फिर आगे बात करेंगे – उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्च मणिना सह। प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन् कीर्तिमृद्धिं ददातु मे।। अर्थात् हे देव, हमें देवों के सखा कुबेर, और उनके मित्र मणिभद्र तथा दक्ष प्रजापति की कन्या कीर्ति (यश) […]
*#गांधी वध और #ब्राह्मणों का ‘#नरसंहार’ !!!* 30 जनवरी 1948 को हुआ क्या था… ये सबको पता है इसी दिन शाम 5 बजकर 17 मिनट पर गोडसे ने गांधी का वध किया था… *लेकिन उसके बाद उस रात क्या हुआ था???* ये किसी को नहीं पता… लेकिन ये पता होना चाहिए… *ये पता होना चाहिए […]
28 जनवरी जन्मदिवस के अवसर पर सादर नमन आर्यसमाज मेरे लिए माता के सामान हैं और वैदिक धर्म मुझे पिता तुल्य प्यारा हैं- लाला लाजपत राय आज़ादी के महानायकों में लाला लाजपत राय का नाम ही देशवासियों में स्फूर्ति तथा प्रेरणा का संचार कराता है। अपने देश धर्म तथा संस्कृति के लिए उनमें जो प्रबल […]
कामुक अकबर के रंगीन किस्से
भारत के ज्ञात इतिहास में कामुक वृत्ति के दो चरित्र मिलते हैं। एक मांडव का गयासुद्दीन और दूसरा अकबर। इनमें भी अकबर ने गयासुद्दीन को बहुत पीछे छोड़ दिया। गयासुद्दीन कामुक था किंतु अपनी काम-पिपासा के लिए वह अपने मालवा राज्य की हिन्दू प्रजा को ही सताता था। जहां कहीं किसी हिन्दू के घर में […]
प्रह्लाद सबनानी आज पूरे विश्व में 3.2 करोड़ से अधिक अप्रवासी भारतीय निवास कर रहे हैं। करीब 25 लाख भारतीय प्रतिवर्ष भारत से अन्य देशों में प्रवास के लिए चले जाते हैं। विदेश में बस रहे भारतीयों ने भारतीय संस्कृति का झंडा बुलंद करते हुए भारत की साख को न केवल मजबूत किया है बल्कि […]
स्वामी ओमानन्द सरस्वती भारत के पतनकाल के समय आज से दो सो वर्ष पूर्व भी हरयाणा स्वर्ग के समान ही था । इसकी वैदिकसंस्कृति ज्यों की त्यों अविकृतरूप में थी । केवल पौराणिक प्रभाव के कारण तीर्थ , मूर्तिपूजादि का प्रचलन होगया था । वही अश्वपति के काल का पवित्र चरित्र , शुद्ध , सात्त्विक […]
यह आज हमें पता है कि भारत का वर्तमान स्वरूप 15 अगस्त 1947 की देन है। आज अखंड भारत की कल्पना में हम केवल पाकिस्तान और बांग्लादेश को जोड़ते हैं। परंतु हमें यह स्मरण रखना चाहिए कि बर्मा, श्रीलंका, अफगानिस्तान आदि भी भारत के ही भाग रहे हैं। यदि हम केवल 15 अगस्त 1947 के […]
पुराणों में भारतवर्ष की महिमा – ये पृथ्वी सप्तद्वीपा है । इनके नाम हैं – जम्बूद्वीप, प्लक्षद्वीप, शाल्मलिद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप, तथा पुष्करद्वीप । सातों द्वीपों के मध्य जम्बूद्वीप है । जम्बूद्वीप के अधिपति महाराज आग्नीध्र के नौ पुत्र हुए – जिनके नाम थे – नाभि, किम्पुरूष, हरिवर्ष, इलावृत, रम्यक, हिरण्मय, कुरू, भद्राश्व और केतुमाल […]