डा. राधे श्याम द्विवेदी अयोध्या हिंदुओं के प्राचीन व सात पवित्र तीर्थस्थलों (सप्तपुरियों) में एक है। अयोध्या को ईश्वर का नगर बताया गया है। इसकी सम्पन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है।अयोध्या को अथर्ववेद में ईशपुरी बताया गया है। इसके वैभव की तुलना स्वर्ग से की गई है। भगवान श्रीराम की […]
Category: इतिहास के पन्नों से
1- मेरा आजीवन कारावास 500 रुपए 2- काला पानी 250 रूपए 3- 1857 का स्वतन्त्रता समर 400 रूपए प्राप्ति के लिए- Whatsapp करें 7015591564 ————————- कालापानी मतलब यातना। कालापानी मतलब नरक। कालापानी मतलब क्रूर अत्याचार। कालापानी मतलब 24 घंटे त्रासदी वाला जीवन। क्या ये सबके वश की बात थी? कालापानी में कक्ष कारागारों को सेल्युलर […]
रावण का संस्कार
वर्तमान का मैसूर राज्य प्राचीन काल में महिष्मति पुर कहा जाता था। इसी का राजा महिदंत था, जो महान चक्रवर्ती राजा था और लंका भी उसके आधीन थी। एक समय पुलस्त्य ऋषि महाराज ने महाराज शिव से निवेदन करके लंका में एक स्थान प्राप्त किया था, जो स्वर्ण का बना हुआ ग्रह था। जिसमें ऋषि […]
यह ज़हर कहां से आता है ???
दीपक सिंह भंडारी इतिहास में सैकड़ों ऐसी घटनाएं दर्ज हैं जहां हिंदू से नये नये मुसलमान बने लोगों ने हिंदुओं पर अवर्णनीय अत्याचार किया या अगर अत्याचार करने की स्थिति में नहीं थे तो हिन्दू-द्रोह और देश-द्रोह में कोई कसर नहीं छोड़ी । समय और स्थान की बाध्यता का ध्यान रखते हुए मैं सिर्फ पांच […]
भावेश मेरजा यद्यपि शाहपुरा मेवाड़-राज्य का ही एक भाग था, परन्तु अंग्रेज सरकार ने उसे स्वतन्त्र राज्य का दर्जा दिला दिया था, केवल वर्ष में एक बार शाहपुराधोश को उदयपुर के दरबार में उपस्थित होना पड़ता था। महाराजा नाहरसिंह में भी मेवाड़ के सिसोदिया वंश का रक्त था। अतः वे भी ऋषि दयानन्द की ओर […]
यह प्रश्न विद्वानों में भी चलता है कि रावण महाबुद्धिमान होकर भी राक्षस क्यों कहा जाता है ? आज हम इसी विषय को लेकर चर्चा कर रहे हैं। रावण को दशानन कहते हैं। एक मत के अनुसार रावण का दसों दिशाओं में यश फैला हुआ था। रावण ब्राह्मण था और महाबुद्धिमान था। नाड़ी विज्ञान के […]
…….तब जाकर हमने आजादी पाई थी
*🚩ऐतिहासिक नीलामी🚩* *सन् 1944 की 26 जनवरी का दिन।* *रंगून के म्युनिसिपल बिल्डिंग के प्रांगण में नेताजी (सुभाष चंद्र बोस) के सम्मान में एक विशेष जनसभा का आयोजन किया गया था।* *बर्मा में इस प्रकार की सभा का यह प्रथम आयोजन था। नेताजी के नाम का ऐसा जादू था कि जनसाधारण के अलावा गणमान्य लोग […]
वीर शिरोमणि मराठा शूर शिवाजी की 392 वी जयंती पर विशेष आलेख। आज के महाराष्ट्र में नागपुर व उसके आसपास के क्षेत्र के राजा गुर्जर जाति के थे जो शिवाजी के वंशज थे। शिवाजी का गोत्र बैंसला था। जिसको आज बहुत से साथियों ने बिगाड़ करके बंसल कहने का प्रयास किया हैं। आपको गर्व की […]
डॉ. विवेक आर्य जय भीम का नारा लगाने वाले दलित भाइयों को आज के कुछ राजनेता कठपुतली के समान प्रयोग कर रहे है। यह मानसिक गुलामी का लक्षण है। दलित-मुस्लिम गठजोड़ के रूप में बहकाना भी इसी कड़ी का भाग हैं। दलित समाज में संत रविदास का नाम प्रमुख समाज सुधारकों के रूप में स्मरण […]
आत्मदर्शी दयानन्द◼️
✍🏻 लेखक – पंडित चमूपति एम॰ए० (आर्यसमाज के अग्रिम विद्वान, चिंतक एवं लेखक पंडित चमूपति जी के जन्मदिवस 15 फरवरी 1893 को विशेष रूप से प्रकाशित) [स्वर्गीय पं० चमूपतिजी एम०ए० का यह लेख तब का लिखा हुआ है जब वे गुरुकुल काँगड़ी के मुख्याधिष्ठाता थे। यह लेख साप्ताहिक प्रकाश उर्दू और ‘आर्य मुसाफिर’ में भी […]