सेकुलर रोग से ग्रस्त कुछ वामपंथी और कांग्रेसी विचार रखने वाले इतिहासकारों ने हुमायूँ के बेटे मुग़ल बादशाह अकबर को एक धर्मनिरपेक्ष और हिन्दू मुस्लिम एकता और भाईचारे का प्रतीक बता दिया है , और उसे “अकबर आजम -اكبرِ اعظم ” ( akabar the greate ) की उपाधि दे डाली है ,लेकिन अकबर न तो […]
Category: इतिहास के पन्नों से
प्रेरणादायक संस्मरण स्वामी दर्शनानन्द जी महाराज का सम्पूर्ण जीवन एक आदर्श सन्यासी के रूप में गुजरा। उनका परमेश्वर में अटूट विश्वास एवं दर्शन शास्त्रों के स्वाध्याय से उन्नत हुई तर्क शक्ति बड़ो बड़ो को उनका प्रशंसक बना लेती थी। संस्मरण उन दिनों का हैं जब स्वामी जी के मस्तिष्क में ज्वालापुर में गुरुकुल खोलने का […]
*अंग्रेजी में एक शब्द है “एक्सपेंसिव पावर्टी” इसका मतलब होता है कि गरीब दिखने के लिए आपको बहुत खर्चा करना पड़ता है। गांधीजी की गरीबी ऐसी ही थी।* एक बार सरोजनी नायडू ने उनको मज़ाक में कहा भी था कि आप को गरीब रखना हमको बहुत महंगा पड़ता है!! ऐसा क्यों? गांधी जी जब भी […]
डॉ. विवेक आर्य (23 मार्च भगत सिंह के बलिदान दिवस के अवसर पर विशेष) ‘मैं नास्तिक क्यों हूँ? शहीद भगत सिंह की यह छोटी सी पुस्तक वामपंथी, साम्यवादी लाबी द्वारा आजकल नौजवानों में खासी प्रचारित की जा रही है, जिसका उद्देश्य उन्हें भगत सिंह के जैसा महान बनाना नहीं अपितु उनमें नास्तिकता को बढ़ावा देना […]
कश्मीर का गौरवपूर्ण वैदिक काल
वैदिक संस्कृति और सभ्यता के निर्माण में कश्मीर का विशेष और महत्वपूर्ण स्थान है। सृष्टि के प्रारंभिक काल से ही भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपरा को और भी अधिक मुखरित करने में कश्मीर का बहुत भारी योगदान रहा है । अनेकों ऋषियों ने यहां से वेदों की ऋचाओं के माध्यम से संसार को सुख – […]
भारत माता को गुलामी के बंधनों से काटने के लिए जिन अनेक वीर योद्धाओं ने अपना बलिदान दिया उनमें भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव का नाम सर्वोपरि है। इन जैसे क्रांतिकारियों के कारण अंग्रेजों को दिन में चैन और रात में नींद नहीं आती थी। उन्हें चौबीसों घंटे सतर्क होकर रहना पड़ता था। कब कहां क्या […]
(भारत में विदेशी यूनानियो और ईरानियो की सत्ता का अंत करने वाले कुषाण) (शत्रु देश चीन को पराजित करनेवाला एक मात्र भारतीय सम्राट कनिष्क) डॉ सुशील भाटी हेन सांग (629-645 ई.) ने कनिष्क को जम्बूदीप का सम्राट कहा हैं| कुषाण साम्राज्य का उद्गम स्थल वाह्लीक माना जाता हैं| प्रो. बैल्ली के अनुसार प्राचीन खोटानी ग्रन्थ […]
कश्मीर की विरासत और शाहजहां कहा जाता है कि जहांगीर के बाद दिल्ली के सिंहासन पर बैठने वाले शाहजहां ने कश्मीर में अनेक बाग और चश्मे बनवाए। प्रसिद्ध शालीमार, निशात, चश्मे शाही इत्यादि अनेक बागों का निर्माण हुआ। इन सबने कश्मीर प्रदेश में शांति, सुख और समृद्धि को लाने में अपनी भूमिका निभाई, परंतु […]
मुगल काल और कश्मीरी पंडित
मुगल काल को छद्म इतिहासकारों ने भारत के इतिहास का स्वर्णिम युग कहने तक की मूर्खता की है। यद्यपि इस काल में हिन्दू विरोध की बयार बड़ी तेजी से बहती रही । कहीं पर भी ऐसा कोई आभास हमें नहीं होता जिससे यह अनुमान लगाया जा सके कि मुगल काल में भारत में हिंदू […]
मैक्समूलर के कुछ पत्र अपनी पत्नी, पुत्र आदि के नाम लिखे हुए उपलब्ध हुए हैं। पत्र-लेखक पत्रों में अपने हृदय के भाव बिना किसी लाग-लपेट के लिखता है। अतः किसी भी व्यक्ति के लिखे हुए ग्रन्थों की अपेक्षा उसके पत्रों में लिखे विचार अधिक प्रामाणिक माने जाते हैं। प्रारम्भिक विचार- मैक्समूलर के आरम्भिक काल में […]