छठी शताब्दी के प्रारंभ में हूणों ने कश्मीर पर विजय प्राप्त की थी और यहां पर अपना शासन स्थापित किया था। हूणों के राजा मिहिरकुल ने कश्मीर पर शासन किया। इस शासक को कई इतिहासकारों ने एक क्रूर शासक के रूप में स्थापित किया है। मिहिरकुल ने बाद में शैवमत को अपना लिया था। मिहिरकुल […]
Category: इतिहास के पन्नों से
प्राचीन अरबी काव्य-संग्रह ‘शायर-उल्-ओकुल’ में एक महत्त्वपूर्ण कविता है। इस कविता का रचयिता ‘लबी-बिन-ए-अख़्तर-बिन-ए-तुर्फा’ है। यह मुहम्मद साहब से लगभग 2300 वर्ष पूर्व (18वीं शती ई.पू.) हुआ था । इतने लम्बे समय पूर्व भी लबी ने वेदों की अनूठी काव्यमय प्रशंसा की है तथा प्रत्येक वेद का अलग-अलग नामोच्चार किया है— ‘अया मुबारेक़ल अरज़ युशैये […]
जिन्नाह और भारतीय नेता
#डॉ_विवेक_आर्य जब भी देश में चुनाव आते है। एक वर्ग विशेष के नेता जिन्नाह के गुण गान करने लगते है। एक नेता ने पाकिस्तान के जन्म मोहम्मद अली जिन्ना को क्रांतिकारी और देश के लिए संघर्ष करने वाला बताया। हालाँकि बाद में वह अपने बयान से पलट गए। पूर्व में एक वरिष्ठ नेता ने जिन्ना […]
‘राजतरंगिणी’ में अशोक कल्हण ने अपने 12वीं शताब्दी के ग्रन्थ राजतरंगिणी में, कश्मीर के राजा अशोक (गोनंदिया) का उल्लेख करते हुए अशोक को एक धर्मनिष्ठ बौद्ध शासक बताया है। बौद्ध मत के प्रति अपनी निष्ठा और समर्पण का प्रमाण देते हुए अशोक ने ऐसे अनेकों कार्य किए जिससे इस वैज्ञानिक धर्म की प्रसिद्धि हो और लोग इसकी शरण में […]
कोडागु/कोडावा/ कर्नाटक का एक पहाड़ी क्षेत्र है,जिसे कावेरी नदी का जन्म स्थान भी कहा जाता है । भारत की सेना में कोडागु जनजाति को कोडावा योद्धा कहा जाता है। जनसंख्या के आशय से आज इस दुनिया में कोडवा दूसरी सबसे कम आबादी वाली जनजाति है। जिसका जिम्मेदार मुस्लिम आक्रांता टीपू और उसका अब्बाजान हैदर अली […]
‘राजतरंगिणी’ में अशोक कल्हण ने अपने 12वीं शताब्दी के ग्रन्थ राजतरंगिणी में, कश्मीर के राजा अशोक (गोनंदिया) का उल्लेख करते हुए अशोक को एक धर्मनिष्ठ बौद्ध शासक बताया है। बौद्ध मत के प्रति अपनी निष्ठा और समर्पण का प्रमाण देते हुए अशोक ने ऐसे अनेकों कार्य किए जिससे इस वैज्ञानिक धर्म की प्रसिद्धि हो और लोग इसकी शरण में […]
कश्मीरी आतंकवाद अध्याय 4 महाभारत से कुषाण-काल तक कश्मीर 2 सम्राट अशोक चक्रवर्ती सम्राट अशोक का शासन काल ईसा पूर्व 304 से ईसा पूर्व 232 माना जाता है। उसके शासनकाल में कश्मीर में ही नहीं बल्कि भारतवर्ष से बाहर भी बौद्ध धर्म का व्यापक प्रचार- प्रसार हुआ। इसका कारण यह था कि अशोक पर बौद्ध- धर्म के […]
अध्याय 4 महाभारत से कुषाण-काल तक कश्मीर 1 महाभारत काल के बारे में यदि कश्मीर के विषय में विचार करें तो पता चलता है कि महाभारत युद्ध से एकदम पहले तक प्रथम गोनन्द का शासन कश्मीर पर था। कल्हण ने भी उसे कलियुग के प्रारंभ होने के पूर्व का ही एक प्रतापी शासक लिखा है। […]
उगता भारत ब्यूरो आज पूरे विश्व में भगवदगीता का प्रकाशन होता है। आज भी भारत में संत कबीर, संत रविदास, समर्थ गुरु रामदास, संत तिल्लुवल्लूवर, संत एकनाथ और संत नामदेव का नाम लिया जाता है। ये सब महात्मा झोपड़ी में रहे परंतु इनके विचार आज भी हमें प्रकाशित करते हैं। अब गरीबों की बात करने […]
कोकरनाग कश्मीर का कोकरनाग कश्मीर के ‘सुनहरे ताज’ के नाम से भी जाना जाता है। यह भी एक सुप्रसिद्ध पर्यटक स्थल है, जहां पर देश के ही नहीं बल्कि संसार भर के पर्यटक आकर प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हैं। कोकरनाग जिला राजधानी अनंतनाग से 25 किमी है। ‘कोकर’ कश्मीरी में मुर्गा को कहते हैं। […]