साथियों हम में से अधिकांश ने मेवाड़ केसरी महाराणा प्रताप के घोड़े *चेतक के बारे में तो सुना ही होगा लेकिन उनका एक हाथी भी था जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। उदयपुर के टाइगर हिल स्थित प्रताप गौरव केंद्र में महाराणा प्रताप और उनके प्रिय हाथी जिसका नाम *रामप्रसाद* था की प्रतिमा […]
Category: इतिहास के पन्नों से
स्वाभिमान के पुरोधा अनुपम योद्धा महाराणा प्रताप की 482 वी जयंती पर विशेष भारत के स्वाभिमान के प्रतीक महाराणा प्रताप की 482 वी जयंती के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। हल्दीघाटी के मैदान में युद्ध करने की योजना महाराणा प्रताप ने गोगुंदा के किले में रहते हुए बनाई थी। जब मेवाड़ […]
विभिन्नताओं को लेकर इतिहास की मान्यता रिंचन ने कश्मीर की बेटी कोटारानी के पिता रामचंद्र को समाप्त करके कश्मीर के राज्य पर जब अपना अधिकार कर लिया तो पिता के हत्यारे से विवाह करना कोटारानी के लिए बाध्यता हो गई। उस समय प्रशासन में चारों ओर अराजकता का वातावरण व्याप्त था। चारों ओर विद्रोह की […]
डॉ. विवेक आर्य (6 मई, 2022 को आदि शंकराचार्य जयंती के उपलक्ष में ) आदि शंकराचार्य एवं स्वामी दयानन्द हमारे देश के इतिहास की दो सबसे महान विभूति है। दोनों ने अपने जीवन को धर्म रक्षा के लिए समर्पित किया था। दोनों का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था और दोनों ने जातिवाद के […]
भारत का इतिहास विश्व में सर्वाधिक प्राचीन है। अपनी प्राचीनता के कारण इसने अनेक उतार-चढ़ाव भी देखे हैं। मानव के उत्थान – पतन, अनेक मत – मतांतरों के प्रचार – प्रसार , अनेक रक्तिम संघर्ष और राजनीति के अनेक हेरफेरों से निकली भारतीय इतिहास की सरिता अपने अंक में अनेक अनुभवों को समाए हुए है। […]
अमित सिवाहा १९५७ के हिन्दी रक्षा आन्दोलन में मेरे लिये नेताओं का आदेश था कि गिरफ्तारी से बचते हुए जत्थे भेजो,हिन्दी रक्षा समिति को पैसा भेजो। मैं प्रचार में जुट गया। हमारी पार्टी के वारंट हो गए। मेरे को सूचना देने वाले पूर्ण सिंह जी कापड़ो निवासी गुप्त सूचना देते थे। बालू गांव में प्रचार […]
डॉ. विवेक आर्य 1921 में गाँधी ने अंग्रेजी कपड़ों के बहिष्कार का ऐलान किया। उन्होंने विदेशी कपड़ों की होली जलाने का निर्णय लिया। स्वामी श्रद्धानन्द को जब यह पता चला तो उन्होंने महात्मा गाँधी को तार भेजा। उसमें उन्होंने गाँधी जी से कहा कि आप विदेशी कपड़ों को जलाकर अंग्रेजों के प्रति शत्रुभाव को बढ़ावा […]
संग्रामराज और रानी दिद्दा रानी ने अपने जीवन काल में ही अपने भाई लोहर के शासक उदयराज के पुत्र संग्रामराज को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर उसे राज्य सिंहासन सौंप दिया था। जिसने रानी के पश्चात एक स्वतंत्र शासक के रूप में कार्य करना आरंभ किया। संग्रामराज नाम के इसी शासक ने लोहर वंश की स्थापना […]
एक निर्माता के रूप में ललितादित्य वास्तव में ललितादित्य भारतीय गौरव और शौर्य का प्रतीक है। उसने किसी भी विदेशी आक्रमणकारी को भारत पर आक्रमण करने से पूर्णतया रोक दिया था। भारत के शौर्य संपन्न शासक के कारण विदेशी हमलावर भारत के नाम से भी उस समय डरने लगे थे। ललितादित्य ने ललितपुर नाम का […]
उगता भारत ब्यूरो हिन्दू धर्म और जाति की रक्षा के लिए जिन महापुरुषों ने अपने प्राण और सर्वस्व की बाजी लगा कर हिन्दू जाति के नाम को ऊँचा किया है, उनमें छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप, गुरु गोविन्दसिंह और वीर बन्दा वैरागी के साथ सरदार हरी सिंह नलवा का नाम भी बड़े आदर के साथ लिया […]