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इतिहास के पन्नों से

महाराणा प्रताप और उनके महान पूर्वजों की शौर्य गाथा

प्रियांशु सेठ सूर्यवंशी और चन्द्रवंशी राजाओं की सन्तान ही राजपूत लोग हैं। मेवाड़ के शासनकर्त्ता सूर्यवंशी राजपूत हैं। ये लोग सिसोंदिया कहलाते हैं; जो श्रीरामचन्द्र जी के पुत्र लव की सन्तान हैं। वाल्मीकि रामायण में आया है कि श्रीराम जी ने अपने अन्तिम समय लव को दक्षिण कौशल और कुश को उत्तरीय कौशल का राज्य […]

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कश्मीर का आतंकवाद, अध्याय 7 जब मिटाया गया कश्मीर का हिंदू स्वरूप 1

शाहमीर के शासन काल से ही मुस्लिमों के लिए कश्मीर को सुरक्षित बनाने की प्रक्रिया आरंभ हो गई। कहने का अभिप्राय है कि भविष्य की धारा 370 और उससे उपजी जटिलताओं का श्रीगणेश इसी काल में हुआ। इसके शासनकाल में एक नहीं अनेक विदेशी मुस्लिम बड़ी सहजता से कश्मीर में प्रवेश पाने में सफल हो […]

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इतिहास के पन्नों से

खिलाफत आंदोलन का महिमा मंडन सांस्कृतिक मंत्रालय की बड़ी भूल- दिव्य अग्रवाल

खिलाफत आंदोलन के नाम पर हिन्दुओं के नरसंहार को भूलकर आजादी के आंदोलन का हिस्सा बताना गांधी जी की गलती को दोहराना है । 1919 से 1924 का वह कालखंड जिसमें भारत के मुसलमान ब्रिटेन का विरोध इसलिए कर रहे थे की तुर्की में खलीफा की सत्ता को विस्थापित न किया जाए । खलीफा मुस्लिम […]

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1857 की क्रांति और धन सिंह कोतवाल

1857 की क्रांति के महानायक धन सिंह कोतवाल और उनके क्रांतिकारी साथी एवं महर्षि दयानंद का विजय सिंह पथिक व अन्य सेनानियों का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में योगदान । 10 मई 1857 की प्रातः कालीन बेला। स्थान मेरठ । जिस वीर नायक ने इस पूरे स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण एवं क्रांतिकारी भूमिका निभाई थी वह […]

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भारत के पराधीनता के काल का संक्षिप्त इतिहास

14 फरवरी 1483 को बाबर का जन्म हुआ। जो दिनांक 17 नवंबर 1525 ई0 को पांचवीं बार सिंध के रास्ते से भारत आया था। जिसने 27 अप्रैल 1526 को दिल्ली की बादशाहत कायम की। 29 जनवरी 1528 को राणा सांगा से चंदेरी का किला जीत लिया। लेकिन 4 वर्ष पश्चात ही दिनांक 30 दिसंबर 1530 […]

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महर्षि और रानी लक्ष्मीबाई की भेंट

सन्‌ 1855 ई. में स्वामी जी फर्रूखाबाद पहुंचे। वहॉं से कानपुर गये और लगभग पॉंच महीनों तक कानपुर और इलाहाबाद के बीच लोगों को जाग्रत करने का कार्य करते रहे। यहॉं से वे मिर्जापुर गए और लगभग एक माह तक आशील जी के मन्दिर में रहे। वहॉं से काशी जाकर में कुछ समय तक रहे.स्वामीजी […]

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बहादुर शाह जफर और 1857 क्रांति

बहादुर शाह ज़फर (1775-1862) भारत में मुग़ल साम्राज्य के आखिरी शहंशाह, और उर्दू के जानेे-माने शायर थे। उन्होंने 1857 का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सिपाहियों का नेतृत्व तो किया मगर काफी हील हुज्जत के बाद ,क्योंकि तब तक उनको बुढ़ापा आ चुका था ,उनका उत्साह पुराना हो चुका था। युद्ध में हार के […]

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महाराणा प्रताप के पूर्वजों की शौर्यगाथा

-प्रियांशु सेठ सूर्यवंशी और चन्द्रवंशी राजाओं की सन्तान ही राजपूत लोग हैं। मेवाड़ के शासनकर्त्ता सूर्यवंशी राजपूत हैं। ये लोग सिसोंदिया कहलाते हैं; जो श्रीरामचन्द्र जी के पुत्र लव की सन्तान हैं। वाल्मीकि रामायण में आया है कि श्रीराम जी ने अपने अन्तिम समय लव को दक्षिण कौशल और कुश को उत्तरीय कौशल का राज्य […]

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आतंकवाद इतिहास के पन्नों से

कश्मीरी आतंकवाद अध्याय – 6 कोटा रानी और कश्मीर का इतिहास – 3

उदयन देव की मृत्यु और रानी रानी के जीवन में कई ऐसे अवसर आए जब उसे नियति ने कड़ी मार लगाई। पहले पिता का वध किया गया । उसके पश्चात पति का देहांत हुआ और फिर दूसरे पति उदयन देव से विवाह किया तो अब वह भी साथ छोड़ गया। यह सन 1338 की घटना […]

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इतिहास के पन्नों से

महाराणा प्रताप के पराक्रम और शौर्य की चर्चा पर जब क्रोधित हो गए थे डॉक्टर संपूर्णानंद

  डॉ॰ राकेश कुमार आर्य 1947 में भारत के पहले शिक्षामंत्री बने मौलाना अबुल कलाम आजाद। उन्होंने कांग्रेस के द्वारा अपनी वर्धा योजना के अंतर्गत भारत के लिए प्रस्तावित की गई शिक्षा नीति के अंतर्गत भारत के शिक्षा संस्कारों को बिगाड़ने का काम आरंभ किया।उन्होंने ही इतिहास का विकृतिकरण करते हुए मुस्लिम मुगल शासकों को हिंदू […]

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