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भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

हिंदुत्व के व्यापक विरोध के कारण गजनवी 10 प्रतिशत भारत भी नहीं जीत पाया था

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास (अध्याय – 4) डॉ० राकेश कुमार आर्य पाठक वृंद ! हमारी इतिहास संबंधी यह शोधपरक श्रृंखला पिछले कई वर्ष से निरंतर प्रकाशित होती रही है। जिसे पाठकों की बहुत अधिक प्रशंसा प्राप्त हुई है। इस श्रृंखला में प्रकाशित हुए सभी लेखों को हमने ‘ भारत के 1235 […]

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सत्यार्थ प्रकाश में वर्णित आर्य राजाओं की वंशावली में दोष है

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास भाग – 1  (वे थमें नहीं, हम थके नहीं) अध्याय – 3 डॉ राकेश कुमार आर्य महर्षि दयानंद जी महाराज ने अपने अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश के ग्यारहें समुल्लास में आर्य राजाओं की वंशावली दी है। जिसे हम यहां यथावत देकर तब उस पर विचार करेंगे कि […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

‘संस्कृति नाशकों’ के विरुद्ध हिन्दू राजवंशों का ‘राष्ट्रीय संकल्प’ 

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास (भाग-1) वे थमे नहीं, हम थके नहीं अध्याय – 2 डाँ० राकेश कुमार आर्य हिंदू शक्ति के बिखराव के इस काल को यद्यपि हम अच्छा नहीं मानते, पर फिर भी इस काल में विदेशी ‘संस्कृति नाशक’ इस्लामिक आक्रांताओं को देश में न घुसने देने का ‘राष्ट्रीय संकल्प’ […]

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आत्मगौरव और स्वतंत्रता के भाव से पूरित विभिन्न हिन्दू राजवंश

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास – भाग – 426 वे थमें नहीं, हम थके नहीं अध्याय-1 डॉ राकेश कुमार आर्य स्वामी विवेकानंद और योगी अरविंद का मत रहा है कि भारत की शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य अपने देश की विरासत की आध्यात्मिक महानता पर बल देना और उसे बनाए रखने के लिए […]

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अंग्रेजों और मराठों के मध्य युद्ध

[हिन्दवी – स्वराज के संस्थापक शिवाजी और उनके उत्तराधिकारी पुस्तक से] (अध्याय 15) सूर्य ढलने लगा अब हिंदवी स्वराज्य का। हृदय को छलने लगा फूट का वह राज था।। आघात अपने आप दे आप को छलने लगे। तीर शकुनिवाद के अपनों पर चलने लगे।। मराठों ने भारत से मुगलिया सत्ता को सदा-सदा के लिए उखाड़ […]

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भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास भाग – 414

(हिन्दी स्वराज के संस्थापक शिवाजी और उनके उत्तराधिकारी पुस्तक से..) महान पेशवा बाजीराव प्रथम – अध्याय 12 जैसा कि हम पूर्व अध्याय में ही स्पष्ट कर चुके हैं कि बालाजी विश्वनाथ की मृत्यु के उपरांत उनके पुत्र बाजीराव प्रथम को मराठा साम्राज्य का अगला वंशानुगत पेशवा बनाया गया। बाजीराव प्रथम अपने उत्कृष्ट सैनिक गुणों, नेतृत्व […]

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भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास भाग – 413

हिंदवी स्वराज के संस्थापक शिवाजी और उनके उत्तराधिकारी पुस्तक से .. महान पेशवा बालाजी विश्वनाथ – अध्याय 11 मराठा शासनकाल में प्रधानमंत्री को ही पेशवा कहा जाता था। राजा की अष्टप्रधान परामर्शदात्री परिषद में इसका स्थान सबसे प्रमुख होता था। इसलिए बराबर वालों में प्रथम या प्रधान होने के कारण यह पद प्रधानमंत्री का पद […]

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भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास भाग – 408[हिंदवी स्वराज के संस्थापक शिवाजी और उनके उत्तराधिकारी पुस्तक से ….] इतिहास, इतिहासकार और छत्रपति शिवाजी – अध्याय- 6

मेरा भारत कितना महान है? तनिक इस पर विचार कीजिए- ‘झुकता सारा विश्व था अपने भारतवर्ष को। ज्ञान प्राप्ति के लिए था पुकारता भारतवर्ष को ।। उसे शांति मिलती थी सदा हिंद की आगोश में। किंचित नैराश्य भाव था नहीं जिसके शब्दकोश में।।’ भारत के इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने का कार्य कांग्रेस और कम्युनिस्ट […]

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भारत के 1235 वर्षीय स्वाधीनता संग्राम का इतिहास, भाग – 402 हिंदू राष्ट्रनीति व हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज, भाग – 1

डॉ राकेश कुमार आर्य सन 1674 तक शिवाजी अधिकांश प्रांतों या क्षेत्रों पर अपना अधिकार स्थापित कर चुके थे जो उन्हें पुरंदर की संधि के अंतर्गत मुगलों को देने पड़े थे । अतः अब वह अपने आपको राजा घोषित कराने की तैयारी करने लगे थे । उधर मुगलों ने जब शिवाजी महाराज के उद्देश्यों को […]

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अफगानिस्तान का हिंदू वैदिक अतीत: दिल्ली सल्तनत और अफगानिस्तान

दिल्ली सल्तनत और अफगानिस्तान भा रत के वीर पराक्रमी शासकों, सेनानायकों और सैनिकों के सैकड़ों वर्ष के प्रतिशोध के पश्चात् तुर्क इस्लामिक आक्रामक भारत की राजधानी दिल्ली तक पहुँचने में सफल हो गए। 712 ई. से लेकर 12 जून, 1206 ई. तक हमारे कितने ही वीर बलिदानियों ने अपने बलिदान दे-देकर माँ भारती की सेवा […]

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