भारत में सर्वत्र इतिहास बिखरा पड़ा है। खोजी नजरें जब उस पर पड़ती हैं तो जैसे सोने की खान में मिट्टी के हर कण में से सोना तलाश लेने वाली नजरें सोना निकाल लेती हैं, वैसे ही अनुसंधान और तार्किक दृष्टिकोण वाले विद्वज्जन इतिहास को खोज लिया करते हैं।जलालपुर ग्राम पंचायत सूरजपुर मखैना की मिट्टी […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
द्वीप पर मुगल सेना का आक्रमण राजाराम महाराज अपनी ओर से पूर्ण सावधानी बरतते हुए यद्यपि तुंगभद्रा के तट तक पहुँच गए थे, परंतु शत्रु भी उनका पीछा करता आ रहा था। अतः राजा का सावधान रहना बहुत आवश्यक था। पता नहीं शत्रु कब उन पर अपनी ओर से आक्रमण कर दे? ऐसी ही स्थिति, […]
छत्रपति संभाजी महाराज का जिस प्रकार मुगलों ने निर्दयता और क्रूरता के साथ वध कर दिया था, उसके परिणामस्वरूप मराठा साम्राज्य के सामने कई प्रकार के प्रश्न आ खड़े हुए थे। सर्वप्रथम स्वराज्य की रक्षा के लिए चल रहे संघर्ष को यथावत बनाए रखने के लिए एक योग्य उत्तराधिकारी के ढूँढने का प्रश्न था, क्योंकि […]
“मूर्तिपूजा पर ऋषि दयानन्द का अकेले काशी के 40 विद्वानों से एक साथ सफल शास्त्रार्थ” …………. ऋषि दयानन्द ने अपने जीवन में जो महान् कार्य किए उनमें से एक काशी के दुर्गा-कुण्ड स्थित आनन्द बाग में लगभग 50-60 हजार लोगों की उपस्थिति में ‘मूर्तिपूजा वेद सम्मत नहीं है’, विषय पर उनका शास्त्रार्थ भी था जिसमें […]
महात्मा गांधी से भी पहले सत्याग्रह को भारतीय स्वाधीनता संग्राम का हथियार बना देने वाले विजय सिंह पथिक भी क्रांतिकारी साहित्यकारों की श्रेणी के महान् व्यक्तित्व थे। पथिक जी क्रांतिकारी व सत्याग्रही होने के अलावा कवि, लेखक और पत्रकार भी थे। अजमेर से उन्होंने नव संदेश और राजस्थान संदेश के नाम से हिन्दी के अखबार […]
शिवाजी के पश्चात उनके पुत्र संभाजी महाराज ने उनके उत्तराधिकारी के रूप में गद्दी संभाली। इतिहासकारों का मानना है कि संभाजी महाराज यद्यपि अपने पिता शिवाजी महाराज की भांति तो संघर्षशील और साहसी नहीं थे, परंतु फिर भी उन्होंने इतिहास में अपना विशिष्ट और महत्वपूर्ण स्थान बनाया। उन्होंने भी अपने पिता के पदचिन्हों पर चलने […]
जब हम मध्यकाल में मुस्लिम आक्रमणकारियों के आक्रमणों के बारे में पढ़ते हैं तो अक्सर यह प्रश्न हमारे अंतर्मन में उठता है कि विदेशी आक्रमणकारियों के आक्रमण के समय देश के राजनीतिक केंद्रों के रूप में मान्यता प्राप्त रहे किलों की अपेक्षा धार्मिक आस्था के केंद्र हमारे मंदिर ही क्यों लूटे गए? यदि इस प्रश्न […]
राजस्थान के जोधपुर के राजवंश का विशेष महत्त्व है। इसमें कई ऐसे शासक हुए जिन्होंने अपने महान् कार्यों से इतिहास में अपना विशिष्ट स्थान प्राप्त किया। इन्हीं में से राव मालदेव राठौड़ भी एक रहे हैं। जिनका जीवनकाल 1511 से 1562 ई0 तक माना जाता है। इनके पिता का नाम गांगा था। इनका जन्म 5 […]
वीरयोद्धा सम्भाजी महाराज अध्याय-8 शिवाजी के पश्चात उनके पुत्र संभाजी महाराज ने उनके उत्तराधिकारी के रूप में गद्दी संभाली। इतिहासकारों का मानना है कि संभाजी महाराज यद्यपि अपने पिता शिवाजी महाराज की भांति तो संघर्षशील और साहसी नहीं थे, परंतु फिर भी उन्होंने इतिहास में अपना विशिष्ट और महत्वपूर्ण स्थान बनाया। उन्होंने भी अपने पिता […]
1946 में मजहब के नाम पर डायरेक्ट ऐक्शन में हिन्दूओं का नरसंहार कर अलग पाकिस्तान मांगने वाले दो करोड़ मुसलमान तो पाकिस्तान गये ही नहीं, अपितु भारत की छाती पर मूंग दलते हुए आज चालीस करोड़ हो गये। यानी 75 वर्ष में 20 गुना हो गये। और अपने जनसंख्या जिहाद, हिन्दुओं के धर्मांतरण और रोहिंग्या […]