कांग्रेस के हाथ में १९४७ में देश की बागडोर इसलिए आई कि कांग्रेस ने १९४५ के केंद्रीय विधान सभा का चुनाव इस प्रतिज्ञा के साथ जीता था कि मुस्लिम लीग की माँग देश का विभाजन कभी नही स्वीकार करेगी।.गांधी जी की लाश पर ही पाकिस्तान बनेगा। कांग्रेस ने देश के हिंदू मतदाताओं से विश्वासघात करके […]
Category: इतिहास के पन्नों से
इतिहास की पड़ताल पुस्तक से …. (अध्याय-14 ) आज हमारे देश का इतिहास करवट ले रहा है और कुछ सीमा तक उसे करवट दिलवाई भी जा रही है। हमारे ऐसा कहने का अभिप्राय है कि जब हम विश्व नेतृत्व की स्थिति में आते जा रहे हैं और विश्व को कोरोना वैक्सीन देने सहित कई क्षेत्रों […]
भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास (हिन्दी स्वराज के संस्थापक शिवाजी और उनके उत्तराधिकारी पुस्तक से) कोई व्यक्ति संसार से जाता है तो सामान्यतः उसके अनुयायी उसके अधूरे कार्यों को पूर्ण करने का संकल्प लेते देख जाते हैं, परंतु यह सत्य है कि जो भी महापुरुष संसार से जाता है उसके जाने के […]
इतिहास की पड़ताल पुस्तक से .. आजकल अफगानिस्तान में जो कुछ भी हो रहा है उससे हम भारतवासियों को बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है। हमें यह पता होना चाहिए कि अफगानिस्तान कभी भारतवर्ष का एक अंग हुआ करता था। आर्यावर्त कालीन अनेकों सम्राटों का इस क्षेत्र पर शासन रहा है। उस समय वैदिक संस्कृति […]
भारतीय संस्कृति में पर्वों को मनाने की लंबी परंपरा है । यही कारण है कि यहां पर्वों का बहुत बड़ा महत्व है । लोगों के हृदय में आस्था है,विश्वास है, श्रद्धा है,भक्ति है और समर्पण है । हमारे देश में एक कहावत प्रचलित है “बारह महीने तेरह त्योहार” इन सभी पर्वों के पीछे बहुत बड़ी […]
डॉ. अंबेडकर का संस्कृत प्रेम
इतिहास की पड़ताल पुस्तक से डॉक्टर भीमराव अंबेडकर भारतीय स्वाधीनता संग्राम के एक ऐसे नेता रहे हैं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा और योग्यता के बल पर अपना विशेष सम्मानपूर्ण स्थान प्राप्त किया। वह भारतीय संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे और प्रारूप समिति के अध्यक्ष के नाते उन्होंने संविधान में वही लिखा जो उनसे संविधान […]
(हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक शिवाजी और उसके उत्ताधिकारी पुस्तक से ..) शिवाजी द्वितीय और महारानी ताराबाई – इससे पहले कि हम इस अध्याय के बारे में कुछ लिखें मैथिली शरण गुप्त की इन पंक्तियों रसास्वादन लेना उचित होगा- ‘हाँ! वृद्ध भारतवर्ष ही संसार का सिरमौर है। ऐसा पुरातन देश कोई विश्व में क्या और है? […]
वनवास के समय एक राक्षस विराध जंगलों में आग लगाता हुआ पशुयों व मनुष्यो को खाता हुआ आगे बढ़ रहा था, वन में श्री राम से टकरा जाता है और कहता है यदि जीवन चाहिये तो स्त्री और अस्त्र-शस्त्र को छोड़ कर भाग जाओ… यदि जीवितुमिच्छास्ति त्यक्तवा सीताम् निरायुधौ अब यह क्या है? वस्तुतः यही है […]
भारत में सर्वत्र इतिहास बिखरा पड़ा है। खोजी नजरें जब उस पर पड़ती हैं तो जैसे सोने की खान में मिट्टी के हर कण में से सोना तलाश लेने वाली नजरें सोना निकाल लेती हैं, वैसे ही अनुसंधान और तार्किक दृष्टिकोण वाले विद्वज्जन इतिहास को खोज लिया करते हैं। जलालपुर ग्राम पंचायत सूरजपुर मखैना की […]
[हिन्दवी – स्वराज के संस्थापक शिवाजी और उनके उत्तराधिकारी पुस्तक से] हिंदवी स्वराज्य का संघर्ष और छत्रपति राजाराम महाराज (अध्याय -09) भाग – 2 द्वीप पर मुगल सेना का आक्रमण राजाराम महाराज अपनी ओर से पूर्ण सावधानी बरतते हुए यद्यपि तुंगभद्रा के तट तक पहुँच गए थे, परंतु शत्रु भी उनका पीछा करता आ रहा […]