Categories
भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

विश्व को विश्वगुरू भारत ने दिया था राष्ट्र का वैज्ञानिक स्वरूप

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास (खण्ड -01) वे थमे नहीं, हम थके नहीं (अध्याय – 07) विश्व को विश्वगुरू भारत ने दिया था राष्ट्र का वैज्ञानिक स्वरूप डॉ राकेश कुमार आर्य पाठक वृंद ! हमारी इतिहास संबंधी यह शोधपरक श्रृंखला पिछले कई वर्ष से निरंतर प्रकाशित होती रही है। जिसे पाठकों की […]

Categories
भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

भारत को सदियों से आलोकित रखा है बप्पारावल की देशभक्ति ने

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास खण्ड -01 वह रुक नहीं हम थके नहीं  (अध्याय – 6)   डॉ॰ राकेश कुमार आर्य भारत की जनता या भारत के नरेश जितने बड़े स्तर पर किसी विदेशी अक्रांता को चुनौती देते थे, उतने ही बड़े स्तर पर विजयी होने पर विदेशी अक्रांता यहां नरसंहार, लूट, […]

Categories
भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

जब स्वतंत्रता के लिए बिना राजा के ही लड़ती रहीं जातियां

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास खण्ड़ – 01 वे थमे नही , हम थके नहीं  (अध्याय -5) राकेश कुमार आर्य पाठक वृंद ! हमारी इतिहास संबंधी यह शोधपरक श्रृंखला पिछले कई वर्ष से निरंतर प्रकाशित होती रही है। जिसे पाठकों की बहुत अधिक प्रशंसा प्राप्त हुई है। इस श्रृंखला में प्रकाशित हुए […]

Categories
भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

हिंदुत्व के व्यापक विरोध के कारण गजनवी 10 प्रतिशत भारत भी नहीं जीत पाया था

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास (अध्याय – 4) डॉ० राकेश कुमार आर्य पाठक वृंद ! हमारी इतिहास संबंधी यह शोधपरक श्रृंखला पिछले कई वर्ष से निरंतर प्रकाशित होती रही है। जिसे पाठकों की बहुत अधिक प्रशंसा प्राप्त हुई है। इस श्रृंखला में प्रकाशित हुए सभी लेखों को हमने ‘ भारत के 1235 […]

Categories
भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

सत्यार्थ प्रकाश में वर्णित आर्य राजाओं की वंशावली में दोष है

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास भाग – 1  (वे थमें नहीं, हम थके नहीं) अध्याय – 3 डॉ राकेश कुमार आर्य महर्षि दयानंद जी महाराज ने अपने अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश के ग्यारहें समुल्लास में आर्य राजाओं की वंशावली दी है। जिसे हम यहां यथावत देकर तब उस पर विचार करेंगे कि […]

Categories
भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

आत्मगौरव और स्वतंत्रता के भाव से पूरित विभिन्न हिन्दू राजवंश

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास – भाग – 426 वे थमें नहीं, हम थके नहीं अध्याय-1 डॉ राकेश कुमार आर्य स्वामी विवेकानंद और योगी अरविंद का मत रहा है कि भारत की शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य अपने देश की विरासत की आध्यात्मिक महानता पर बल देना और उसे बनाए रखने के लिए […]

Categories
भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास

आत्मगौरव और स्वतंत्रता के भाव से पूरित विभिन्न हिन्दू राजवंश- अध्याय-1

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास भाग – 426 वे थमें नहीं, हम थके नहीं डॉ राकेश कुमार आर्य स्वामी विवेकानंद और योगी अरविंद का मत रहा है कि भारत की शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य अपने देश की विरासत की आध्यात्मिक महानता पर बल देना और उसे बनाए रखने के लिए हमारे दायित्व […]

Categories
भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास

मराठों के पतन के कारण (भाग 1)

भारत भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास हिंदवी स्वराज के संस्थापक शिवाजी और उनके उत्तराधिकारी पुस्तक से .. जीत के उल्लास में पराजय विराजती है नहीं। पराजय के शोक में जीत गीत गाती है नहीं॥ उत्थान और पतन का क्रम सदा से चल रहा। जैसा जिसका कर्म है मिल वैसा ही फल रहा।। […]

Categories
भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास

पानीपत का तृतीय युद्ध

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास भाग …. (अध्याय – 16) पा नीपत भारतीय इतिहास का एक प्रमुख स्थल है। जिसने कई बार भारतीय इतिहास को परिवर्तन की दिशा देने का काम किया है। यह अलग बात है कि परिवर्तन सदा हमारे अनुकूल ना रहा हो, लेकिन परिवर्तन तो परिवर्तन है। पानीपत का […]

Categories
भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास

उत्तरकालीन पेशवा

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास …. (हिन्दवी स्वराज के संस्थापक शिवाजी और उनके उत्तराधिकारी पुस्तक से .. अध्याय-14) पेशवा नारायणराव माधवराव प्रथम के पश्चात मराठा साम्राज्य दुर्बल होने लगा, क्योंकि उसके पश्चात इस साम्राज्य की संरक्षा व सुरक्षा के लिए कोई मजबूत इच्छाशक्ति वाला पेशवा इस साम्राज्य को नहीं मिला। माधवराव की […]

Exit mobile version