अशोक प्रवृद्ध उपनिषदों की एक कथा के अनुसार शरीर के इन्द्रियों में अपनी-अपनी श्रेष्ठता को लेकर विवाद हो जाने और सर्वश्रेष्ठता का निश्चय नहीं कर पाने पर वे प्रजापति के समक्ष गई और कहने लगीं कि उनमे से कौन सर्वश्रेष्ठ है? प्रजापति के सुझाव पर सब इन्द्रियाँ एक-एक कर शरीर छोडक़र गयीं और वापस लौट […]
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नई दिल्ली। नई दिल्ली में मौलाना आजाद मेडिकल कालेज के मुख्य द्वार के सामने स्थित खूनी दरवाजा आज इस बात को तसल्ली कर सकता है कि वह इस अंतिम मुगल शाह के लाडलों को बेरहमी से कत्ल किये की घटना का मूकगवाह है। सरकार ने शादी के बाद उसी राष्टï्रभक्त बादशाह बहादुर जफर के नाम […]
बोल सको तो विटप भी बोलो, कहां गये तुम्हारे पात?आता पतझड़ धरती पर क्यों, उसे कौन बुलाने जाता है? सजी संवारी धरती के, सारे गहने ले जाता है।दुल्हन धरती को विधवा कर, तू जरा तरस नही खाता है।लगता बसंत रोता गम में, जब मेघ बरसता आता है। मेघ गर्जना बसंत का गुस्सा, है चपला भी […]
मांसाहारियों को काफी हद तक उनके भोजन से पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाती हैं। लेकिन इस मामले में कई बार शाकाहारी पीछे छूट जाते हैं। कई ऐसे पोषक तत्वों की इनमें कमी पाई जाती है। ऐसा नहीं है कि शाकाहारी भोजन से पूर्ण पोषण नहीं पा सकते, बस जरूरत होती है अपने भोजन को […]
मध्य-पूर्व में बढ़ीं नाटो की मुश्किलें
एस. निहाल सिंह तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्डोगन ने हाल ही में आईएसआईएस से लडऩे के लिए अपने देश की नीति में बदलाव करके बहुत बड़ा दांव खेला है। अमेरिका के नेतृत्व में गठबंधन सेनाओं द्वारा आईएस के खिलाफ किए जाने वाले हवाई हमलों में भाग लेने से अब तक तुर्की खुद को शामिल […]
कण-कण में है व्याप्त तू, फिर भी निर्विकार कैसे?प्रवासी तू मानव मन का, फिर भी मन में छह विकार कैसे? सत्यं शिवं सुंदरम तू, करता दुर्गुणों का बहिष्कार कैसे?ओ सृष्टि के स्रष्टा बता, हुआ तेरा आविष्कार कैसे? मानव संसार का प्राणी है, प्रभु तू भी तो संसारी है।फिर भी तू अलौकिक शक्ति है, विस्मित बुद्घि […]
पंचवार्षिक योजनाएं एवं ग्रामीण विकास
डाँ. रमेश प्रसाद द्विवेदी भारत आजादी के समय से ही कल्याणकारी देश रहा है और सभी सरकारी प्रयासों का मूलभूत उद्देश्य देश की जनता का कल्याण करना रहा है। स्वतंत्रता के पश्चात् ग्रामीण विकास के लिए विविध कार्यक्रमों, योजनाओं, पंचावार्षिक योजनाओं के माध्यम से किये गये विकास कार्यों का मूल्यांकन से स्पष्ट होता है कि […]
अनंत, व्योम, आकाश गंगा, इनका है आधार क्या?अपने पथ में सब ग्रह घूमते, टकराते नही चमत्कार क्या? यदि भू से भिन्न सभ्यता है, उनका है व्यवहार क्या?सूक्ष्म में स्थूल समाया, जिज्ञासा है आकार क्या? कार्य और कारण से पहले, था ऐसा संसार क्या?मोक्ष अवस्था में था जीव, तब करता था व्यापार क्या? तू ईश एक […]
मनमोहन आर्य देहरादून स्थित श्रीमद्दयानन्द ज्योतिर्मठ आर्ष गुरुकुल, पौंधा के सोलहवें वार्षिकोत्सव के अवसर अन्य अनेक आयोजनों सहित एक ‘‘संस्कार सम्मेलन का भी आयोजन किया जिसके अनेक विद्वान वक्ताओं में प्रथम वक्ता थे आर्य जगत के वेदों के प्रसिद्ध विद्वान डा. सोमदेव शास्त्री, मुम्बई। अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के अनुसार किसी पदार्थ […]
लगता है सरिता ढूंढ़ती है, सागर भी उन्हें पुकारता है।ये समीर में सरगम सांसों की, जिन्हें क्रूर काल डकारता है। वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं, जलवाष्प से शबनम बनती है।किंतु है संदेह मुझे, प्रकृति कहीं सिर धुनती है। लूट लिया श्रंगार काल ने, जिस पर उसको रोष।मैं कहता हूं प्रकृति के आंसू, तुम कहते हो ओस। […]