पर्यावरण नियंत्रक सांस्कृतिक प्रकोष्ठ’ में कार्यरत व्यक्तियों के लिए आवश्यक हो कि वे संस्कृत के जानने वाले तो हों ही, साथ यज्ञ विज्ञान की गहराइयों को भी सूक्ष्मता से जानते हों। कौन सी सामग्री किस मौसम में और किस प्रकार पर्यावरण प्रदूषण से मुक्त करने में हमें सहायता दे सकती है-इस बात को ये लोग […]
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भारत के चौदहवें राष्ट्रपति का चुनाव निकट आता जा रहा है, हम सभी का ध्यान इस समय यह देखने में लगा हुआ है कि ‘रायसीना हिल्स’ पर इस बार पहुंचने की किसकी बारी है? यद्यपि भाजपा के प्रत्याशी श्री रामनाथ कोविंद का ‘रायसीना हिल्स’ पहुंचना लगभग निश्चित है, परंतु इसके उपरांत भी विपक्ष की प्रत्याशी […]
महर्षि दयानंद ने कहा था- ”यदि अब भी यज्ञों का प्रचार-प्रसार हो जाए तो राष्ट्र और विश्व पुन: समृद्घिशाली व ऐश्वर्यों से पूरित हो जाएगा।” इस बात से लगता है कि भारत सरकार से पहले इसे विश्व ने समझ लिया है। देखिये-फ्रांसीसी वैज्ञानिक प्रो. टिलवट ने कहा है- ”जलती हुई खाण्ड के धुएं में पर्यावरण […]
चौदहवें रतन को खोजता देश
भारत के चौदहवें राष्ट्रपति का चुनाव निकट है। हमें भाजपा की ओर से शीघ्र ही नये राष्ट्रपति का नाम मिलने वाला है। इसके लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अरूण जेटली, वैंकैया नायडू को नियुक्त कर दिया है। विपक्षी दलों से समन्वय स्थापित कर ये तीनों मंत्री अगले राष्ट्रपति […]
समाचार है कि मुजफ्फरनगर और सहारनपुर दंगों की आड़ में अलकायदा ने भारतीय मुसलमानों से जिहाद में सम्मिलित होकर अपनी सक्रिय भूमिका सुनिश्चित करने की भावुक अपील की है। भारत में इस आतंकी संगठन का प्रमुख असीम उमर है। जिसके विषय में सुरक्षा एजेंसी का मानना है कि उसके तार पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जुड़े […]
खेल की भावना से यदि कोई कार्य किया जाए तो उसे सबसे उत्तम माना जाता है। खेल में बच्चे गिरते हैं-चोट खाते हैं, जीतते और हारते हैं-पर खेल के मैदान से बाहर आते ही हाथ मिला लेते हैं। हार जीत के खट्टे मीठे अनुभवों को वहीं छोड़ देते हैं, और एक अच्छे भाव के साथ […]
सोचने की बात यह है कि उनके कारनामे कितने घृणास्पद रहे होंगे, जबकि कंपनी के निदेशकों तक ने स्वीकार किया है कि भारत में व्यापार करके जो बड़ी से बड़ी संपत्ति पैदा की गयी उनमें उतना ही बड़ा अन्याय और जुल्म भरा हुआ है, जितना बड़ा जुल्म संसार के इतिहास में कहीं सुनने और पढऩे […]
(50) कोच्चीन, त्रावणकोर- इन दोनों क्षेत्रों में मुस्लिम शासन एक दिन भी नहीं रहा। जबकि 1857 ई. से यहां अंग्रेजी राज्य अवश्य आ गया। इस प्रकार के परिश्रम साध्य विषय को समझकर और देखकर हमें ज्ञात होता है कि अंग्रेजों का भारत में विस्तार सामान्यता 1820 ई. से बाद का है। उसमें भी अधिकांश 1857 […]
पिछले लेखों में हम मध्य प्रदेश ‘हिंदी ग्रंथ अकादमी’ द्वारा प्रकाशित ‘भारत: हजारों वर्षों की पराधीनता एक औपनिवेशिक भ्रमजाल’ पुस्तक के आधार पर चर्चा कर रहे थे कि कितना भारत कितनी देर विदेशी शासन के आधीन रहा और कौन सा क्षेत्र अपनी स्वतंत्रता को बचाये रखने में सफल रहा? इस आलेख में भी उसी चर्चा […]
एक शोधपूर्ण प्रशंसनीय ग्रंथ मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी द्वारा ‘भारत हजारों वर्षों की पराधीनता एक औपनिवेशिक भ्रमजाल’ में बड़े शोधपूर्ण ढंग से हमें बताया गया है कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों पर मुस्लिम और ब्रिटिश शासन की अवधि कितने समय तक रही? इस सारणी को देखकर हमें पता चलता है कि भारत के हिंदू […]