बाल मुकुन्द ओझा भारत में 1975 से हर साल आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर महिलाओं के अधिकार, उनके सम्मान और अर्थव्यवस्था में उनकी भागीदारी की चर्चा होती है, महिलाओं को प्रोत्साहन देने की बात होती है। यह दिन महिलाओं को उनकी क्षमता, सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक तरक्की दिलाने […]
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बाबाओं के पास जो भीड़ जमा होती है, उसके मूल में दुख है, अभाव है, गरीबी है या अशांति है। कोई बेटे से परेशान है, कोई बहू से, कोई नौकरी से, कोई जमीन के झगड़े में फंसा है और किसी को कोर्ट-कचहरी के चक्कर में जायदाद बेचनी पड़ गई है। या तो धन ही नहीं […]
रीता सिंह देश की सर्वोच्च अदालत ने आश्रमों में कम उम्र की विधवाओं के रहने पर चिंता जाहिर करते हुए केंद्र सरकार से पूछा है कि विधवा विवाह को कल्याणकारी योजनाओं का हिस्सा क्यों नहीं होना चाहिए? न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने चिंता जताई कि विधवाओं के पुनर्वास की […]
अभी-अभी भारत ने 1942 में छेड़े गये-‘अंग्रेजो! भारत छोड़ो’ आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ मनाई है। वैसे हमारा मानना है कि यदि 1857 की क्रांति के इतिहास का और उस समय घटे घटनाचक्र का सूक्ष्मता से अवलोकन किया जाए तो पता चलता है कि भारतवासियों ने 1942 से 85 वर्ष पूर्व अंग्रेजों के विरूद्घ ‘भारत छोड़ो […]
1962 में देश चीन के हाथों परास्त हुआ। तब हमारे तत्कालीन नेतृत्व ने अपनी भूलों पर प्रायश्चित किया और सारे देश को यह गीत गाकर रोने के लिए बाध्य किया-‘ऐ मेरे वतन के लोगो, जरा आंख में भर लो पानी।’….हम अपने उन शहीदों की पावन शहादत पर रो रहे थे-जिनके हाथों से बंदूक छीनकर हमने […]
इन घोटालों पर कौन सोचेगा?
भारत में ऐसी-ऐसी मूर्खताएं शासन स्तर पर की गयी हैं कि उनसे देश का भारी अहित हुआ है। आज जबकि मोदी सरकार देश में भ्रष्टाचार के विरूद्घ आंदोलन छेड़ रही है, और बिहार में लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार को भ्रष्टाचार के शिकंजे में लाकर देश के बड़े भ्रष्टाचारियों को जेल की हवा खिलाने […]
भारत के शीर्ष संवैधानिक पद अर्थात राष्ट्रपति के रूप में श्री रामनाथ कोविन्द ने 25 जुलाई को अपना कार्यभार संभाल लिया। उन्होंने राष्ट्रपति का पद संभालते समय देश के सवा अरब लोगों को संविधान की रक्षा का भरोसा दिलाया और बड़ी विनम्रता व सादगी का प्रदर्शन किया। नये राष्ट्रपति को संसद के केन्द्रीय हॉल में […]
पिछले लगभग एक माह से भारत और चीन की फौजें आमने-सामने हैं। उन्होंने एक-दूसरे की सीमाओं का उल्लंघन नहीं किया है बल्कि भूटान के दोकलाम नामक एक पठार को लेकर दोनों देशों के फौजियों के बीच धक्का-मुक्की और कहा-सुनी हुई है। गनीमत है कि तोपें और बंदूकें नहीं चली हैं। भारत और चीन की सीमाएं […]
1947 में साम्प्रदायिक आधार पर देश के बंटवारे को अपनी सहमति देने वाले नेहरू-गांधी की कांग्रेस आज तक कहे जा रही है कि ‘मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना।’ कांग्रेस अपने सामने लगे तथ्यों के ढेर की उपेक्षा करके अपनी झूठी बात के महिमामंडन करते रहने की अभ्यस्त रही है। इसके सामने इतिहास गला […]
विश्व में भारतवर्ष एक ऐसा देश है, जिसके धर्म, संस्कृति और इतिहास सर्वाधिक प्राचीन हैं। इस दृष्टिकोण से भारतवर्ष का धर्म वैश्विक धर्म है, भारत की संस्कृति वैश्विक संस्कृति है और भारत का इतिहास (यदि वास्तव में खोजकर तथ्यपूर्ण ढंग से लिखा जाए तो) विश्व का इतिहास है। विश्व के ऐतिहासिक नगरों, देशों की राजधानियां […]