( किसी भी मीडिया संस्थान की पहली खबर से अगर लोगों के चेहरे पर मुस्कान न आये तो वह कैसी पत्रकारिता ? आज देश भर के चैनलों और अख़बारों में खबर जहां जल्दी पहुंचाने पर जोर है, वहीं समाचार में वस्तुनिष्ठता, निष्पक्षता और सटीकता बनाए रखना भी बेहद जरूरी है। फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर जैसे […]
Category: मुद्दा
संतोष पाठक लेकिन क्या वाकई ऐसा है ? क्या वाकई जम्मू-कश्मीर की जनता ने सबको खुश करने के लिए ही वोट किया है ? क्या यह जीत भाजपा की जीत है ? क्या यह फारूख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की जीत है ? क्या यह 370 खत्म करने का विरोध करने वालों की […]
**************************************** मैं आपको एक मनोवैज्ञानिक पराजय के विषय में बताता हूं : आपको याद है वो 24 Dec.1999 का दिन जब काठमांडू से उड़ते ही #IC814 फ्लाइट का आतंकियों ने अपहरण कर लिया था ?विमान में ज्यादातर भारतीय ही थे पर जापान, बेल्जियम, USA, ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देशों के नागरिक भी थे,अपहर्ताओं ने 100 […]
यहां से वहां तक
_-राजेश बैरागी-_ मैं स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन के इस विचार से सहमत हूं कि संविदा खेती से संबंधित ‘किसान(सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा समझौता विधेयक,2020′, द्वारा प्रस्तावित विवाद समाधान तंत्र किसानों के लिए बहुत जटिल है।वे कहते हैं,-इसके लिए उपभोक्ता अदालतों की तर्ज पर किसान अदालतों की […]
रमेश ठाकुर समय की दरकार है कि अल्पसंख्यक अधिकार देने की संज्ञा की दोबारा से व्याख्या की जाए। 18 दिसंबर को 1992 से अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। अल्पसंख्यक अधिकार दिवस की घोषणा संयुक्त राष्ट्र द्वारा हुई। हिंदुस्तान में आज अल्पसंख्यक जैसे अधिकार की हक़दार कई जातियां हैं। अगड़ी […]
वर्तमान केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए किसानों संबंधित कानूनों को लेकर देश के कुछ किसान आंदोलनरत हैं , उन पर आरोप है कि उनमें से अधिकांश यह नहीं जानते कि केंद्र सरकार जो कानून लाई है उसकी विषय वस्तु क्या है ? और वह किस का विरोध कर रहे हैं। वास्तव में मुद्दों के […]
ललित गर्ग सूरज की एक किरण को देखकर सूरज बनने का सपना संजोने वाला महान होता है। वह और अधिक महान होता है, जो सूरज बनने का सपना देखकर परिपूर्ण सूरज बन जाता है। शताब्दियों के बाद कोई-कोई व्यक्ति ऐसा होता है। वह अपनी रोशनी से एक समूची परंपरा एवं संस्कृति को उद्भासित कर […]
अजय कुमार किसानों को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि वह विपक्ष की भाषा बोलने या उनका मोहरा बनने की बजाए अपने हितों का ध्यान रखें। किसानों को ध्यान रखना होगा कि उनके आंदोलन के चलते आम जनता को कोई परेशानी या उसके मौलिक अधिकारों का हनन न हो। नया कृषि कानून […]
‘धर्म बांटेगा लोगों को। काले और सफेद तथा दोनों के बीच लाल और पीले अपने-अपने अधिकारों के लिए भिड़ेंगे। रक्तपात, बीमारियां, अकाल, सूखा, युद्ध और भूख से मानवता बेहाल होगी।’ (vi-10) आईएसआई के कारण होगा तृतीय विश्व युद्ध.. हालांकि ऐसी स्थिति हर समय ही रही है लेकिन यह बात नास्त्रेदमस ने 21वीं सदी के […]
धरी रह गई पुलिस की तैयारी
_-राजेश बैरागी-_ भारत को बंद क्यों करना चाहिए? किसानों के आह्वान पर आज आम जनता ने ज्यादा कान नहीं दिया। इसलिए बंद के बावजूद भारत लगभग खुला रहा। दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के शहरों में बंद को बेअसर करने के लिए पुलिस प्रशासन ने कमर कस रखी थी। बंद को समर्थन देने वाले […]