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गांव तक सड़क पहुंची मगर परिवहन की सुविधा नहीं

गोल्डी कुमारी गया, बिहार हमारे देश में पिछले कुछ दशकों में जिन बुनियादी ढांचों पर सबसे अधिक ज़ोर दिया गया है, उसमें सड़क प्रमुख है. वर्ष 2000 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के लांच होने के बाद से गांव के सड़कों की स्थिति में काफी सुधार आया है. इसका सीधा असर ग्रामीण जनजीवन और […]

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हाथरस में हुई मौतों का आखिर जिम्मेदार कौन ?

ललित गर्ग – उत्तर प्रदेश के हाथरस में मंगलवार को एक सत्संग के समापन के बाद मची भगदड़ में एक सौ इक्कीस लोगों के मरने एवं सैकड़ों लोगों के घायल होने की हृदयविदारक, दुःखद एवं दर्दनाक घटना ने पूरे देश को विचलित किया है। ऐसी घटनाएं न केवल प्रशासन की लापरवाही एवं गैर जिम्मेदारी को […]

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वरिष्ठ नागरिकों की केंद्र सरकार से अपेक्षाएं*

(सत्यशील अग्रवाल – विनायक फीचर्स) हमारे देश की सरकार देश के सभी बुजुर्गों का भरण पोषण करने में (सरकारी कर्मचारियों को छोड़ कर) असमर्थ होते हुए भी अन्य अनेक ऐसे उपाय कर सकती है जो बुजुर्गों के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं और सरकार के राजकोष पर अधिक बोझ भी नहीं पड़ेगा जो निम्न […]

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शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

दिनेश कुमार जयपुर, राजस्थान देश में लगातार बढ़ते तापमान के साथ ही पीने के पानी की समस्या भी बढ़ी है. इससे राजधानी दिल्ली और अन्य महानगर भी अछूते नहीं हैं. ऐसी स्थिति में ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी इलाकों में आबाद कच्ची बस्तियों के हालात को बखूबी समझा जा सकता है. जहां आज भी पीने के […]

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आखिर क्यों ढ़हा भाजपा का मजबूत किला*

(शिव शरण त्रिपाठी-विनायक फीचर्स) यदि भाजपा 2024 के आम चुनाव में अपने बलबूते बहुमत न हासिल न कर सकी तो इसका मुख्य कारण उत्तर प्रदेश में भाजपा का किला ढहना माना जा रहा है। जिस उत्तर प्रदेश में भाजपा ने 2014 के आम चुनाव में 71 सीटे जीती हो और 2019 के आम चुनाव में […]

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नरेंद्र मोदी : हिंदूवाद से सत्तावाद की ओर

✍️मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री आदरणीय मोहन भागवत और श्री इंद्रेश जी के बयानों के पश्चात मीडिया और राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा ज़ोर पकड़ने लगी है कि क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के बीच “खटपट” चल रही है? यहां यह प्रासंगिक है कि श्री नरेन्द्र मोदी ने सर्वप्रथम 2014 में “हिंदूवाद” के मुद्दे […]

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भाजपा कहीं हार गई तो कहीं हारते हारते बची है ,आखिर क्यों

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि विकास के कारण भी हार हो सकती है? अर्थात, कोई नेता या पार्टी इसीलिए हार जाए क्योंकि उसने विकास किया? सुनने में ये अजीब और हास्यास्पद जरूर लगे… लेकिन, अपने भारत के संदर्भ में ये बिल्कुल सच है। असल में इस चुनाव से कुछ पहले मेरा देवघर जाना […]

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बाल श्रम की अंधी गलियां और कानून

-ललित गर्ग- पूरी दुनिया में बाल श्रम एक ज्वलंत समस्या है, कैसा विरोधाभास है कि हमारा समाज, सरकार और राजनीतिज्ञ बच्चों को देश का भविष्य बताते हुए नहीं थकते लेकिन क्या इस उम्र के लगभग 25 से 30 करोड़ बच्चों से बाल मजदूरी के जरिए उनका बचपन और उनसे पढने का अधिकार छीनने का यह […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र मुद्दा

दुनिया चकित है केरल के महाज्ञानी छात्रों के नम्बर देख कर

विश्व मे ये पहला उदाहरण है। दुनिया चकित है केरल के महाज्ञानी छात्रों के नम्बर देख कर। आज TV पर बताया गया कि केरल बोर्ड से 100% नम्बर लेकर आये 4000से ज्यादा छात्र -छात्राओं ने दिल्ली वि वि मे फार्म भरा। एक ही कॉलेज में। इनमें से इतिहास में 38, भूगोल में 34, गणित में […]

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किशोरियों के लिए भी ज़रूरी है खेल का मैदान

मीरा नायक लूणकरणसर, राजस्थान “हमारे गांव में लड़कियों के खेलने के लिए कोई मैदान नहीं है. जिससे इस क्षेत्र में अपना करियर बनाने का सपना देखने वाली लड़कियों के पास अवसर खत्म हो रहे हैं. पूरे गाँव में केवल एक स्कूल है जहां खेलने लायक जमीन उपलब्ध है. लेकिन वहां लड़कों का कब्जा बना रहता […]

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