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*भारत बने धर्म-सापेक्ष*

*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* भारत को धर्म-निरपेक्ष नहीं, धर्म-सापेक्ष राष्ट्र बनाएं, यह बात मैं कई दशकों से कहता रहा हूं लेकिन इसी बात को बलपूर्वक कहकर जैन मुनि विद्यासागरजी महाराज ने इस धारणा में चार चांद लगा दिए हैं। विद्यासागरजी दिगंबर जैन मुनि हैं। उनकी मातृभाषा कन्नड़ है, लेकिन हिंदी और संस्कृत में उन्होंने विलक्षण दर्शन […]

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बाईबल की बेहूदा कहानियां…

———————————————– भारत में ब्रिटिश काल के कई ईसाई पादरियों, प्रचारक और लेखकों नें हिन्दू देवी-देवताओं और पुराणों की कथाओं का बहोत मज़ाक उडाया; उस काल का ईसाई साहित्य इस तथ्य की साक्षी है। आज उनकी यह प्रवृत्ति मंद जरूर हुई है, परंतु सर्वथा बन्द नहीं हुई है, तब उन्हें पादरी जे. टी. सण्डरलैंड (Jabez Thomas […]

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*जुबान की जगह छुरा क्यों चलाएँ?*

*डाॅ. वेदप्रताप वैदिक* कर्नाटक के शिमोगा में बजरंग दल के हर्ष नामक एक कार्यकर्ता की हत्या हो गई! उसकी हत्या करने के लिए 10 लाख रु. का इनाम रखा गया था। इनाम रखनेवाले और हत्यारों के नाम अभी तक प्रकट नहीं किए गए हैं लेकिन कर्नाटक के एक मंत्री ने कहा है कि ‘‘हर्ष की […]

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हिजाब विवादः सिर्फ औरतें चेहरा क्यों छिपाएँ?

 डॉ. वेदप्रताप वैदिक हिजाब और बुर्के का औचित्य डेढ़ हजार साल पुराने अरब देश में बिल्कुल ठीक था लेकिन आज की दुनिया में इसका कोई महत्व नहीं रह गया है। यदि हिजाब और बुर्का इस्लाम का अनिवार्य अंग है तो क्या बेनज़ीर भुट्टो, मरियम नवाज शरीफ, शेख हसीना, काबुल की शहजादियां मुसलमान नहीं हैं? कर्नाटक […]

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सोश्यल मीडिया का विष-वमन*

*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* सोश्यल मीडिया आज की जिंदगी में इतना महत्वपूर्ण बन गया है कि कई लोग 5 से 8 घंटे रोज़ तक अपना फोन या कंप्यूटर थामे रहते हैं। यदि हम मालूम करें कि वे क्या पढ़ते और देखते रहते हैं तो हमें आश्चर्य और दुख, दोनों होंगे। ऐसा नहीं है कि सभी लोग […]

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हिजाब विवाद पर देश का माहौल खराब करती कांग्रेस

 राकेश सैन जाने-माने इस्लामिक विचारक व केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने स्पष्ट किया है कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं। कुरान शरीफ में हिजाब का सात बार जिक्र है, लेकिन महिलाओं के ड्रेस कोड के सम्बन्ध में नहीं। पंजाब में विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार चरम पर है और मतदाताओं को रिझाने […]

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युवाओं को क्या संदेश देता है वैलेंटाइन डे

(व्यभिचारी एवं चरित्रहीन व्यक्ति नष्ट हो जाता है।) आज समाज में अश्लीलता को आधुनिकता के नाम पर परोसा जा रहा है। इसे एक प्रकार से बौद्धिक आतंकवाद भी कहा जा सकता ह। युवावस्था के अपरिपक्व मस्तिष्क को अफीम के समान व्यभिचार कि लत के लिए प्रेरित कर उसे भोगवाद के अंधे कुएँ में धकेल दिया […]

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हिज़ाब से नहीं बल्कि उच्च विचारों से होगा नारी जाति का सम्मान

इस्लामिक मान्यता के अनुसार औरतों को हिज़ाब में रखने से समाज में नारी जाति का हित है। मगर देखने में यह मिलता है कि जिन देशों में हिज़ाब प्रचलित हैं उनमें बलात्कार, छेड़छाड़ जैसी घटनाएँ प्रचलित हैं। इससे यही निष्कर्ष निकलता हैं कि हिज़ाब से अधिक महत्वपूर्ण विचारों की पवित्रता है। क्यूंकि शुद्ध विचारों से […]

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हिजाब या अलगाववादी षडयन्त्र

-विनोद बंसल राष्ट्रीय प्रवक्ता – विहिप भारतीय संविधान के अनुसार प्राथमिक शिक्षा सबके लिए अनिवार्य है। किन्तु इस अनिवार्यता के बावजूद दुर्भाग्यवश स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में भी देश की कुल जनसंख्या का 36.90 फीसदी हिस्सा आज भी निरक्षर है। मुस्लिमों में तो यह निरक्षरता दर 42.7 फीसदी है। यदि महिलाओं की बात करो तो […]

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*मुस्लिम गुंडागर्दी पर सवार सेक्युलर पार्टियों को पहचानो* *और योगी के प्रताप का साथ दीजिए*

*राष्ट्र-चिंतन* *आचार्य श्री विष्णुगुप्त* =================== मुस्लिम गुंडावाद शब्द अप्रिय लग सकता है, बूरा लग सकता है, एकतरफा सोच लग सकती है, ऐसा लग सकता है कि इस शब्द के माध्यम से एक विशेष वर्ग को अपमानित करने या फिर एक वर्ग विशेष को बदनाम करने के लिए प्रयोग किया जा रहा है। पर जब कोई […]

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