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कहीं डिप्रेशन की शिकार तो नहीं हैं किशोरियां?

रेहाना कौसर ऋषि पुंछ, जम्मू किशोरावस्था में मानसिक तनाव या अवसाद से पीड़ित होना समाज के लिए खतरे की घंटी की तरह होता है. सौभाग्य से हमारे देश के सरकारी अस्पतालों में भी इस बीमारी का मुफ्त और प्रभावी इलाज किया जाता है. यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें इंसान नकारात्मक विचारों के अंधे कुएं […]

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भरण-पोषण की तलाश में खोता बचपन

निधि तिवारी असम असम के बारपेटा क्षेत्र के चरचापुरस की सात वर्षीय अमरीन अपनी सबसे अच्छे दोस्त अमू को याद करती है, जो अपने परिवार के साथ उत्तर प्रदेश के लखनऊ में चंदन बस्ती में रहने के लिए आ गई है. अमू, स्कूल नहीं जाती है बल्कि घर पर रहती है और घर की देखभाल […]

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महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाते हैं स्वयं सहायता समूह

स्वयं सहायता समूह दृष्टिकोण ग्रामीण विकास के लिए एक सक्षम, सशक्त और नीचे से ऊपर का दृष्टिकोण है जिसने विकासशील देशों में कम आय वाले परिवारों को काफी आर्थिक और गैर-आर्थिक बाह्यता प्रदान की हैं। स्वयं सहायता समूह दृष्टिकोण को गरीबी का मुकाबला करने के लिए एक स्थायी उपकरण के रूप में सराहा जा रहा […]

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जितना कीचड़ उछालोगे, कमल उतना ही खिलेगा, पीएम मोदी का विपक्ष पर जोरदार हमला

उगता भारत ब्यूरो नई दिल्ली। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 फरवरी को लोकसभा में अपना 88 मिनट का भाषण दिया। अब राज्यसभा में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। पीएम मोदी ने राज्यसभा में जमकर कांग्रेस पर निशाना साधा। पीएम ने अपने अंदाज में लोकसभा में कांग्रेस के सभी आरोपो का करारा […]

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जब सड़क के बिना ज़िंदगी ठहर जाए

गीता कुमारी लमचूला, उत्तराखंड देश के बुनियादी ढांचों में विकास के लिए केंद्र और सभी राज्य सरकारें लगातार प्रयासरत हैं. इस समय देश में सड़कों के विकास पर तेज़ी से काम हो रहा है. भारतमाला परियोजना हो या स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की बात करें, इन परियोजनाओं ने देश में सड़कों की तस्वीर बदल दी है. […]

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राहुल की मुहब्बत की दुकान ?

डॉ. वेदप्रताप वैदिक कांग्रेस पार्टी के सर्वेसर्वा राहुल गांधी की भारत-जोड़ो यात्रा का आज समापन हो रहा है। केरल से कश्मीर तक की यह यात्रा शंकराचार्य के अलावा भारत में अब तक राहुल के सिवाय शायद किसी और ने कभी नहीं की। यह यात्रा इस अर्थ में एतिहासिक है। लेकिन भारत कहां से टूट रहा […]

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बिहार में जातिगत जनगणना की राजनीति

उमेश चतुर्वेदी मशहूर समाजवादी डॉक्टर राममनोहर लोहिया ने जाति तोड़ने का क्रांतिकारी विचार दिया था। लेकिन सबसे ज्यादा जाति केंद्रित राजनीति को बढ़ावा लोहियावादी राजनीति से ही मिला। जाति तोड़ने के लोहिया के विचार का मतलब था, समाज में ऊंच-नीच का भाव खत्म करके उसे बराबरी पर लाना। लेकिन लोहियावादी राजनीति की वजह से हुआ […]

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बाबा बागेश्वर सरकार पर आखिर इतना हंगामा क्यों है?

नवीन कुमार पाण्डेय बागेश्वर महाराज पंडित धीरेंद्र शास्त्री पर मीडिया कैमरों का फोकस हो गया है। हंगामा मचा है- बागेश्वर धाम में आस्था के नाम पर अंधेरगर्दी हो रही है। एक और बाबा सीधे-सादे लोगों को मूर्ख बना रहे हैं। टीवी चैनल बागेश्वर धाम को लेकर विशेष कार्यक्रमों की महफिल सजा रहे हैं। वहां कथित […]

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कानून बनाने से नहीं, सोच बदलने से ख़त्म होगी लैंगिक असमानता

भारती डोगरा पुंछ, जम्मू कहते हैं कि जिस घर में होता है बेटियों का सम्मान, वह घर होता है स्वर्ग के समान. हमारा संविधान किसी प्रकार से लड़का और लड़की में फर्क की इजाज़त नहीं देता है. लेकिन आज़ादी के 75 साल में भी देश के दूरदराज इलाकों में लैंगिक असमानता बनी हुई है. हालांकि […]

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बेजुबान पक्षियों को बचाने की मुहिम

संतोष सारंग मुजफ्फरपुर, बिहार वन्य प्राणी, पशु-पक्षी, जीव-जंतु आदि हमारे सहचर हैं. पर्यावरण संतुलन एवं भोजन चक्र को बनाए रखने के लिए भी ये बेजुबान प्राणी हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं. इस लिहाज से इनका संरक्षण करना बेहद जरूरी है. लेकिन चिंता की बात है कि मनुष्य की सुविधाभोगी जीवन शैली, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन एवं […]

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