*🌺वर्ण-व्यवस्था🌺* ✍🏻 लेखक- स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती *प्रस्तुति – 🌺 ‘अवत्सार’* 🔥ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीद् बाहू राजन्यः कृतः। ऊरू तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्या शूद्रो अजायत॥ -यजुः० ३१।११ प्यारे पाठकगण ! इससे पहले वेदमन्त्र में यह प्रश्न किया गया था कि मनुष्य-जाति का मुख क्या है? बाहू क्या है? ऊरू क्या है? और पाँव क्या है? अर्थात् इस बात को […]
श्रेणी: मनु और भारत की जातिवादी व्यवस्था
6 दिसंबर 1956 को माननीय डा. अंबेडकर जी का देहावसान हुआ । कानपुर के वैदिक गवेषक पंडित शिवपूजन सिंह जी का चर्चित ‘भ्रांति निवारण’ सोलह पृष्ठीय लेख ‘सार्वदेशिक ‘ मासिक के जुलाई-अगस्त 1951अंक में उनके देहावसान के पांच वर्ष तीन माह पूर्व प्रकाशित हुआ । डा. अंबेडकर जी इस मासिक से भलीभांति परिचित थे और […]
अध्याय 5 मनुस्मृति में जाति शब्द का जहां-जहां भी प्रयोग हुआ है वहां – वहां उसका अर्थ जन्म के रूप में लिया जाना चाहिए । मनु ( 1/ 201) में ‘ जाति अंधवधिरौ ‘ कहते हैं । जिसका अभिप्राय है – जन्म से अंधे बहरे । 4 /148 में कहते हैं – ‘ जाति स्मरति […]
अध्याय 4 मनु की दृष्टि में वास्तव में शूद्र वह है जो अपने आप को उन्नत करने के लिए , अपना आत्मिक विकास करने के लिए सक्रिय और सचेष्ट नहीं कर पाता और शास्त्रगत धर्म का पालन न कर अपने आप को सांसारिक विषय वासनाओं की आंधी में फंसाकर सर्वथा वेद विरुद्ध कार्यों में लगा […]
अध्याय 3 महर्षि मनु ने मनुष्य के मूल स्वभाव का अध्ययन कर उसके आधार पर अपनी मनुस्मृति में वर्ण व्यवस्था का प्रतिपादन किया । यद्यपि मनु से पूर्व वेदों में वर्ण व्यवस्था का उल्लेख है । मनु ने वेदों का अध्ययन कर उनकी वर्ण व्यवस्था का निष्कर्ष सार रूप में निकालकर जो कुछ हमारे समक्ष […]
अध्याय 2 डॉक्टर सुरेंद्र कुमार अपनी पुस्तक मनु का विरोध क्यों के पृष्ठ 5 पर लिखते हैं कि मनु की प्रतिष्ठा गरिमा और महिमा का प्रभाव एवं प्रसार विदेशों में भी भारत से कम नहीं रहा है। ब्रिटेन ,अमेरिका ,जर्मन से प्रकाशित एनसाइक्लोपीडिया में मनु को मानव जाति का आदि पुरुष, आदि धर्मशास्त्रकार, आदि विधि […]
अध्याय 1 मानव धर्म और मनुस्मृति वैदिक धर्म में मनुस्मृति का विशेष और सम्मानजनक स्थान है । भारतीय साहित्य में मनुस्मृति का मनु संहिता , मानव धर्मशास्त्र, मानव शास्त्र जैसे कई नामों से भी उल्लेख किया गया है। यह प्राचीन काल से ही हमारे भारतीय साहित्य में सबसे अधिक चर्चित धर्मशास्त्र के रूप में मान्यता […]