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देश विदेश महत्वपूर्ण लेख संपादकीय

भारत की विदेश नीति और मानवतावाद

इतिहास और विदेश नीति का चोली – दामन का साथ है । किसी भी देश के पड़ोसी देशों से उसका पुराना सम्बन्ध होना स्वभाविक है। जहाँ तक भारत की विदेश नीति और इतिहास की बात है तो भारत के लगभग सभी पड़ोसी देश कभी न कभी भारत के ही अंग रहे हैं । इस दृष्टिकोण […]

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महत्वपूर्ण लेख

सबका साथ सबका विकास – समान नागरिक कानून द्वारा ही संभव

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार भारत में समस्त राजनीतिक पार्टियां ही जब संविधान का मजाक बना रही हो, फिर किसी को दोष क्यों? चुनावों में देखो धर्म, मजहब और जाति के नाम पर टिकट दिए जाते हैं, क्यों? हर पार्टी ने अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ बनाए हुए हैं, क्यों? जब पार्टियां स्वयं जनता में विभाजन कर रही हैं, फिर […]

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महत्वपूर्ण लेख

कुटिल राजनीति और आहत होता लोकतंत्र

सत्ताहीनता से पीड़ित कांग्रेस सहित अधिकांश विपक्ष बार-बार हथकंडे अपना कर कोई न कोई संवेदनशील मुद्दा उठा कर समाज को भ्रमित करने में सक्रिय है। श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में राजग के सशक्त शासन को गिराने के लिए 2015 का बिसाहडा,दादरी (ग्रेटर नोएडा) कांड हो, 2016 में हैदरबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय के छात्र रोहित […]

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महत्वपूर्ण लेख

कोरोना संकटकाल में देश की जनता को बेहतर भरोसा दिलाने में सफल रहे हैं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन

जब राजनीति व्यापार बन चुकी है और जनसेवा को भूलकर राजनीतिज्ञ पैसे कमाने की अंधी दौड़ में सम्मिलित हो चुके हैं, तब भी भारतीय लोकतंत्र के लिए ऐसे कई शानदार स्तंभ हैं, जिनके कारण भारत का लोकतंत्र जिन्दा है और चलता हुआ दिखाई देता है ।सचमुच राजनीति में इस समय चिराग लेकर ढूंढना पड़ता है […]

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आर्थिकी/व्यापार महत्वपूर्ण लेख विधि-कानून

नए श्रम क़ानूनों के लागू होने से देश के आर्थिक विकास को लग सकते हैं पंख

किसी भी संस्थान की सफलता में उसके मज़दूरों एवं कर्मचारियों का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहता है। बिना मज़दूरों एवं कर्मचारियों के सहयोग के कोई भी संस्थान सफलता पूर्वक आगे नहीं बढ़ सकता। इसीलिए संस्थानों में कार्य कर रहे मज़दूरों एवं कर्मचारियों को “मज़दूर/कर्मचारी शक्ति” की संज्ञा दी गई है। हमारे देश में दुर्भाग्य से […]

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महत्वपूर्ण लेख संपादकीय

जिन्नाह का बाप यदि धर्म परिवर्तन कर धर्म के साथ गद्दारी ना करता तो जिन्नाह भी देश के साथ कभी गद्दारी न करता

वीर सावरकर जी कहा करते थे कि धर्मांतरण से मर्मान्तरण और मर्मांतरण से राष्ट्रांतरण होता है। इसलिए धर्मांतरण अपने आपमें एक बहुत बड़ी बीमारी है ।धर्म परिवर्तन व्यक्ति के मर्म का परिवर्तन कर देता है और वही व्यक्ति समय आने पर राष्ट्रद्रोही होकर राष्ट्र के विभाजन की मांग करने लगता है । यदि इस बात […]

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महत्वपूर्ण लेख

कोई हिंदू अपने स्वाभाविक उतराधिकार से कैसे होता है वंचित

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 किसी बगैर वसीयत के स्वर्गीय होने वाले हिंदू पुरुष और स्त्री की संपत्ति के उत्तराधिकार के संबंध में नियमों को प्रस्तुत करता है। इस अधिनियम के अंतर्गत वारिसों का निर्धारण किया गया है। कौन से वारिस किस समय संपत्ति में उत्तराधिकार का हित रखते हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत किसी संपत्ति […]

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महत्वपूर्ण लेख संपादकीय

‘उगता भारत’ का संपादकीय : भारत की अपेक्षाओं पर खरा उतरती है मोदी सरकार की शिक्षा नीति ?

केंद्र की मोदी सरकार ने अपनी नई शिक्षा नीति लागू कर दी है । इस शिक्षा नीति पर अनेकों शिक्षाशास्त्रियों, समाजशास्त्रियों, विद्वानों और मनीषियों ने अपने-अपने ढंग से लिखा है । अनेकों विद्वानों ने इसके समर्थन में लिखा है तो कुछ ने इसकी आलोचना की है ।वास्तव में किसी भी देश की शिक्षा नीति उसके […]

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महत्वपूर्ण लेख

कौवा और भारत पर आक्रमण करने वाले विदेशी हमलावर

आप कौवे को भी भारत पर (हिन्दुओं पर) हमलावरों के बुरे असर के उदाहरण की तरह देख सकते हैं। हिन्दुओं के लिए जो भी अच्छा होता है उसे हमलावर खराब घोषित करना जरूरी मानते हैं। हिन्दुओं की अच्छी चीज़ों का मजाक उड़ाया ही जाएगा। कागभुशुंडी जैसे हिन्दुओं में सम्मानित होते हैं, कौवे का बोलना अतिथियों […]

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आर्थिकी/व्यापार महत्वपूर्ण लेख मुद्दा राजनीति

लोकल को ग्लोबल बनाने हेतु प्रयासरत केंद्र सरकार

देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी ने एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम, “अमेरिका-भारत स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फ़ोरम के तीसरे लीडरशिप समिट”, को सम्बोधित करते हुए अभी हाल ही में कहा है कि 130 करोड़ भारतीय अब देश को आत्म निर्भर बनाने के मिशन पर निकल पड़े हैं। भारत के आत्म निर्भर बनने की परिभाषा में पूरे विश्व […]

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