निशान्त ‘बैंकरोलिंग एक्सटिंक्शन’ नामक जारी एक ताज़ा रिपोर्ट की मानें तो भारत के दो सबसे बड़े बैंक, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया और एचडीऍफ़सी, लगभग 6984 मिलियन डॉलर ऐसे क्षेत्र में निवेश कर चुके हैं जिनसे जैव विविधता को नुकसान हो रहा है। दरअसल पोर्टफोलियो अर्थ नामक संस्था द्वारा इस अपनी तरह की इस पहली रिपोर्ट […]
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डॉ. राकेश राणा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में घुसते ही आसमान में मंडराते चील-कौए-बाज आपका स्वागत करते मिलेंगे। बढ़ती जनसंख्या, बेतहाशा शहरीकरण और अंधाधुंध औद्योगिकीकरण ने दिल्ली के पर्यावरण को उसके पूरे पारिस्थितिकीय तंत्र को ध्वस्त कर दिया है। दिल्ली में मूलभूत समस्याओं आवास, यातायात, पानी व बिजली इत्यादि से निपटना अब चुनौती बन चुका […]
ललित गर्ग -ललित गर्ग- चुनाव जनतंत्र की जीवनी शक्ति है। यह राष्ट्रीय चरित्र का प्रतिबिम्ब होता है। जनतंत्र के स्वस्थ मूल्यों को बनाए रखने के लिए चुनाव की स्वस्थता, पारदर्शिता और उसकी शुद्धि अनिवार्य है। चुनाव की प्रक्रिया गलत होने पर लोकतंत्र की जड़े खोखली होती चली जाती हैं। चुनाव प्रक्रिया महंगी एवं धन के […]
यह एक एतिहासिक तथ्य है कि प्रभु श्री राम ने लंका पर चढ़ाई करने के उद्देश्य से अपनी सेना वनवासियों एवं वानरों की सहायता से ही बनाई थी। केवट, छबरी, आदि के उद्धार सम्बंधी कहानियाँ तो हम सब जानते हैं। परंतु, जब वे 14 वर्षों के वनवास पर थे तो इतने लम्बे अर्से तक वनवास […]
लेखिका:- प्रो0 कुसुमलता केडिया 5 अप्रैल 1952 को चाउ एन लाई ने नेहरू जी के (भारत सरकार के) राजदूत से कहा कि हमें तिब्बत में अपनी सेनाओं के लिये खाद्यान की आपूर्ति के लिये भारत पर निर्भर रहना पड़ेगा। हम चाहते हैं कि भारत इस मामले में हमारी सहायता करे। पणिक्कर ने नेहरू को यह […]
लेखिका :- प्रो. कुसुमलता केडिया प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1949 ईस्वी के अक्टूबर तक तिब्बत को लगातार एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में देखा और पत्राचार किया। स्तालिन के संकेत पर जब उन्होंने एशियाई मैत्री सम्मेलन बुलाया तो उसमें स्वतंत्र तिब्बत राष्ट्र का प्रतिनिधि मंडल भी आमंत्रित हुआ। प्रतिनिधि मंडल को भारत के प्रधानमंत्री ने […]
लेखिका :- प्रो. कुसुमलता केडिया जैसा मैंने पूर्व के अपने उद्बोधनों मंे बताया है, हुआंगहुआ, जिसे विगत 100 वर्षों से यूरोप के लोगों ने पहली बार भारत के द्वारा प्राचीन काल से प्रयुक्त चीन शब्द को ग्रहण कर ‘चाईना’ कहना शुरू किया है और जिसे वे पहले ‘कैथे’ और ‘सेरे’ कहते रहे हैं, प्रशांत महासागर […]
सज्जाद हैदर कश्मीर के युवाओं को एपीजे कलाम जैसे राष्ट्रनायकों को अपना आदर्श बनाना होगा गाजियाबाद । वाह रे सियासत तेरे रूप हजार। सत्ता की चाहत में राजनेता क्या-क्या नहीं कर गुजरते। सत्ता की चाहत और कुर्सी की लालच में राजनेता सबकुछ कर गुजरने को तैयार रहते हैं। इसका एक ताजा रूप कश्मीर […]
भारत सात्विक चिन्तन का देश है । सात्विकता उसकी अंतश्चेतना का वह मौलिक तत्व है जो उसे व्यष्टि से समष्टि तक के प्रति समर्पित रहने के लिए प्रेरित करती है। इस सात्विकता से उद्भूत सहिष्णुता भारत का वह गुण है जो उसे सम्पूर्ण संसार का सिरमौर बनाने की क्षमता रखता है । संसार में […]
– योगेश कुमार गोयल रोहतांग में समुद्र तल से करीब 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बनाई गई ‘अटल टनल’ आखिरकार 10 वर्षों के भीतर बनकर तैयार हो गई है। गत वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के पश्चात् उनके सम्मान में केन्द्र सरकार द्वारा दिसम्बर 2019 में सुरंग का नाम ‘अटल सुरंग’ […]