एक तरफ चुनावी मौसम विशेषज्ञ डूबते जहाज को छोड़ अपनी जीविका के अपने नए आश्रय की ओर कूच कर रहे हैं, लेकिन कुछ दल अभी भी अपनी विध्वंस और अराजक पृष्ठभूमि त्यागने को तैयार नहीं। नवंबर 28 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हैदराबाद में ओवैसी के गढ़ को भगवामय करने के अलावा […]
Category: महत्वपूर्ण लेख
पूनम नेगी (लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं।) कभी सोचा है कि क्यों रात को एक तय समय पर पलकें झपकने लगती हैं और सुबह एक तय समय पर खुद व खुद हमारी आंखें खुल जाती हैं। हम ही नहीं पशु-पक्षियों और वृक्ष-वनस्पतियों का जीवनक्रम भी एक सुनिश्चित प्राकृतिक लय के अनुरूप ही चलता है। यह […]
राकेश सैन राजनीतिक दल समस्या हल करने की बजाय बयानबाजी करके इसे और उलझाते जा रहे हैं। चूंकि पंजाब में लगभग एक साल बाद विधानसभा चुनावों का बिगुल बज जाना है, इसलिए कोई भी इस आंदोलन का लाभ लेने से पीछे हटने के लिए तैयार दिखाई नहीं दे रहा है। पिछले साल नागरिकता संशोधन […]
ललित गर्ग 25 नवम्बर, 1960, को राजनैतिक कार्यकर्ता डोमिनिकन शासक राफेल ट्रुजिलो (1930-1961) के आदेश पर तीन बहनों, पैट्रिया मर्सिडीज मिराबैल, मारिया अर्जेंटीना मिनेर्वा मिराबैल तथा एंटोनिया मारिया टेरेसा मिराबैल की 1960 में क्रूरता से हत्या कर दी थी। भारत ही नहीं, दुनियाभर की महिलाओं पर बढ़ती हिंसा, शोषण, असुरक्षा एवं उत्पीड़न की घटनाएं […]
घोटालेबाज़ गुपकार गैंग 1947 में जब से भारत स्वतंत्र हुआ है, तब से लेकर आज तक देश में घोटाले थमने का नाम ही नहीं ले रहे। जबकि देश में इतनी अधिक भ्रष्टाचार विरोधी एनजीओ बन चुके हैं, उसके बावजूद घोटाले होना सिद्ध करता है कि जिस तरह जनसेवा के नाम पर नेता और पार्टियां घोटालों […]
कोरोना वायरस महामारी इस सदी की सबसे बड़ी त्रासदी के रूप में पूरे विश्व पर आई है लेकिन आगे आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन के रूप में एक और महामारी पूरे विश्व को प्रभावित करने वाली है। जिस प्रकार भारत ने अभी तक कोरोना वायरस महामारी से नुक़सान को कम करने के सफल प्रयास […]
संविधान दिवस (26 नवम्बर) पर विशेष – श्वेता गोयल प्रतिवर्ष 26 नवम्बर को देश में संविधान दिवस मनाया जाता है। हालांकि वैसे तो भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था लेकिन इसे स्वीकृत 26 नवम्बर 1949 को ही कर लिया गया था। डा. भीमराव अम्बेडकर के अथक प्रयासों के कारण ही भारत का […]
विवेक भटनागर (लेखक इतिहास के शोधार्थी हैं।) आजादी से पूर्व तक भारतीय उपमहाद्वीप के विजय की चाभी अफगानिस्तान के हेरात व कंधार प्रांत को माना गया, जो खुरासान प्रदेश का दक्षिणी हिस्सा था। यही कारण रहा कि विदेशी आक्रांताओं के लिए खुरासान भारत विजय का मोड्यूल रहा। वहीं, भारतीय शासकों ने अपनी प्राकृतिक सीमाओं […]
*राष्ट्र-चिंतन* *विष्णुगुप्त* दक्षिणांचल भाजपा की सबसे कमजोर कडी रही है। इसीलिए भाजपा की अब दक्षिणाचंल की ओर दृष्टि लगी हुई है। दक्षिणाचंल में भाजपा के लिए संभावनाएं भी कम नहीं है। नये जोश के साथ भाजपा अब दक्षिणाचंल में सक्रिय ही नहीं हो रही है बल्कि अभियानी भी है। अब भाजपा के पास दो-दो राजनीतिक […]
स्वतंत्र भारत में धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा को जिस प्रकार अपने राजनीतिक चिंतन का मूल केंद्र बनाकर भारत ने आगे बढ़ना आरंभ किया वह हमारे देश के लिए बहुत ही घातक सिद्ध हुआ है । हमारे राजनीतिज्ञों ने स्वाधीनता प्राप्ति के तत्काल पश्चात मुस्लिम तुष्टीकरण का नाम ही धर्मनिरपेक्षता मान लिया । राजनीति के विषय […]